टाइगर अभी जिंदा है’ केसीआर ने बीआरएस की रजत जयंती पर कांग्रेस को घेरा

तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री और भारत राष्ट्र समिति (BRS) के प्रमुख के. चंद्रशेखर राव (KCR) ने हाल ही में अपनी पार्टी की रजत जयंती के मौके पर एक जनसभा को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने राज्य की राजनीति पर गहरा प्रभाव डालने वाले कई अहम मुद्दों पर अपनी बात रखी। यह सभा उनके राजनीति में वापसी का प्रतीक मानी जा रही है, क्योंकि 2023 में विधानसभा चुनावों में हारने के बाद केसीआर सार्वजनिक जीवन से कुछ हद तक दूर हो गए थे। दो साल के इस अंतराल के बाद जब उन्होंने बीआरएस के कार्यकर्ताओं और समर्थकों से बात की, तो यह उनके राजनीतिक पुनःस्थापना का संकेत था। बीआरएस के प्रमुख ने अपनी उपस्थिति से यह साफ कर दिया कि वह अब सत्ता से बाहर होने के बाद भी राज्य की राजनीति में अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं।
जनसभा के दौरान केसीआर ने कांग्रेस सरकार पर तीखा हमला बोला और उसे हर मोर्चे पर विफल बताया। उनका कहना था कि कांग्रेस ने तेलंगाना के लोगों से जो वादे किए थे, उन्हें पूरा नहीं किया। उन्होंने विशेष रूप से रेवंत रेड्डी की नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को आड़े हाथों लिया और कहा कि पानी, बिजली, रायथु बंधु योजना, बेरोजगारी, महिला सुरक्षा, और हैदराबाद विश्वविद्यालय की ज़मीन की बिक्री जैसे मुद्दों पर कांग्रेस ने पूरी तरह से विफलता का परिचय दिया है। उनका आरोप था कि कांग्रेस सरकार ने तेलंगाना के नागरिकों को केवल धोखा दिया है और उसके वादों को पूरा करने में पूरी तरह से असफल रही है। केसीआर ने कहा कि अब समय आ गया है कि लोग इन दोनों सरकारों के कामकाज की तुलना करें और खुद तय करें कि किस सरकार ने तेलंगाना के लिए अच्छा काम किया है।
राजनीतिक रूप से केसीआर की इस जनसभा को उनकी वापसी के रूप में देखा जा रहा है। इसके बाद उनके बेटे के.टी. रामाराव (KTR) ने भी अपनी बात रखी और कहा कि 2028 में केसीआर फिर से मुख्यमंत्री बनने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। केटीआर ने यह भी कहा कि केसीआर ही पार्टी के नेता और मार्गदर्शक हैं, और उनकी ही अगुवाई में बीआरएस आगामी चुनावों में वापसी करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी के नेता के तौर पर केसीआर ने हमेशा तेलंगाना की जनता की भलाई के लिए काम किया है और आगे भी ऐसा ही करेंगे। केटीआर का यह बयान यह संकेत देता है कि पार्टी में उनकी भूमिका भविष्य में और मजबूत होगी, और वे केसीआर के बाद राज्य की राजनीति में अपनी जिम्मेदारी संभालने के लिए तैयार हैं।
इसके साथ ही केसीआर ने यह भी साफ किया कि बीआरएस कांग्रेस सरकार को गिराने का कोई इरादा नहीं रखता है। उन्होंने कहा कि पार्टी का उद्देश्य केवल जनता को यह बताना है कि कांग्रेस ने उनके लिए क्या किया है और बीआरएस सरकार ने क्या किया। उनका कहना था कि उन्होंने कांग्रेस सरकार को पूरा समय दिया है, लेकिन अब सवाल पूछने और जवाबदेही लेने का वक्त आ गया है। यह बयान इस बात का संकेत था कि केसीआर अब कांग्रेस के खिलाफ अपनी आवाज़ उठाने के लिए तैयार हैं।
केसीआर का हिंदुत्व एजेंडे पर बात करते हुए भगवान राम के शब्दों का उल्लेख करना भी काफी अहम था। उन्होंने कहा कि उन्हें तेलंगाना आंदोलन शुरू करने के लिए भगवान राम के कथन “जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी” से प्रेरणा मिली। इस कथन का अर्थ है कि मां और मातृभूमि स्वर्ग से भी अधिक महत्वपूर्ण होती हैं। इस संदर्भ में केसीआर ने यह कहा कि उनकी पार्टी ने हमेशा धर्म का राजनीतिक उद्देश्य के लिए उपयोग नहीं किया, बल्कि हर धर्म का सम्मान किया। हालांकि, उनके द्वारा भगवान श्रीराम का उल्लेख यह संकेत देता है कि वह हिंदू वोट बैंक को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं। पिछले कुछ समय से बीजेपी ने हिंदू वोटरों के बीच अपनी पैठ मजबूत की है, और अब केसीआर भी इस वोट बैंक को अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रहे हैं।
किसानों के मुद्दे पर भी केसीआर ने अपनी पार्टी की सरकार की उपलब्धियों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि बीआरएस सरकार ही एकमात्र सरकार थी, जिसने किसानों को सब्सिडी देने का काम किया। उनके अनुसार, कांग्रेस सरकार ने किसानों से कर वसूला, लेकिन उन्हें किसी प्रकार की मदद नहीं दी। केसीआर ने रायथु बंधु योजना का उदाहरण देते हुए कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया कि उसने किसानों को 15,000 रुपये देने का वादा किया था, लेकिन उस वादे को पूरा नहीं किया। इसके अलावा, उन्होंने टीजीएसआरटीसी (तेलंगाना राज्य सड़क परिवहन निगम) की महालक्ष्मी योजना पर भी सवाल उठाए और कहा कि यह योजना महिलाओं के लिए पूरी तरह से बेकार साबित हो रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि योजना के कारण महिलाओं को बसों में एक-दूसरे के बाल पकड़कर सीट के लिए लड़ना पड़ता है।
नक्सलियों के मुद्दे पर भी केसीआर ने केंद्र सरकार को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि केंद्र को नक्सलियों से बातचीत करनी चाहिए, क्योंकि नक्सलियों के खिलाफ चलाया जा रहा ऑपरेशन कगार लोकतांत्रिक तरीके से नहीं हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि आदिवासी युवा इस ऑपरेशन में अपनी जान गंवा रहे हैं, और केंद्र को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए। केसीआर के इस बयान से यह संकेत मिलता है कि वे आदिवासी समुदाय के बीच अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रहे हैं। आदिवासी समुदाय तेलंगाना के उत्तरी हिस्सों में पाया जाता है, और केसीआर का यह बयान उनके वोट बैंक को अपने पक्ष में लाने की कोशिश माना जा सकता है।
केसीआर की इस सभा ने यह साफ कर दिया है कि वह आगामी विधानसभा चुनावों में बीआरएस को सत्ता में वापस लाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। उन्होंने जनता को यह संदेश दिया कि बीआरएस सरकार ने तेलंगाना के लिए जो किया, वह कांग्रेस सरकार के मुकाबले कहीं बेहतर था। इसके अलावा, केसीआर ने यह भी कहा कि उनका उद्देश्य राज्य में विकास लाना है और इसके लिए वे किसी भी तरह की कड़ी मेहनत करने को तैयार हैं।
यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में केसीआर की रणनीति क्या होती है और उनका राजनीतिक कमबैक कैसे आकार लेता है। उनकी पार्टी के सामने आने वाली चुनौतियों को देखते हुए यह कहना मुश्किल है कि उनका यह प्रयास कितना सफल होगा, लेकिन एक बात साफ है कि बीआरएस की रजत जयंती सभा ने केसीआर के राजनीतिक भविष्य को एक नया मोड़ दिया है। अब यह देखने की बात होगी कि क्या कांग्रेस सरकार अपने वादों को पूरा कर पाती है, और क्या केसीआर के नेतृत्व में बीआरएस फिर से तेलंगाना की राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत कर पाती है।