पाक सांसद ने शहबाज शरीफ को गीदड़ करार दिया, कहा ‘हमारा पीएम मोदी से डरता है

पाकिस्तान की संसद में शुक्रवार को एक बड़ी बहस हुई, जिसमें तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (PTI) के सांसद शाहिद अहमद ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और उनकी सरकार पर तीखा हमला बोला। शाहिद अहमद ने शहबाज शरीफ की तुलना ‘गीदड़’ से की और आरोप लगाया कि वह नरेंद्र मोदी का नाम तक लेने से डरते हैं। यह बयान पाकिस्तान की राजनीति में हलचल मचा सकता है और देश की सुरक्षा और नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठा सकता है।शाहिद अहमद ने अपने बयान में कहा, “अगर एक लश्कर का सरदार शेर हो और उसकी सेना में गीदड़ हों, तो भी वे शेर की तरह जंग लड़ते हैं। लेकिन नेतृत्व अगर गीदड़ के हाथ में हो, तो शेरों का भी दम कम हो जाता है।” उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि शहबाज शरीफ भारत के साथ अपने कारोबारी संबंधों के कारण नरेंद्र मोदी का नाम लेने से डरते हैं। शाहिद अहमद के अनुसार, शहबाज शरीफ ने हाल ही में एक भाषण दिया था, जिसमें उन्होंने नरेंद्र मोदी का नाम तक नहीं लिया था। यह शहबाज शरीफ की सरकार की कमजोरी को दर्शाता है, जैसा कि शाहिद अहमद ने कहा, “अगर आपका प्रधानमंत्री बुजदिल है, तो आप क्या उम्मीद करेंगे?”
इस हमले के बाद पाकिस्तान की संसद में राजनीतिक बवाल मच गया। कई विपक्षी सांसदों ने शाहिद अहमद के बयान का समर्थन किया, जबकि कुछ ने इसे देश के अंदर अस्थिरता पैदा करने की कोशिश बताया। इसके अलावा, इस बयान के बाद पाकिस्तान की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा हो सकता है, जो इमरान खान के समर्थकों और शहबाज शरीफ के नेतृत्व के बीच बढ़ते तनाव को और बढ़ा सकता है।शाहिद अहमद ने इस बयान में इमरान खान का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इमरान खान का अपहरण और उन्हें जेल में बंद करना पाकिस्तान की जनता के लिए एक अपमान है। शाहिद अहमद ने कहा, “पाकिस्तान की जनता उन लोगों से नफरत करती है, जिन्होंने इमरान खान को पकड़ा। अगर जंग हुई तो हम पाकिस्तान के साथ खड़े होंगे, क्योंकि हम देश के लिए संघर्ष करने के लिए तैयार हैं, लेकिन इमरान खान को जेल से निकालो।” शाहिद अहमद के अनुसार, इमरान खान को जेल में रखना पाकिस्तान के लिए सही नहीं है, और अगर इमरान खान स्वतंत्र होते, तो देश में एक मजबूत नेतृत्व होता।
शाहिद अहमद ने शहबाज शरीफ के विदेश नीति पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि शहबाज शरीफ की सरकार की विदेश नीति न केवल कमजोर है, बल्कि यह पाकिस्तान के राष्ट्रीय हितों के खिलाफ भी है। “जब शहबाज शरीफ की सरकार नरेंद्र मोदी का नाम तक नहीं ले सकती, तो यह किस तरह की सरकार है?” शाहिद अहमद ने कहा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि शहबाज शरीफ के कारोबारी संबंध भारत से हैं, और यही कारण है कि वह भारत के खिलाफ कोई भी सख्त बयान देने से डरते हैं।शाहिद अहमद के बयान ने पाकिस्तान की राजनीतिक स्थिति को एक नए मोड़ पर ला खड़ा किया है। यह मुद्दा न केवल पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति से संबंधित है, बल्कि इसका प्रभाव पाकिस्तान की विदेश नीति और उसकी सुरक्षा पर भी पड़ सकता है। पाकिस्तान की संसद में इस बयान के बाद विपक्षी दलों ने शहबाज शरीफ और उनकी सरकार की आलोचना करना शुरू कर दिया है। वहीं, PTI के सांसदों का कहना है कि शहबाज शरीफ की सरकार कमजोर और डरपोक है, जो पाकिस्तान की छवि को नुकसान पहुंचा रही है।
इसके साथ ही, शाहिद अहमद ने पाकिस्तान की जनता से भी अपील की कि वे अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करें। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान की जनता को यह समझना होगा कि अगर वह चुप रही, तो यह देश कमजोर होता जाएगा। हमें अपने नेतृत्व से ताकत और साहस की उम्मीद करनी चाहिए, जो हमें अपने अधिकारों के लिए खड़ा कर सके।” उन्होंने यह भी कहा कि अगर पाकिस्तान की सेना और सरकार एकजुट होकर काम करें, तो पाकिस्तान का सम्मान और ताकत फिर से बढ़ सकता है।शाहिद अहमद के बयान से यह साफ हो गया है कि पाकिस्तान में राजनीतिक संघर्ष तेज हो चुका है। इमरान खान की गिरफ्तारी और शहबाज शरीफ की कमजोर सरकार पर बढ़ती आलोचनाएं इस बात का संकेत हैं कि पाकिस्तान की राजनीति में आने वाले समय में और भी उथल-पुथल हो सकती है। पाकिस्तान के राजनीतिक संकट ने न केवल देश के भीतर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान आकर्षित किया है, और यह देखा जाएगा कि आने वाले दिनों में पाकिस्तान के नेता इस स्थिति का कैसे समाधान करते हैं।