मिशन 2027 की हुंकार: मायावती अब खुद संभालेंगी यूपी-उत्तराखंड की सियासी कमान

मायावती की राजनीति में वापसी की आहट एक बार फिर तेज़ हो गई है। 2027 के उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड विधानसभा चुनावों को लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती अब पूरी तरह से सक्रिय हो गई हैं। जहां पार्टी ने देश के बाकी राज्यों के लिए संगठन की जिम्मेदारी राष्ट्रीय और मुख्य समन्वयकों को सौंप दी है, वहीं उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की हर छोटी-बड़ी गतिविधि की निगरानी मायावती खुद कर रही हैं। यह पहली बार नहीं है जब मायावती ने चुनाव से पहले मैदान में उतरकर खुद कमान संभाली हो, लेकिन इस बार उनके अंदाज में एक नई गंभीरता और रणनीतिक सोच नजर आ रही है। पार्टी सूत्रों की मानें तो मायावती ने स्पष्ट संकेत दे दिए हैं कि वह खुद हर स्तर की बैठकों और फैसलों में शामिल होंगी। इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण 2024 के लोकसभा चुनावों में पार्टी का खराब प्रदर्शन और बसपा के परंपरागत वोट बैंक का बिखराव है। मायावती अब इस वोट बैंक को फिर से एकजुट करने की कोशिश में जुट गई हैं, खासकर दलित, पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग के साथ-साथ मुस्लिम तबके को भी एक बार फिर पार्टी से जोड़ने की कवायद शुरू हो चुकी है।

दिल्ली के लोधी एस्टेट स्थित सरकारी बंगले को खाली करने के बाद, अब यह कयास लगाए जा रहे हैं कि मायावती लखनऊ स्थित अपने आवास 9 मॉल एवेन्यू से पार्टी की सक्रियता और चुनावी रणनीति को गति देंगी। यह वही आवास है जहां से उन्होंने पहले भी सत्ता की राह तय की थी। ऐसे में संगठन को इस जगह से एक भावनात्मक और ऐतिहासिक ऊर्जा भी मिलती है। पार्टी के आंतरिक सूत्रों के मुताबिक मायावती 5 जून को लखनऊ पहुंच रही हैं, जहां लखनऊ मंडल समेत यूपी के कई मंडलों में संगठन की महत्वपूर्ण बैठकें आयोजित की जा रही हैं। इन बैठकों में संगठन को जमीनी स्तर पर कैसे मजबूत किया जाए, और किन वर्गों को फिर से पार्टी से जोड़ा जाए, इस पर विस्तार से चर्चा होगी। बसपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों का कहना है कि मायावती अब हर बैठक की रिपोर्ट खुद देख रही हैं, और किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जा रही है। यह मायावती के उस पुराने अंदाज की वापसी है जिसमें वह हर कार्यकर्ता की भूमिका पर नजर रखती थीं।

मायावती की सक्रियता के साथ ही पार्टी पुराने नेताओं और कार्यकर्ताओं को फिर से सक्रिय करने में जुट गई है। एक तरफ संगठन के ढांचे को फिर से व्यवस्थित किया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ स्थानीय स्तर पर जनसंपर्क अभियानों की तैयारी भी की जा रही है। दिल्ली में अब मायावती के 5 सरदार पटेल मार्ग स्थित नए आवास में रहने की चर्चा है, लेकिन उनकी असली राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र अब लखनऊ होता जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो मायावती की यह रणनीति एक लंबी राजनीतिक लड़ाई की तैयारी है, जिसमें वह धीरे-धीरे जमीन पर उतरकर पुराने वोट बैंक को वापस पाने का प्रयास करेंगी। उनके पास अनुभव है, संगठन की समझ है, और अब समय भी है। यदि वह अपने मिशन में सफल होती हैं तो उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की राजनीति में एक बार फिर बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। 2027 अभी दूर है, लेकिन मायावती ने जो गति पकड़ी है, उससे साफ है कि वह अब कोई भी मौका गंवाने के मूड में नहीं हैं।

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