“युद्ध कोई बॉलीवुड फिल्म नहीं” पूर्व सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे का बड़ा बयान
सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे

पूर्व भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में उपजे तनाव के संदर्भ में युद्ध को लेकर उठ रहे बयानों की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि युद्ध न तो रोमांटिक होता है और न ही यह किसी फिल्मी स्क्रिप्ट की तरह होता है। पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि युद्ध बेहद गंभीर, विनाशकारी और मानवीय पीड़ा से भरा हुआ होता है, जिसे कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए।जनरल नरवणे रविवार को पुणे में ‘इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया’ के एक समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा, “युद्ध कोई बॉलीवुड फिल्म नहीं है। यह एक गहरा और खतरनाक फैसला होता है, जो हज़ारों ज़िंदगियों को प्रभावित करता है। हमारी पहली प्राथमिकता हमेशा कूटनीति होनी चाहिए, न कि हथियार।”
पूर्व सेना प्रमुख ने सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले आम नागरिकों की पीड़ा का ज़िक्र करते हुए कहा कि इन इलाकों में रहने वाले बच्चे गोलाबारी के दौरान रातों में अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर भागते हैं। उन्होंने PTSD (पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर) का उल्लेख करते हुए कहा कि युद्ध की भयावहता से गुज़रे लोग कई साल बाद भी डर और मानसिक पीड़ा से जूझते हैं।जो लोग अपने प्रियजनों को खो चुके हैं, उनके लिए वह दर्द जीवनभर बना रहता है। PTSD एक गंभीर मानसिक स्थिति है, जो युद्ध जैसे अनुभवों के कारण होती है। युद्ध का समर्थन करना, या इसे महिमामंडित करना उन लोगों के ज़ख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है,” नरवणे ने कहा।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर आदेश दिया जाए, तो एक सैनिक होने के नाते वे युद्ध के लिए तैयार हैं, लेकिन यह उनकी पहली पसंद नहीं होगी। उनकी प्राथमिकता हमेशा कूटनीति और बातचीत के ज़रिए समाधान निकालना होगी। हाल ही में भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पीओके में आतंकी ठिकानों को नष्ट किया था। इसके बाद भारत और पाकिस्तान ने सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति जताई। इस पृष्ठभूमि में जनरल नरवणे का यह बयान युद्ध और शांति के संतुलन को लेकर अहम संदेश देता है।



