मोदी सरकार ने पाकिस्तान तनाव के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड को नया रूप दिया

पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच, मोदी सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (NSAB) में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। यह कदम भारत की सुरक्षा को और अधिक मजबूत करने के लिए उठाया गया है, खासकर उस समय जब देश को सीमा पर उत्पन्न खतरों और आतंकवाद के संभावित हमलों से निपटना है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड, जिसे भारत की सुरक्षा और रणनीतिक नीतियों के लिए एक महत्वपूर्ण संस्था माना जाता है, अब नए रूप में काम करेगा। आलोक जोशी, जो पहले रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) के प्रमुख रह चुके हैं, को इस बोर्ड का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। जोशी का इस पद पर चयन भारत के सुरक्षा परिदृश्य को नया दृष्टिकोण देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

आलोक जोशी का राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में लंबा अनुभव है। वह 2012 से 2014 तक RAW के प्रमुख रहे और 2015 से 2018 तक राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन (NTRO) के चेयरमैन के रूप में कार्य किया। जोशी का कार्यकाल सुरक्षा, खुफिया जानकारी और विशेष रूप से साइबर सुरक्षा के मामलों में काफी महत्वपूर्ण रहा है। उन्होंने पाकिस्तान और नेपाल जैसे पड़ोसी देशों में खुफिया अभियानों का संचालन किया है और सुरक्षा मामलों में अपने नेतृत्व के लिए सराहे गए हैं। उनकी नियुक्ति को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के नेतृत्व में एक रणनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है। डोभाल ने यह सुनिश्चित किया है कि बोर्ड अब ज्यादा प्रभावी और समृद्ध रूप में कार्य करेगा ताकि समकालीन सुरक्षा मुद्दों से निपटने के लिए नए और प्रभावी उपाय सुझाए जा सकें।

नए स्वरूप में, NSAB में कुल सात सदस्य होंगे, जिनमें सैन्य, पुलिस, और विदेश सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी शामिल होंगे। यह संरचना विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के अनुभवों को एकजुट करने के उद्देश्य से बनाई गई है। बोर्ड में तीन सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी, दो भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के सेवानिवृत्त अधिकारी और एक भारतीय विदेश सेवा (IFS) के सेवानिवृत्त अधिकारी होंगे। इन सभी का अनुभव सुरक्षा, खुफिया जानकारी और कूटनीति में गहरा है, और इनकी उपस्थिति बोर्ड को एक संतुलित और व्यापक दृष्टिकोण देने में मदद करेगी। इस बदलाव से यह उम्मीद की जा रही है कि भारत के सुरक्षा तंत्र में एक बेहतर समन्वय होगा और उसे चुनौतियों का सामना करने में अधिक मजबूती मिलेगी। यह कदम खासकर उन क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा संकटों के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, जिनका भारत को सामना करना पड़ रहा है, जैसे कि पाकिस्तान और चीन के साथ तनाव और साइबर हमलों का खतरा।

NSAB, जिसका गठन पहली बार 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान हुआ था, भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीतियों को तैयार करने और उन्हें लागू करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बोर्ड सुरक्षा नीतियों के लिए दीर्घकालिक विश्लेषण करता है और सलाह प्रदान करता है। पहले यह बोर्ड कई महत्वपूर्ण सुरक्षा पहलुओं पर काम कर चुका है, जैसे कि 2001 में परमाणु सिद्धांत का मसौदा तैयार करना, 2002 में रणनीतिक रक्षा समीक्षा और 2007 में राष्ट्रीय सुरक्षा समीक्षा। इन नीतियों ने भारतीय सुरक्षा तंत्र को स्थिरता प्रदान करने के साथ-साथ देश की रणनीतिक प्राथमिकताओं को सुनिश्चित किया है। अब, नई नियुक्तियों के साथ, यह उम्मीद की जा रही है कि NSAB देश की सुरक्षा रणनीतियों को और भी व्यापक और प्रासंगिक बनाएगा, खासकर जब पाकिस्तान और चीन से सुरक्षा खतरे लगातार बढ़ रहे हैं।

आलोक जोशी के नेतृत्व में, NSAB का उद्देश्य न केवल पारंपरिक सुरक्षा खतरों का मुकाबला करना होगा, बल्कि उन नए और उभरते खतरों से भी निपटना होगा जो साइबर युद्ध, आतंकवाद और अन्य तकनीकी चुनौतियों से संबंधित हैं। इन क्षेत्रों में जोशी का गहरा अनुभव और विशेषज्ञता बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकती है, खासकर जब दुनिया भर में साइबर हमलों की घटनाएं बढ़ रही हैं और आतंकवाद का खतरा लगातार मौजूद है। जोशी के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण कार्य होगा, लेकिन उनकी विशेषज्ञता और पूर्व अनुभव उन्हें इस कार्य को प्रभावी ढंग से करने में सक्षम बना सकते हैं।

नए बोर्ड की एक अन्य महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होगी भारत की सुरक्षा रणनीति को अंतिम रूप देना। भारत लंबे समय से एक राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति (NSS) को तैयार करने पर काम कर रहा है, और यह उम्मीद की जा रही है कि यह नया बोर्ड इस प्रक्रिया को गति देगा। राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का उद्देश्य भारत की सैन्य, कूटनीतिक और रणनीतिक नीतियों को एकीकृत करना है ताकि देश अपनी सुरक्षा स्थिति को बेहतर बना सके। खासकर पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी देशों से लगातार बढ़ते खतरों को देखते हुए, यह रणनीति भारतीय सुरक्षा तंत्र के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगी।

आलोक जोशी के नेतृत्व में, NSAB को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता होगी कि देश की सुरक्षा नीतियाँ न केवल पारंपरिक खतरों से निपटने के लिए तैयार हों, बल्कि नई और उभरती हुई चुनौतियों का भी सामना करने के लिए सक्षम हों। इससे भारतीय सुरक्षा तंत्र को अपनी सुरक्षा रणनीतियों को नए समय और परिस्थितियों के अनुरूप ढालने में मदद मिलेगी। जोशी की नियुक्ति एक संकेत है कि भारत अपनी सुरक्षा को गंभीरता से ले रहा है और भविष्य में आने वाली चुनौतियों के लिए पहले से तैयार हो रहा है।

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