पाकिस्तान ने आतंकवादियों को पाला, बिलावल भुट्टो का बड़ा कबूलनामा

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हाल ही में एक साक्षात्कार में यह स्वीकार किया कि पाकिस्तान ने तीन दशकों तक अमेरिका और पश्चिमी देशों के लिए आतंकवादी संगठनों को समर्थन और वित्तीय सहायता प्रदान की। उन्होंने इसे पाकिस्तान की एक बड़ी गलती बताया और कहा कि इस निर्णय के गंभीर परिणाम भुगतने पड़े हैं। ख्वाजा आसिफ का यह बयान पाकिस्तान के आतंकवाद के समर्थन के अतीत को उजागर करता है, जो पाकिस्तान के लिए एक शर्मनाक इतिहास बन चुका है। उनका यह बयान तब आया है जब 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी, और भारतीय अधिकारियों ने इसे पाकिस्तान से संचालित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का काम बताया था। इस हमले ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है।

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के अध्यक्ष और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने भी इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ख्वाजा आसिफ के बयान पर मुहर लगाते हुए कहा कि पाकिस्तान का आतंकवाद से जुड़ा अतीत रहा है, और इससे देश ने बहुत बड़ी कीमत चुकाई है। बिलावल भुट्टो ने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने चरमपंथ के दौर से गुजरते हुए बहुत कुछ सीखा है और अब वह आंतरिक सुधारों की दिशा में आगे बढ़ रहा है। उनका यह कहना था कि पाकिस्तान अब आतंकवाद से संबंधित किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं है और यह सब अब इतिहास बन चुका है। उनका बयान पाकिस्तान के सुधारों और आतंकवाद के खिलाफ की गई कार्रवाई की ओर इशारा करता है, हालांकि यह भी सच है कि पाकिस्तान का इतिहास आतंकवाद के समर्थन से जुड़ा हुआ है।

यह बयान पाकिस्तान के लिए एक अहम मोड़ पर आया है, क्योंकि पाकिस्तान हमेशा से आतंकवाद को लेकर दोगली नीति अपनाता रहा है। एक ओर वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ अपनी प्रतिबद्धता दिखाता है, जबकि दूसरी ओर पाकिस्तान में पलने वाले आतंकवादी संगठनों को छिपने और सक्रिय होने का अवसर देता है। ख्वाजा आसिफ ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान ने अमेरिका और पश्चिमी देशों के दबाव में आतंकवादियों को शरण दी, और इसका नतीजा यह हुआ कि पाकिस्तान खुद आतंकवाद का शिकार बन गया। पाकिस्तान में चरमपंथी ताकतें आज भी सक्रिय हैं और वह न केवल पाकिस्तान बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरे का कारण बन रही हैं।

हालांकि, पाकिस्तान की सरकार और उच्च अधिकारी इन बयानों को व्यक्तिगत राय मानते हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस मामले को गंभीरता से देखता है। भारत ने पाकिस्तान के इस अतीत को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी है और उसे आतंकवाद के समर्थन के लिए जिम्मेदार ठहराया है। भारत ने पाकिस्तान से यह मांग की है कि वह आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाए और इस तरह की गतिविधियों में शामिल नहीं हो। इस बीच, पाकिस्तान ने दावा किया है कि वह आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेगा और भविष्य में इस मुद्दे पर अन्य देशों के साथ सहयोग करने के लिए तैयार है।

इसके बावजूद, पाकिस्तान की दोगली नीति और आतंकवाद से जुड़े अतीत ने उसकी अंतरराष्ट्रीय छवि को दागदार किया है। अब सवाल यह है कि क्या पाकिस्तान अपने इस अतीत को सुधारने में सक्षम होगा और आतंकवाद के खिलाफ अपनी प्रतिबद्धता को साबित कर पाएगा। पाकिस्तान और भारत के बीच विश्वास की कमी और आतंकवाद के मुद्दे पर मतभेद स्थिति को और जटिल बनाते हैं। इस पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने दोनों देशों से शांति और सहयोग की अपील की है ताकि दक्षिण एशिया में स्थिरता और सुरक्षा बनी रहे।

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