नोएडा में जमीन खरीदना हुआ खतरे से खाली नहीं, जेवर एयरपोर्ट के आस-पास फर्जीवाड़े की कहानी

दिल्ली से होते हुए अगर आप नोएडा-एक्सप्रेसवे से अगर आप गुजरे होंगे तो अमूमन देखा होगा कि बीच-बीच में कुछ सेल्समैन हाथ हिला-हिलाकर आपकी गाड़ी को रोकते हैं. उनके हाथों में एक ब्रोशर होता है. जैसे ही आपने गाड़ी रोकी, सेल्ममैन दौड़कर आपके पास आएंगे. फिर आपसे कहेंगे. टाउनशिप प्रोजेक्ट में आपका स्वागत है. ये इस वक्त की यहां पर सबसे शानदार प्रॉपर्टी है. यहां से एयरपोर्ट महज आधे घंटे दूर है. आपने ये प्रॉपर्टी खरीदी तो आपकी बल्ले-बल्ले है.दरअसल, दिल्ली से सटे नोएडा में इन दिनों हर कोई जमीन या प्रॉपर्टी खरीदना चाहता है. मगर दिन ब दिन यहां रेट आसमान छू रहे हैं. दो से तीन साल पहले जो प्रॉपर्टी आपको 50 लाख में मिल जाती थी, अब उसी के रेट एक से डेढ़ करोड़ तक जा पहुंचे हैं. इसका फायदा कई बिल्डर लोगों को चूना लगाकर उठा रहे हैं. वो उन जमीनों को भी बेच रहे हैं, जिन्हें बेचने की अनुमति उन्हें नहीं है.
आप पूछेंगे- हवाई अड्डा वाकई यहां से पास है क्या? सामने से जवाब मिलेगा- बेहतरीन लोकेशन है, इसमें कोई शक नहीं. मगर सावधान… ये उन बेईमान डीलरों और जमीन के सौदागरों द्वारा रचे गए इस ताने-बाने में फंसने की दिशा में पहला कदम है. ये इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर विज्ञापन भी छपवाएं. आकर्षित तस्वीरों को सोशल मीडिया पर भी शेयर करेंगे. WhatsApp पर भी इन्हें फॉर्वर्ड करेंगे. प्रॉपर्टी की ऐसी तस्वीरें देख आप भी कहीं न कहीं सोचने पर मजबूर हो ही जाएंगे कि चलो क्यों न इस प्रॉपर्टी को खरीद ही लिया जाए. मगर, ये सब फर्जी बातें होती हैं. क्योंकि ये लोग जानबूझकर आपके फंसाने की कोशिशें करेंगे, वो उन प्लॉट्स और प्रॉपर्टी को दिखाकर आपको रिझाएंगे, जो वास्तव में उनकी हैं ही नहीं.
ऐसे कई नेटवर्क इस तरह के काम करते हैं, और उनकी कार्यप्रणाली भी एक जैसी होती है. सेल्सपर्सन खरीदारों से संपर्क करते हैं, नोएडा से लगभग 80 किलोमीटर दूर स्थित जगह तक कार पिक-अप का प्रबंध करते हैं और उन्हें सजे-धजे ‘शो प्लॉट्स’ पर ले जाते हैं. नकली नक्शों के जरिए, खरीदारों को भरोसा दिलाया जाता है कि यह निजी जमीन हैय यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) के अधिसूचित क्षेत्र से बाहर. वे कहते हैं- कृपया इस प्लॉट को बुक करने के लिए एक टोकन राशि का भुगतान करें. इसमें काफी लोग दिलचस्पी दिखा रहे हैं. अगर आपने देर की तो ये कीमती प्रॉपर्टी आपके हाथों से निकल जाएगी. इसकी कोई गारंटी भी नहीं है कि आपको यह मिल ही जाएगा.
दिल्ली-नोएडा से कितनी है दूरी
दरअसल, ये सभी ‘परियोजनाएं’ अलीगढ़ जिले की खैर तहसील में आती हैं और मास्टर प्लान 2031, चरण 2 के तहत विकास के लिए चिह्नित 92 अधिसूचित गांवों का हिस्सा हैं. दिल्ली से खैर की दूरी 100 किलोमीटर से ज्यादा और नोएडा से लगभग 80 किलोमीटर है. एजेंटों के अनुसार, आवासीय संपत्तियों की कीमतें 16,000 रुपये से 18,000 रुपये प्रति गज (वर्ग गज) तक हैं, जबकि व्यावसायिक संपत्तियों की कीमतें 18,000 रुपये से 24,000 रुपये प्रति गज तक हैं.
टाउनशिप की पड़ताल की
खैर तहसील में प्रवेश करते ही जेवर टोल प्लाजा पार करते ही धोखाधड़ी शुरू हो जाती है. सिमरौठी गांव में, श्री तुलसी वाटिका नामक एक परियोजना 200 बीघा से ज्यादा जमीन पर बनाई गई थी. टाइम्स ऑफ इंडिया द्वारा उस जगह का दौरा करने पर पता चला कि कई परिवार इस टाउनशिप की तलाश में हैं. सेल्समैन आर्यन ने आगंतुकों का गर्मजोशी से स्वागत किया- नोएडा हवाई अड्डा यहां से सिर्फ 24 किलोमीटर दूर है. फिल्म सिटी और अन्य बड़ी परियोजनाएं भी आ रही हैं. निवेश करने का यही सही समय है. ये सब बातें उन्होंने एक आधी-अधूरी सर्विस लेन की ओर इशारा करते हुए कहा, जो जल्द ही सीधे एक्सप्रेसवे से जुड़ जाएगी.
‘20% पेमेंट पर कब्जा और रजिस्ट्री’
वे बताते हैं कि प्लॉट 50 गज (गज) से शुरू होकर 200 गज तक के होते हैं, और “कस्टम रिक्वेस्ट” पर बड़े साइज भी उपलब्ध होते हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या कीमतों पर बातचीत की जा सकती है, उनका जवाब था- क्यों नहीं? एक बार प्लॉट चुन लेने के बाद, हम आमने-सामने बैठकर बात कर सकते हैं. आर्यन द्वारा दिखाए गए दस्तावेजों पर धीरज कुमार का नाम था, जो कथित तौर पर जमीन के मालिक हैं. उन्होंने आश्वासन दिया कि 40% भुगतान पर, खरीदार चारदीवारी बना सकता है. अगले 20% पर, कब्जा और रजिस्ट्री दी जाएगी. शेष 40% एक वर्ष में किश्तों में चुकाया जा सकता है. बैंक ऋण की कोई सुविधा नहीं है, लेकिन लचीला “इन-हाउस फाइनेंस” उपलब्ध है.
ऐसे जीता जाता है खरीदार का भरोसा
जब आर्यन से पूछा गया कि कहीं ये भी अवैध तो नहीं? क्योंकि आजकल कई तरह के फ्रॉड हो रहे हैं. इस पर उन्होंने कहा- हमारा प्रोजेक्ट पूरी तरह सुरक्षित है. आप सरकारी भूलेख वेबसाइट पर जमीन की वैधता की जांच कर सकते हैं. कई प्रोजेक्ट ऐसे होते हैं जहां एक ही प्लॉट कई खरीदारों को बेचा जाता है. हम ऐसे नहीं हैं. उन्होंने व्हाट्सएप पर जमीन के दस्तावेज़ भी साझा किए, यह दावा करते हुए कि जमीन गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए साफ की गई थी. कुछ ही किलोमीटर दूर, देवाका में श्री हरि वाटिका नाम की एक और बस्ती है. उन्होंने जो ब्रोशर दिखाया, उसमें नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे क्षेत्र में आवासीय, औद्योगिक और संस्थागत संपत्तियों का कारोबार करने का दावा किया गया था, लेकिन किसी विशिष्ट संपत्ति का उल्लेख नहीं किया गया था.उनके सेल्समैन ने लोगों को बताया- यह प्रोजेक्ट ताज इंटरनेशनल स्कूल के बगल में है, जो कि एक जर्जर इमारत है. 150 गज के प्लॉट के बारे में पूछताछ ही काफी थी कि सेल्समैन टाउनशिप के प्रवेश द्वार के पास पहले से ही चिह्नित प्लॉट की पेशकश करने को तैयार हो गया.
‘200 बीघा में फैलेगी परियोजना’
दिलचस्प बात यह है कि इन सभी टाउनशिप में जमीन का विस्तार अंतहीन लगता है. डेवलपर्स का कहना है कि परियोजना 200 बीघा में फैलेगी, लेकिन जैसे-जैसे फसल कटाई के बाद और ज़्यादा कृषि भूमि साफ होगी, इसका दायरा बढ़ता जाएगा. उनका यह भी दावा है कि वे रजिस्ट्री और म्यूटेशन के कागजात भी हासिल कर सकते हैं. अवैध कॉलोनियों के खिलाफ YEIDA की कार्रवाई के बारे में अगर इनसे बात करें तो वो इसे नजरअंदाज कर देते हैं.
चाहे वह घनघौली गांव की “गंगा सिटी परियोजना” हो या कोई अन्य टाउनशिप, उनकी वेबसाइटें अस्पष्ट लेआउट और स्टॉक इमेज दिखाती हैं, जिनमें वास्तविक स्वामित्व या डेवलपर के विवरण का कोई उल्लेख नहीं है. इसके अलावा, सैकड़ों बीघे में फैली ऐसी परियोजनाओं का रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) से कोई पंजीकरण नहीं है. हालांकि, डेवलपर्स के प्रतिनिधियों का दावा है कि उनकी ज़मीन फ्रीहोल्ड है और गांव के बगल में स्थित है, इसलिए उन्हें YEIDA की अनुमति की आवश्यकता नहीं है. वे आगे तर्क देते हैं कि रेरा के अधिकार क्षेत्र से बाहर होने के कारण, अधिनियम के तहत पंजीकरण अनिवार्य नहीं है.
विकास परियोंजवनाओं से जीमनें बनीं सोना
यीडा का अधिकार क्षेत्र छह जिलों – जीबी नगर, बुलंदशहर, हाथरस, अलीगढ़, मथुरा और आगरा में फैला है. हवाई अड्डा, फिल्म सिटी, लॉजिस्टिक पार्क और हेरिटेज सिटी जैसी विकास परियोजनाओं के कारण जमीन की कीमतों में भारी उछाल आया है, जिससे यह क्षेत्र जमीन हड़पने और अनधिकृत रियल एस्टेट गतिविधियों का एक प्रमुख क्षेत्र बन गया है. यह समस्या यीडा से छिपी नहीं है. पिछले तीन वर्षों में, प्राधिकरण ने लगभग 25 बड़े अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाए हैं, और लगभग 2,500 करोड़ रुपये मूल्य की जमीन को अवैध कब्ज़ों से मुक्त कराया है.
YEIDA के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जन जागरूकता की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा- लोग हवाई अड्डे के पास संपत्ति के मालिक होने के सपने से आकर्षित होते हैं. लेकिन उन्हें याद रखना चाहिए कि अगर यह YEIDA द्वारा आवंटित या अनुमोदित नहीं है, तो यह अवैध है, चाहे वह जमीनी स्तर पर कितनी भी वास्तविक क्यों न लगे. सप्ताहांत में साइट विजिट और मुफ्त कैब की सवारी के झांसे में न आएं. खरीदने से पहले पुष्टि कर लें. YEIDA के अधिकारी मानते हैं कि हाल के वर्षों में अवैध प्लाटिंग का स्तर बहुत बढ़ गया है. YEIDA के सीईओ आरके सिंह ने कहा कि उन्होंने प्राधिकरण के भीतर स्वीकृत पुलिस पदों को भरने के लिए DGP को पत्र लिखा है. उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, “हम आने वाले दिनों में, खासकर सप्ताहांत में, अपना अभियान तेज करेंगे.
पुलिस करती है नियमित निगरावनी
जेवर, वृंदावन और टप्पल के आसपास के संवेदनशील इलाकों पर पुलिस की नियमित निगरानी रखी जाती है. फिर भी, धोखाधड़ी वाली सोसायटियों का विशाल प्रसार प्रवर्तन को एक कठिन कार्य बना देता है. मई में, अलीगढ़ के सिमरौठी, हेतलपुर और टप्पल गांवों में 400 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की 27 हेक्टेयर से अधिक अतिक्रमित भूमि को पुनः प्राप्त किया गया.प्राधिकरण ने अलीगढ़ के टप्पल, गौतमबुद्ध नगर के जेवर और जहांगीरपुर और मथुरा के कुछ हिस्सों में 300 से ज़्यादा डेवलपर्स को नोटिस जारी किए हैं. YEIDA ने अनधिकृत निर्माण में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है. अलीगढ़ में, अवैध परियोजनाओं में उनकी भूमिका के लिए 57 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई हैं.
61 करोड़ रुपये मूल्य की जमीन जब्त
प्रवर्तन को मजबूत करने के लिए, YEIDA के स्वामित्व वाली जमीनों को अवैध कॉलोनाइजरों और भू-माफियाओं से बचाने के लिए एक सेवानिवृत्त डीएसपी रैंक के अधिकारी और एक पूर्व सैन्य अधिकारी को लगाया गया है. जुलाई में, अलीगढ़ में अधिकारियों ने नोएडा स्थित एक संगठित भू-माफिया के तीन सदस्यों से 61 करोड़ रुपये मूल्य की 40,000 वर्ग मीटर से ज़्यादा जमीन जब्त की. गोरौला गांव की यह जमीन अजीत कुमार रमन, श्रवण कुमार और प्रवीण कुमार पटेल द्वारा जालसाजी और धोखे से हासिल की गई थी.
रियल एस्टेट कंपनी का फर्जीवाड़ा
जीएसएम नाम की एक फर्जी रियल एस्टेट कंपनी के तहत काम करने वाले इन तीनों पर फर्जी दस्तावेजों और जमीन की कीमत बढ़ाने के झूठे वादों का इस्तेमाल करके किसानों और निवेशकों को ठगने का आरोप है. हर सप्ताहांत, वे यमुना एक्सप्रेसवे के पास बिक्री कार्यक्रम आयोजित करते थे और खरीदारों को दोपहर के भोजन और वैध जमीन का लालच देते थे. पिछले महीने, अलीगढ़ पुलिस ने टप्पल में 33 करोड़ रुपये से ज़्यादा की संपत्ति जब्त की थी. पुलिस टीमों ने रियल एस्टेट एजेंट मोहम्मद शारिब तस्नीम और साद रहमान की 15,200 वर्ग मीटर जमीन जब्त की.
EMES नाम की फर्जी कंपनी बनाई
दोनों ने फर्जी नक्शों और जाली मंजूरी का इस्तेमाल करके अपनी वैधता का दिखावा किया. अपने साथियों के साथ मिलकर उन्होंने ईएमईएस कंस्ट्रक्शन एलएलपी नाम की एक फर्जी कंपनी बनाई और 21वीं सेंचुरी कंपनी नामक एक अन्य कंपनी से लगभग 1.5 करोड़ रुपये अपने रिश्तेदारों और साथियों के खातों में ट्रांसफर कर लिए. उन्होंने टप्पल के नगला मेवा गांव में बिना YEIDA की मंजूरी के अवैध रूप से प्लॉट खरीदे और बेचे. राज्य सरकार ने YEIDA मास्टर प्लान 2041 और टप्पल-बाजना शहरी केंद्र के तहत महत्वाकांक्षी विकास योजनाओं को मंजूरी दी है. इस क्षेत्र को बदलने के लिए स्मार्ट गांवों, औद्योगिक केंद्रों और बुनियादी ढांचे के गलियारों की योजना बनाई गई है.