सोनम वांगचुक पर लगे गंभीर आरोप, लद्दाख में हिंसा को लेकर बढ़ा विवाद
केंद्र सरकार ने स्पष्ट कहा है कि सोनम वांगचुक की ओर से लद्दाख के युवाओं को उकसाने वाले बयान दिए गए हैं। यह भी हिंसा का एक कारण रहा है। इसके अलावा उनकी इसी साल 6 फरवरी को हुई पाकिस्तान की यात्रा पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। हालांकि सोनम वांगचुक ने उसी दौरान एक वीडियो जारी करके सफाई दी थी।

सोनम वांगचुक का नाम लद्दाख में शिक्षा सुधार और पर्यावरण की रक्षा के उपायों के लिए चर्चित रहा है। लेकिन बीते कुछ सालों में वह राजनीतिक मांगों को लेकर भी सक्रिय रहे हैं और बुधवार को तो उनके अनशन के दौरान ऐसी हिंसा भड़की की 4 लोगों की मौत हो गई और 70 घायल हो गए। हिंसा की यह आग इतनी तेजी से फैली की भाजपा के दफ्तर में तोड़फोड़ हुई और कई जगहों पर आगजनी की गई। इसके बाद सोनम वांगचुक ने अपना अनशन खत्म कर दिया है और कहा कि हिंसा के चलते उनके आंदोलन का उद्देश्य कमजोर हुआ है। लेकिन सवाल यहीं खत्म नहीं हुए हैं। सोनम वांगचुक को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं।
केंद्र सरकार ने स्पष्ट कहा है कि सोनम वांगचुक की ओर से लद्दाख के युवाओं को उकसाने वाले बयान दिए गए हैं। यह भी हिंसा का एक कारण रहा है। इसके अलावा उनकी इसी साल 6 फरवरी को हुई पाकिस्तान की यात्रा पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। हालांकि सोनम वांगचुक ने उसी दौरान एक वीडियो जारी करके सफाई दी थी और कहा था कि वह पाकिस्तान में पर्यावरण को लेकर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए हैं। इस कॉन्फ्रेंस का आयोजन डॉन मीडिया की ओर से किया गया था। उन्होंने इस दौरान ‘ग्लेशियल मेल्ट: अ सस्टेनेबल स्ट्रैटेजी फॉर द वॉटर टावर्स ऑफ साउथ एशिया’ विषय पर स्पीच भी दी थी।
वांगचुक ने कहा था कि पर्यावरण की तो कोई सीमा नहीं होती। इससे पूरी दुनिया को ही नुकसान होता है या फिर फायदा मिलता है। उनकी सफाई के बाद भी सोशल मीडिया पर सोनम वांगचुक के पाकिस्तान जाने और विदेशों से आंदोलन के लिए फंडिंग की चर्चाएं की जा रही हैं। फिलहाल लेह में कर्फ्यू लगा है और सोनम वांगचुक भूख हड़ताल से उठ चुके हैं। 1989 के बाद पहली बार लद्दाख में इस तरह की हिंसा देखी गई और कारगिल से लेकर लेह तक के लोग राज्य का दर्जा देने की मांग और छठी अनुसूची में शामिल करने को लेकर एकजुट नजर आए।
भड़काने के आरोपों पर क्या है वांगचुक का जवाब
इस बारे में जब सोनम वांगचुक से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि लद्दाख में चल रहा यह आंदोलन पूरी तरह से ऑर्गेनिक और स्थानीय था। उन्होंने कहा कि भाजपा की ओर से कई वादे लद्दाख को लेकर किए गए थे, जो पूरे नहीं हुए। उन्होंने कहा कि स्थानीय युवाओं में बेरोजगारी है। कई सालों से लोग परेशान हैं। उन्हें लगता है कि शासन तो अब भी बाहर से ही चल रहा है। ऐसे तमाम कारणों की वजह से स्थानीय लोगों में रोष है। उन्होंने यह भी कहा कि हम शांतिपूर्ण विरोध के साथ हैं। ऐसी हिंसा होना मेरे जीवन का सबसे दुखद अवसर रहा है।
सोनम वांगचुक दे रहे सफाई, पर छवि पर हुआ सीधा असर
भले ही सोनम वांगचुक सफाई दे रहे हैं, लेकिन यह सच है कि उनकी छवि पर सीधा असर पड़ा है। कभी सामाजिक कार्यकर्ता की पहचान रखने वाले सोनम वांगचुक अब राजनीतिक विवाद का हिस्सा बन गए हैं। उन्होंने कहा कि बीते 5 सालों से हम शांति से अपना विरोध दर्ज कराते रहे हैं। महात्मा गांधी के रास्ते पर चलकर अपनी बात रखी है। लेकिन आज जो हुआ, उसकी कल्पना तक नहीं की थी। इस घटना के बाद से लेह की सड़कों पर भारत-तिब्बत सीमा पुलिस तैनात है और फिलहाल तनावपूर्ण शांति की स्थिति है।



