Supreme Court: CJI गवई ने आगे बढ़ाया अपने उत्तराधिकारी का नाम, जस्टिस सूर्य कांत के नाम की सिफारिश

सीजेआई बीआर गवई ने केंद्र सरकार से जस्टिस कांत के नाम की सिफारिश की है। वरिष्ठता के आधार पर जस्टिस कांत भारत के 53वें सीजेआई बन जाएंगे। सरकार जल्द ही इसके संबंध में अधिसूचना जारी कर सकती है। जस्टिस कांत करीब 14 महीने तक इस पद पर रहेंगे और 9 फरवरी 2027 में रिटायर होंगे।

भारत के मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई के रिटायरमेंट के बाद अगले सीजेआई को चुने जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। खबर है कि सीजेआई गवई ने अपने उत्तराधिकारी के तौर पर जस्टिस सूर्य कांत का नाम आगे बढ़ा दिया है। गवई 23 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उन्होंने जस्टिस संजीव खन्ना के रिटायरमेंट के बाद पद संभाला था।सीजेआई गवई ने केंद्र सरकार से जस्टिस कांत के नाम की सिफारिश की है। वरिष्ठता के आधार पर जस्टिस कांत भारत के 53वें सीजेआई बन जाएंगे। सरकार जल्द ही इसके संबंध में अधिसूचना जारी कर सकती है। जस्टिस कांत करीब 14 महीने तक इस पद पर रहेंगे और 9 फरवरी 2027 में रिटायर होंगे। सीजेआई गवई जल्द ही सिफारिश पत्र की एक कॉपी जस्टिस कांत को भी सौंप देंगे। दरअसल, केंद्र सरकार ने जस्टिस गवई से अपना उत्तराधिकारी चुनने के लिए कहा था। अखबार से बातचीत में सीजेआई ने जस्टिस कांत को कमान संभालने के लिए हर मामले में उपयुक्त बताया था।

दस फरवरी 1962 को जन्मे न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने 1981 में हरियाणा के हिसार स्थित सरकारी स्नातकोत्तर महाविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और 1984 में महार्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने 1984 में हिसार जिला न्यायालय से अधिवक्ता के रूप में अपने करियर की शुरुआत की और अगले वर्ष पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय, चंडीगढ़ में कामकाज शुरू किया।वर्ष 2000 में वे हरियाणा के महाधिवक्ता बने और 2001 में उन्हें सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया गया। उसी वर्ष वे पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने। बाद में वे 2018 में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हुए और 2019 में उन्हें उच्चतम न्यायालय में पदोन्नत किया गया।उच्चतम न्यायालय में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण निर्णयों में भूमिका निभाई, जिनमें अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण को संवैधानिक ठहराने वाले संविधान पीठ के निर्णय में उनकी भागीदारी भी शामिल है। उन्होंने संविधान, मानवाधिकार और लोकहित से जुड़े एक हजार से अधिक निर्णयों में योगदान दिया है।वर्तमान में वे राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के पदेन कार्यकारी अध्यक्ष हैं और नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ, रांची के विजिटर भी हैं।

Related Articles

Back to top button