शशि थरूर और ओवैसी का पाकिस्तान पर सख्त संदेश

भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति को एक नई दिशा दी है। यह तनाव विशेष रूप से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद बढ़ा, जब भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकवादियों के ठिकानों पर हमला किया। यह हमला जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में किया गया था, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई थी। भारत ने इसे अपनी आत्मरक्षा का अधिकार मानते हुए पाकिस्तान के खिलाफ एक निर्णायक कदम उठाया। इस ऑपरेशन के बाद से भारतीय राजनीति में कई प्रमुख नेताओं ने अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं, जिनमें कांग्रेस सांसद शशि थरूर और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुसलमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी शामिल हैं। इन नेताओं ने अपने-अपने तरीके से पाकिस्तान के खिलाफ भारत की सैन्य कार्रवाई का समर्थन किया और इसे एक मजबूत और आवश्यक कदम बताया।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद, शशि थरूर ने अपनी प्रतिक्रिया में इसे एक ‘कैलिब्रेटेड रिस्पॉन्स’ करार दिया और स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई पाकिस्तान के खिलाफ नहीं, बल्कि आतंकवादियों के खिलाफ थी। उन्होंने कहा कि भारत का इरादा पाकिस्तान के साथ युद्ध शुरू करने का नहीं था, बल्कि यह कदम आतंकवादियों के खिलाफ था, जो भारत के खिलाफ साजिश रच रहे थे। थरूर ने कहा कि यह एक सटीक और आवश्यक कदम था, जो भारतीय सेना ने लिया। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान को चेतावनी दी गई थी कि अगर वह अपनी आतंकवादी गतिविधियों से पीछे नहीं हटता, तो भारत उसे कड़ी प्रतिक्रिया देगा। शशि थरूर ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वह भारत के आत्मरक्षा के अधिकार को समझे, जैसा कि 9/11 के बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की थी।
इसके अलावा, शशि थरूर ने चीन के रुख पर भी टिप्पणी की, जो पाकिस्तान का पारंपरिक सहयोगी रहा है। उन्होंने कहा कि इस बार चीन ने पाकिस्तान का उतना समर्थन नहीं किया, जितना पहले किया करता था। थरूर का यह बयान अंतरराष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह संकेत देता है कि चीन अब भारत के साथ अपने रिश्तों को सुधारने की दिशा में काम कर रहा है। चीन की स्थिति इस समय यह दर्शाती है कि वह भारत के बाजार और आर्थिक संबंधों को प्राथमिकता दे रहा है, जबकि पाकिस्तान के साथ उसके संबंधों में अब पहले जैसा गर्मजोशी नहीं है। थरूर ने यह भी कहा कि चीन को यह समझ में आ गया है कि उसे पाकिस्तान के साथ संबंधों के बजाय भारत के साथ अपने संबंधों को बेहतर बनाना चाहिए, खासकर जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापारिक और कूटनीतिक महत्व बढ़ता जा रहा है।
वहीं, असदुद्दीन ओवैसी ने पाकिस्तान के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की और भारतीय सेना की कार्रवाई का समर्थन किया। ओवैसी, जो मुस्लिम समुदाय के नेता के रूप में पहचाने जाते हैं, ने इस बार एक राष्ट्रवादी दृष्टिकोण अपनाया और कहा कि अब पाकिस्तान को समझाने का समय खत्म हो चुका है। पाकिस्तान के आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का समय आ गया है। उन्होंने भारतीय सेना द्वारा किए गए लक्षित हमलों को आतंकवाद के खिलाफ एक मजबूत कदम बताया और पाकिस्तान को चेतावनी दी कि उसकी आतंकवादी गतिविधियों को समाप्त किया जाए, नहीं तो भारत अपनी सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाएगा। ओवैसी ने यह भी कहा कि पाकिस्तान को PoK को वापस करना होगा और उसकी आतंकवादी गतिविधियों को पूरी तरह नष्ट किया जाना चाहिए। ओवैसी का यह रुख उनकी राजनीति में एक नई दिशा को दर्शाता है, जिसमें वे मुस्लिम समुदाय के नेता से बाहर निकलकर भारत के राष्ट्रवादी नेतृत्व का हिस्सा बनते नजर आ रहे हैं।
यह घटना दिखाती है कि भारत के राजनीतिक दल अब आतंकवाद के मुद्दे पर एकजुट हैं। शशि थरूर और असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेता जो पहले अपनी-अपनी पार्टी के विचारधाराओं के हिसाब से बयान देते थे, अब पाकिस्तान के खिलाफ एकजुट होकर खड़े हो गए हैं। यह एक सकारात्मक संकेत है क्योंकि यह दिखाता है कि जब बात राष्ट्रीय सुरक्षा की होती है, तो राजनीतिक दल अपनी विचारधारा से ऊपर उठकर एकजुट हो सकते हैं। इस कड़ी में भारत सरकार ने अपनी सैन्य कार्रवाई को बिल्कुल सटीक और जरूरी बताते हुए कहा कि यह ऑपरेशन केवल आतंकवादियों के खिलाफ था, न कि पाकिस्तान की आम जनता या सेना के खिलाफ।
भारत ने अपने सैन्य ठिकानों और नागरिकों पर हमला करने के बाद पाकिस्तान के खिलाफ यह कार्रवाई की। भारतीय सेना ने रात के समय पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए ताकि कोई आम नागरिक प्रभावित न हो। यह एक ‘कैलिब्रेटेड रिस्पॉन्स’ था, जिसका उद्देश्य केवल आतंकवादियों के ठिकानों को नष्ट करना था, न कि पाकिस्तान के नागरिकों या सेना को निशाना बनाना। यह कदम भारतीय सेना की जिम्मेदारी और सटीकता को दर्शाता है, जो केवल आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने पर केंद्रित था।
भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि उसकी कार्रवाई का उद्देश्य युद्ध नहीं था, बल्कि यह आत्मरक्षा का अधिकार था, जो किसी भी देश को अपने नागरिकों और सैन्य प्रतिष्ठानों की रक्षा करने के लिए प्राप्त होता है। भारत ने पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया कि अगर वह अपनी आतंकवादी गतिविधियों से पीछे नहीं हटता, तो भारत उसके खिलाफ और कड़े कदम उठाने के लिए तैयार है।
इसके अलावा, पाकिस्तान की प्रतिक्रिया ने भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया। पाकिस्तान ने भारतीय हमले को ‘नपुंसक हमला’ बताते हुए भारत को चेतावनी दी कि इसके परिणाम गंभीर होंगे। पाकिस्तान ने यह दावा किया कि उसने भारतीय विमानों को मार गिराया और भारतीय क्षेत्रों में गोलाबारी की। हालांकि, भारत ने इन दावों को खारिज कर दिया और पाकिस्तान को अपने झूठे आरोपों को खत्म करने की सलाह दी। पाकिस्तान की प्रतिक्रिया यह दर्शाती है कि वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय में अपनी साख बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है, लेकिन भारत ने पाकिस्तान के आरोपों को सिरे से नकारते हुए यह दिखा दिया कि उसकी कार्रवाई पूरी तरह से आतंकवाद के खिलाफ थी, न कि पाकिस्तान के आम नागरिकों या सैन्य प्रतिष्ठानों के खिलाफ।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद यह सवाल उठता है कि पाकिस्तान को इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए क्या कदम उठाने होंगे। पाकिस्तान को यह समझने की आवश्यकता है कि भारत ने अपनी सुरक्षा के लिए जो कदम उठाए हैं, वह पूरी तरह से वैध हैं। पाकिस्तान को आतंकवाद को समाप्त करने के लिए अपनी नीति में बदलाव लाना होगा, नहीं तो उसे ऐसी ही और सख्त प्रतिक्रियाओं का सामना करना पड़ सकता है। भारत ने यह संदेश दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में कोई समझौता नहीं होगा और भारत अपनी सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगा।
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे महत्वपूर्ण यह है कि भारत ने अपनी सैन्य शक्ति का इस्तेमाल जिम्मेदारी से किया। शशि थरूर और असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेताओं ने इस कार्रवाई का समर्थन किया और यह संदेश दिया कि भारत की जनता और नेता आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हैं। शशि थरूर ने यह भी कहा कि अगर पाकिस्तान अपनी गतिविधियों से पीछे नहीं हटता, तो भारत उसे जवाब देने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
कूटनीतिक दृष्टिकोण से, भारत की यह कार्रवाई पाकिस्तान के आतंकी तंत्र को निशाना बनाने के रूप में सही थी। पाकिस्तान को यह समझने की जरूरत है कि अगर वह आतंकवाद को समर्थन देना जारी रखता है, तो उसे इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी सुरक्षा के लिए कोई भी कदम उठाने से नहीं हिचकेगा। पाकिस्तान को यह समझने की आवश्यकता है कि भारत का इरादा युद्ध में पड़ने का नहीं है, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ मजबूती से खड़ा होने का है।
अंत में, भारत के इस कदम ने यह साबित कर दिया है कि भारत अपनी सुरक्षा और आत्मरक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेगा, लेकिन युद्ध की राह पर नहीं जाएगा। शशि थरूर और असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेताओं के बयान इस बात का संकेत हैं कि भारत के भीतर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एकजुटता है, और यह पूरी दुनिया के सामने एक मजबूत संदेश है।