पहलगाम आतंकी हमले के बाद असदुद्दीन ओवैसी की राजनीति में बदलाव, पाकिस्तान को दी कड़ी चेतावनी

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने देश को एक बार फिर से झकझोर दिया है। आतंकवादियों ने जिस बर्बरता से निर्दोष हिंदू पर्यटकों को निशाना बनाया, वह न केवल कश्मीर घाटी, बल्कि पूरे देश के लिए एक बड़ा संकट बन गया। इस हमले के बाद से ही देशभर में आतंकवाद के खिलाफ गुस्सा और नफरत का माहौल बना है, और इसी बीच ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी बेबाक और स्पष्ट राय दी। ओवैसी ने इस हमले के बाद पाकिस्तान को अपने निशाने पर लेते हुए कहा कि यह हमला पाकिस्तान की शह पर हुआ है, और पाकिस्तान को अब अपनी औकात दिखाई जानी चाहिए। ओवैसी का यह बयान न केवल आतंकवाद के खिलाफ उनकी कड़ी प्रतिक्रिया को दर्शाता है, बल्कि इससे उनकी राष्ट्रवादी छवि भी एक नई दिशा में उभर कर सामने आई है।

इस हमले के बाद असदुद्दीन ओवैसी ने पाकिस्तान की कड़ी आलोचना की। उन्होंने पाकिस्तान के आतंकवादियों की तुलना इस्लामिक स्टेट (आईएस) से करते हुए कहा कि पाकिस्तान ने अपने नापाक मंसूबों के तहत कश्मीर में हिंदू-मुसलमान के बीच हिंसा फैलाने की कोशिश की है। ओवैसी ने इस हमले की निंदा करते हुए कहा कि आतंकवादी कश्मीर में निर्दोष नागरिकों को धार्मिक पहचान के आधार पर मारने के लिए इस्लामिक स्टेट की तरह व्यवहार कर रहे हैं। उन्होंने पाकिस्तान के आतंकवादियों को सीधे तौर पर चुनौती दी और कहा कि यह समय है जब पाकिस्तान के आतंकवादियों को जड़ से उखाड़ फेंका जाए।

ओवैसी का यह रुख उनके मुस्लिम सियासी नेतृत्व के रूप में एक नई पहचान को दर्शाता है। हालांकि वह एक मुस्लिम नेता के रूप में प्रसिद्ध हैं, लेकिन इस हमले के बाद उनकी प्रतिक्रियाएं बिल्कुल राष्ट्रवादी और आतंकवाद के खिलाफ सख्त रही हैं। असदुद्दीन ओवैसी ने पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों की निंदा करते हुए कहा कि पाकिस्तान हमेशा से भारत में अस्थिरता फैलाने की कोशिश करता रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि अब भारत को इस समस्या से निपटने के लिए पाकिस्तान पर कड़े कदम उठाने चाहिए।

ओवैसी की इस बयानबाजी के पीछे उनका मकसद केवल पाकिस्तान को चुनौती देना नहीं था, बल्कि भारत के मुस्लिम समुदाय को एकजुट करने का भी था। उन्होंने कश्मीर में जो कुछ भी हुआ, उसकी सख्त निंदा करते हुए कहा कि आतंकवादियों के इस प्रकार के कृत्य से देश की मुस्लिम पहचान पर भी आंच आ सकती है। उन्होंने मुस्लिम समुदाय से अपील की कि वे किसी भी प्रकार की धार्मिक विभाजन को बढ़ावा न दें और एकजुट होकर देश के खिलाफ होने वाली ऐसी हरकतों का विरोध करें। ओवैसी का यह बयान विशेष रूप से अहम है क्योंकि वह भारतीय मुसलमानों के बीच पाकिस्तान से किसी भी प्रकार की सहानुभूति का विरोध करते रहे हैं। उनका यह कहना कि पाकिस्तान को अपने आतंकी संगठनों को प्रशिक्षित करने और उन्हें भारत के खिलाफ भेजने का खामियाजा भुगतना पड़ेगा, एक स्पष्ट संदेश है कि अब वक्त आ चुका है जब आतंकवादियों को हर हाल में दंडित किया जाए।

इसी दौरान, ओवैसी ने एक अन्य महत्वपूर्ण बयान दिया, जब उन्होंने पाकिस्तान के नेताओं के बेतुके बयानों का करारा जवाब दिया। पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो और क्रिकेट खिलाड़ी शाहिद अफरीदी द्वारा दिए गए विवादास्पद बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए ओवैसी ने उन्हें आड़े हाथों लिया। ओवैसी ने कहा कि पाकिस्तान के नेताओं को भारतीय राजनीति और समाज के बारे में बयान देने से पहले अपनी स्थिति पर गौर करना चाहिए। उन्होंने बिलावल भुट्टो को उनकी मां की हत्या का उदाहरण देते हुए कहा कि जब पाकिस्तान में उनके घर पर आतंकवादियों ने हमला किया, तो वह भी आतंकवाद था, लेकिन अब जब भारत में आतंकवाद का हमला होता है, तो पाकिस्तान का नजरिया बदल जाता है। ओवैसी ने पाकिस्तान के इस द्विरूपी रवैये की आलोचना की और कहा कि भारत को अपनी सुरक्षा के लिए किसी भी कदम को उठाने का पूरा अधिकार है।

ओवैसी की इस कड़ी प्रतिक्रिया से यह स्पष्ट हो गया कि वह इस हमले को लेकर न केवल पाकिस्तान, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी इस मसले को उठाना चाहते हैं। उनका मानना है कि भारत को पाकिस्तान से हर तरह के रिश्ते तोड़ने चाहिए और इस आतंकवादी प्रायोजक देश के खिलाफ कठोर कदम उठाने चाहिए। ओवैसी ने यह भी कहा कि भारत की सरकार को पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाने का नैतिक और कानूनी अधिकार है, और भारत को पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध नीतियों पर विचार करना चाहिए।

सर्वदलीय बैठक में ओवैसी की भागीदारी भी इस पूरे घटनाक्रम का अहम हिस्सा बनी। केंद्र सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाने का निर्णय लिया था, लेकिन पहले ओवैसी को इसमें नहीं बुलाया गया था। इस पर ओवैसी ने कड़ा विरोध जताया और कहा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा है, इसमें राजनीति की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। ओवैसी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से बात की और सर्वदलीय बैठक में अपनी उपस्थिति सुनिश्चित की। ओवैसी ने इस बैठक में पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सरकार के कदमों का समर्थन करते हुए कहा कि भारत को आत्मरक्षा का पूरा अधिकार है और पाकिस्तान के खिलाफ कड़े सैन्य और कूटनीतिक कदम उठाए जाने चाहिए।

पाकिस्तान को लेकर ओवैसी की तीखी प्रतिक्रिया ने उनके समर्थकों और विरोधियों दोनों को चौंका दिया। जहाँ एक ओर उनके विरोधी यह आरोप लगाते हैं कि ओवैसी हमेशा विभाजनकारी राजनीति करते हैं, वहीं इस समय उनकी राष्ट्रवादी छवि सामने आई है। ओवैसी ने यह सिद्ध कर दिया कि वह सिर्फ मुस्लिम समुदाय के मुद्दों तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि देश की एकता और अखंडता के लिए भी उनका योगदान महत्वपूर्ण है।

उनकी राष्ट्रवादी छवि में यह बदलाव इस बात का संकेत है कि अब ओवैसी किसी भी प्रकार के सांप्रदायिक विभाजन के खिलाफ हैं। उनका यह कहना कि पाकिस्तान को उसके असल औकात दिखानी चाहिए और भारत के खिलाफ किसी भी आतंकवादी हमले की सख्त निंदा करनी चाहिए, इस बात का प्रमाण है कि वह भारतीय मुसलमानों के लिए एक मजबूत और स्पष्ट आवाज बनकर उभरे हैं। ओवैसी का यह बयान न केवल पाकिस्तान के लिए चेतावनी है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारतीय मुसलमान अपनी पहचान और अपनी सुरक्षा के लिए कभी भी पीछे नहीं हटेंगे।

अंत में, यह कहना गलत नहीं होगा कि ओवैसी का यह रुख उनकी राजनीतिक यात्रा में एक नया मोड़ है। उन्होंने अपने बयान और प्रतिक्रियाओं से यह साबित किया कि वह केवल एक मुस्लिम नेता नहीं, बल्कि भारतीय राजनीति में एक सशक्त राष्ट्रवादी आवाज हैं।

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