मायावती ने बसपा में जोनल सिस्टम लागू किया
मायावती ने बसपा में जोनल सिस्टम लागू कर पार्टी को चुस्त-दुरुस्त किया। पश्चिमी यूपी में मनोज जाटव और आनंद चंद्रेश की नियुक्ति, सोशल इंजीनियरिंग रणनीति और युवा टीम की सक्रियता 2027 विधानसभा चुनावों की तैयारी को तेज कर रही है। गुटबाजी खत्म, कार्यकर्ता उत्साहित और बसपा फिर ताकतवर बनने को तैयार है।


उत्तर प्रदेश की सियासत में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) फिर से जोश भर रही है। 2027 के विधानसभा चुनावों से ठीक दो साल पहले पार्टी सुप्रीमो मायावती ने संगठन में ऐसा फेरबदल किया है, जो पुरानी कमजोरियों को दूर करने और नई ताकत जुटाने का वादा करता है। मंडलीय व्यवस्था को पूरी तरह अलविदा कहकर अब जोनल सिस्टम लागू कर दिया गया है। यह बदलाव सिर्फ कागजों पर नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर पार्टी को नई रफ्तार देने का प्रयास है। गाजियाबाद जैसे महत्वपूर्ण जिले में मनोज जाटव को नया अध्यक्ष बनाया गया, तो मेरठ मंडल की कमान आनंद चंद्रेश को सौंपी गई। शुक्रवार को जारी आधिकारिक आदेश ने इसकी मुहर लगा दी। राजनीतिक हलकों में इसे मायावती का मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है, जो गुटबाजी को कुचलने और कार्यकर्ताओं को एकजुट करने का हथियार बनेगा।
यूपी जैसे विशाल राज्य में बसपा का सफर कितना उतार-चढ़ाव भरा रहा है। 2007 में सोशल इंजीनियरिंग के जादू से मायावती ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी। दलितों के साथ मुस्लिम, ओबीसी और सवर्णों को जोड़कर उन्होंने इतिहास रचा। लेकिन उसके बाद के सालों में वोट शेयर घटता चला गया। 2024 के लोकसभा चुनावों में तो यह महज 2.4 फीसदी रह गया। यह आंकड़ा पार्टी के लिए घंटी की तरह बज रहा था। मायावती ने इसे नजरअंदाज नहीं किया। कांशीराम की 19वीं पुण्यतिथि पर लखनऊ की रैली में चार-पांच लाख की भीड़ जुटाकर उन्होंने संदेश दे दिया- बहुजन समाज अब शोषित नहीं, शासक बनेगा। उन्होंने कहा, “विरोधी दलों की नींद उड़ गई है।” यह रैली सिर्फ सभा नहीं, बल्कि मिशन 2027 का आगाज थी। अब जोनल सिस्टम इसी मिशन का दूसरा कदम है।
इस नई व्यवस्था में यूपी को छह जोनों में बांटा गया है। पहले 18 मंडलों की जटिल चेन थी, जो फैसलों को लटकाए रखती थी। अब नौ जोनों में काम बंटा है- प्रयागराज, गोरखपुर, अयोध्या, मेरठ, आगरा, कानपुर, लखनऊ समेत कई जिले इनमें शुमार हैं। हर जोन में दो मुख्य प्रभारी होंगे, जो मंडलीय स्तर के काम की समीक्षा करेंगे। तीन-चार सहायक नेता उनकी मदद करेंगे। सबसे खास बात, यह चेन सीधे मायावती तक पहुंचेगी। मतलब, कोई देरी नहीं, कोई बहाना नहीं। पार्टी के वरिष्ठ नेता बताते हैं कि इससे ग्रासरूट कार्यकर्ता शीर्ष नेतृत्व से जुड़ेंगे। गुटबाजी, जो बसपा की सबसे बड़ी कमजोरी बनी हुई थी, अब खत्म होने की कगार पर है। नए पदाधिकारियों को सख्त निर्देश हैं- अगले तीन महीनों में जिला और ब्लॉक स्तर पर बैठकें करें। कार्यकर्ता सम्मेलन हों, घर-घर पहुंच अभियान चले। यह सब 2027 की तैयारी का हिस्सा है।
अब बात करते हैं नई नियुक्तियों की, जो पश्चिमी यूपी पर खास फोकस दिखाती हैं। गाजियाबाद जिला, जो दिल्ली के करीब होने से हमेशा सियासी नजरों में रहता है, अब मनोज जाटव के कंधों पर है। जाटव समुदाय से आने वाले मनोज सालों से पार्टी के चहेते कार्यकर्ता हैं। पश्चिमी यूपी में दलित वोटों को एकजुट करने में उनकी भूमिका किसी से छिपी नहीं। हाल के चुनावों में यहां बसपा का वोट शेयर गिरा था, लेकिन मनोज के नेतृत्व में अब घर-घर जाकर नीतियां पहुंचाने का प्लान है। वे कहते हैं, “हम बहुजन समाज की आवाज को मजबूत करेंगे।” इसी तरह, मेरठ मंडल की जिम्मेदारी आनंद चंद्रेश को मिली है। अनुभवी नेता आनंद पहले भी कई जिलों में सक्रिय रहे। मेरठ में सहारनपुर, मुरादाबाद जैसे इलाके आते हैं, जहां बसपा का पुराना वोट बैंक मजबूत है। आनंद का काम है- कार्यकर्ता सम्मेलन बुलाना, चुनावी तैयारियां तेज करना। सूत्र बताते हैं, यह नियुक्ति पश्चिमी यूपी में खोई जमीन वापस हासिल करने की कोशिश है। मेरठ जोन में पहले से नौशाद अली और राजकुमार गौतम जैसे नेता सक्रिय हैं। आनंद की एंट्री से यह जोन और ताकतवर बनेगा।
मायावती की यह रणनीति सिर्फ आंतरिक सुधार तक सीमित नहीं। यह 2007 के उस फॉर्मूले को दोहराने का इरादा जाहिर करती है। सोशल इंजीनियरिंग का मतलब समझिए- भाईचारा कमेटियां बनाना, जहां दलित, मुस्लिम, ओबीसी और सवर्ण एक मंच पर आएं। मायावती खुद संगठन संभालेंगी, मंडल स्तर पर कैडर कैंप करेंगी। वहीं, उनके भतीजे और राष्ट्रीय समन्वयक आकाश आनंद युवा टीम को चला रहे हैं। जनसभाओं का आयोजन, बूथ कमेटियां तैयार करना- यह सब आकाश के जिम्मे है। हाल ही में लखनऊ बैठक में मायावती ने 2027 के लिए क्लियर टारगेट रखा- 226 सीटें जीतना। अप्रैल 2026 तक 403 सीटों पर संभावित उम्मीदवारों की लिस्ट तैयार हो जाएगी। हर तीन महीने में विधानसभा प्रभारियों की समीक्षा होगी। बिहार चुनावों के बाद फोकस पूरी तरह यूपी पर शिफ्ट हो जाएगा। मायावती ने रैली में साफ कहा, “बसपा अकेले लड़ेगी, गठबंधन का जाल नहीं फंसेंगे।” 1993 में सपा से, 1996 में कांग्रेस से गठबंधन में 67-67 सीटें मिलीं, लेकिन अकेले लड़ने से ज्यादा फायदा हुआ। यह इतिहास दोहराने का संकल्प है।
राजनीतिक पंडितों की नजर में यह बदलाव बसपा के पुनरुद्धार का संकेत है। एक वरिष्ठ विश्लेषक कहते हैं, “जोनल सिस्टम से पारदर्शिता आएगी, जवाबदेही बढ़ेगी। कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊंचा होगा।” खासकर आकाश आनंद की भूमिका मजबूत हो रही है। अक्टूबर में मायावती ने कहा था कि आकाश उनके निर्देशों पर काम करेंगे। युवाओं को जोड़ना, सोशल मीडिया पर सक्रियता बढ़ाना- यह सब नई पीढ़ी को पार्टी से जोड़ेगा। लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं। भाजपा की मजबूत पकड़, सपा का पीडीए फॉर्मूला, चंद्रशेखर आजाद जैसे नए चेहरे दलित वोटों को बांट सकते हैं। फिर भी, मायावती का तेवर बता रहा है कि वे हार मानने वालों में से नहीं। रैली में उन्होंने सपा को “दोगली पार्टी” कहा, कांग्रेस पर निशाना साधा। कार्यकर्ताओं से अपील की- विरोधियों के हथकंडों से सावधान रहो।
पश्चिमी यूपी पर फोकस इसलिए भी जरूरी है क्योंकि यहां बसपा का पारंपरिक गढ़ है। सहारनपुर से मेरठ तक के इलाकों में दलित-मुस्लिम समीकरण मजबूत रहा है। लेकिन 2019 और 2024 में वोट शेयर गिरा। जोनल सिस्टम से अब प्रभारी सीधे मायावती से रिपोर्ट करेंगे, तो कमियां जल्दी सुधरेंगी। मनोज जाटव जैसे स्थानीय चेहरों को जिम्मेदारी देकर पार्टी ने जमीनी कनेक्शन मजबूत किया है। आनंद चंद्रेश की नियुक्ति से मेरठ जोन में चुनावी माहौल गर्म हो जाएगा। पार्टी प्रवक्ता ने कहा, “यह बदलाव संगठन को चुस्त-दुरुस्त बनाएगा। फैसले तेजी से होंगे।” कुल मिलाकर, यह फेरबदल बसपा को नई ऊर्जा दे रहा है। कार्यकर्ता उत्साहित हैं, क्योंकि अब वे सीधे नेतृत्व से जुड़ेंगे।
2027 का चुनावी मैदान अभी दूर है, लेकिन मायावती की तैयारी ने सबको चौंका दिया है। कांशीराम के सपनों को पूरा करने का संकल्प, जोनल सिस्टम का नया ढांचा, युवाओं का जोश- सब कुछ मिलकर बसपा को फिर से शक्तिशाली बना सकता है। सवाल यह है कि क्या यह रणनीति वोट बैंक को एकजुट कर पाएगी? क्या सोशल इंजीनियरिंग का पुराना जादू चलेगा? समय ही बताएगा, लेकिन फिलहाल यूपी की सियासत में बसपा की हलचल तेज हो चुकी है। बहुजन समाज की नजरें मायावती पर टिकी हैं, और वे उम्मीद कर रहे हैं कि यह नया अध्याय जीत की कहानी लिखेगा।
				
					


