‘महादेव पूजा के विषय हैं या लव के…’ I Love Mahadev पर भड़के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद
Swami Avimukteshwarananda Saraswati On I Love Mahadev: देशभर में चर्चित I Love Mahadev और I Love Muhammad विवाद पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज की प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने कहा कि 'I Love Mahadev और I Love Muhammad' विवाद जनता का ध्यान असली मुद्दों से भटकाने के लिए शुरू किया गया है.

बिहार के चुनावों में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज की एंट्री हो गई है. उन्होंने ऐलान किया है कि वो राज्य के चुनाव में सक्रिय भूमिका निभाएंगे. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज बिहार दौरे पर आए हुए हैं. उन्होंने राज्य के बिहटा में देशभर में चर्चित I Love Mahadev और I Love Muhammad विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया भी दी.इस पूरे विवाद पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहा, ” I Love Mahadev और I Love Muhammad विवाद जनता का ध्यान असली मुद्दों से भटकाने के लिए शुरू किया गया है. महादेव पूजा का विषय है या लव का? यह महादेव का अपमान है. मैं मोहम्मद के बारे में नहीं जानता. मोहम्मद पर टिप्पणी करना मेरे अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है.
महादेव को लेकर शंकराचार्य ने कही ये बात
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने आगे कहा कि जो मोहम्मद को मानते हैं, वे शायद उनके बारे में जानते होंगे, लेकिन मुझे महादेव से लव है ये कहना महादेव का अनादर है. महादेव का अपमान है. हम महादेव के साथ ऐसी भाषा का प्रयोग नहीं करते. इस तरह की भाषा का उपयोग परंपरागत धार्मिक दृष्टिकोण से गलत माना जाता है.
#WATCH | Bettiah, Bihar | On ‘I love Muhammad-Mahadev’ row, Shankaracharya Swami Avimukteshwaranand Saraswati Maharaj says, “… ‘I love Mohammed, I love Mahadev’ row has been started to distract the public from the real issues. Is Mahadev a matter of worship or love? This is an… pic.twitter.com/4WcmhUNkJC
— ANI (@ANI) October 4, 2025
सोशल मीडिया पर छिड़ा है विवाद
गौरतलब है कि हाल के दिनों में सोशल मीडिया और सार्वजनिक स्थानों पर आई लव मुहम्मद को लेकर बवाल सामने आया है. इसी का विरोध करते हुए हिंदू संगठनों ने आई लव महादेव के नारे लगाए. इस नारे के समर्थक से भक्ति और आस्था का प्रतीक बता रहे हैं. वहीं विरोधी ऐसे नारे धार्मिक भावनाओं का अनादर बता रहे हैं. उनका कहना है कि इन नारों से धार्मिक भावनाओं का अनादर होता है. ये नारे समाज में और समाज में विभाजन फैला सकते हैं.
				
					

