मार्क कार्नी अर्थशास्त्री से प्रधानमंत्री तक, एक महीने में कनाडा की राजनीति में आया बदलाव

मार्क कार्नी ने हाल ही में कनाडा के प्रधानमंत्री के रूप में सत्ता संभाली और इस बीच उन्होंने एक महीने के भीतर शानदार चुनावी जीत हासिल की, जिसे ‘असंभव सी जीत’ कहा जा रहा है। लिबरल पार्टी की इस अप्रत्याशित वापसी ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, खासकर उस वक्त जब देश आर्थिक अस्थिरता और अमेरिका के साथ बिगड़ते रिश्तों जैसे गंभीर मुद्दों से जूझ रहा था। इस चुनावी जीत के बाद, कार्नी ने अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर कड़ा हमला किया और कहा कि ट्रंप हमें तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं ताकि अमेरिका हम पर अपना प्रभुत्व जमा सके, लेकिन ऐसा कभी नहीं होगा।

मार्क कार्नी का प्रधानमंत्री बनने का सफर न सिर्फ दिलचस्प है, बल्कि इसने राजनीति में उनके प्रवेश की गहरी छाप छोड़ी है। मार्च में जब जस्टिन ट्रूडो ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया, तब कार्नी ने सत्ता संभाली। इस समय वे संसद के सदस्य नहीं थे, और यह कनाडा के इतिहास में एक अपूर्व घटना थी, जब किसी प्रधानमंत्री के पास हाउस ऑफ कॉमन्स की सदस्यता नहीं थी। इसके बावजूद, कार्नी ने ओटावा के पास नेपियन सीट से चुनाव लड़ा और शानदार जीत दर्ज की, जिससे उनकी राजनीतिक ताकत का संकेत मिला।

एक अर्थशास्त्री के रूप में उनका करियर बेहद समृद्ध रहा है। कार्नी ने 2008 से 2013 तक बैंक ऑफ कनाडा के गवर्नर के रूप में काम किया और वैश्विक आर्थिक संकट के दौर में उनका नेतृत्व महत्वपूर्ण रहा। इसके बाद वे बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर बने और 2020 तक इस पद पर रहे, जहां वे पहले गैर-ब्रिटिश व्यक्ति बने। इसके साथ ही उन्होंने 2011 से 2018 तक फाइनेंशियल स्टेबिलिटी बोर्ड के चेयर के रूप में वैश्विक आर्थिक नीतियों में अहम भूमिका निभाई। इसके अलावा, वे 2019 से 2025 तक संयुक्त राष्ट्र के स्पेशल एनवॉय फॉर क्लाइमेट एक्शन एंड फाइनेंस भी रहे।

मार्क कार्नी का जन्म कनाडा के नॉर्थवेस्ट टेरिटरीज़ के एक छोटे से कस्बे फोर्ट स्मिथ में हुआ। वे आयरलैंड के काउंटी मेयो से ताल्लुक रखने वाले परिवार से आते हैं। उन्होंने अपनी शिक्षा हावर्ड यूनिवर्सिटी से प्राप्त की और वहीं से स्कॉलरशिप पर पढ़ाई करते हुए आइस हॉकी भी खेली। इसके बाद उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की, जिससे उनकी विद्वता में चार चाँद लग गए।

अमेरिका और ट्रंप पर उनका रुख बेहद सख्त रहा है, खासकर जब ट्रंप ने कनाडा को अमेरिका का ’51वां राज्य’ बनाने की बात की थी। ट्रंप के इस बयान पर कार्नी ने तीखी प्रतिक्रिया दी, यह दर्शाते हुए कि कनाडा किसी के भी दबाव में आकर अपनी स्वतंत्रता नहीं खो सकता। वे पहले भी ट्रंप के आर्थिक फैसलों के प्रत्यक्ष गवाह रह चुके थे और उनके द्वारा की गई नीतियों के बारे में खुलकर अपनी राय रखी।

कार्नी पर्यावरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए भी प्रसिद्ध हैं। 2021 में उन्होंने ग्लासगो फाइनेंशियल अलायंस फॉर नेट ज़ीरो की शुरुआत की थी, जो पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम था। प्रधानमंत्री बनने के बाद, उन्होंने 1 अप्रैल से ट्रूडो सरकार की विवादास्पद कार्बन टैक्स नीति को समाप्त करने का निर्णय लिया, हालांकि वे पहले इस तरह की नीतियों के पक्षधर रहे थे। यह बदलाव उनके नेतृत्व के दृष्टिकोण को दर्शाता है कि वे कनाडा के आर्थिक और पर्यावरणीय भविष्य को प्राथमिकता देने के लिए तैयार हैं।

मार्क कार्नी की राजनीतिक यात्रा ने कनाडा को एक नया दिशा दिखाने का वादा किया है। उनकी कड़ी मेहनत और संघर्ष ने उन्हें सफलता दिलाई, और उनके नेतृत्व में कनाडा को नई ऊँचाइयों तक ले जाने का सपना देखा जा रहा है। ट्रंप और उनके जैसे अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर उनका कड़ा रुख यह सिद्ध करता है कि वे केवल आर्थिक या पर्यावरणीय मुद्दों पर नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गरिमा और आत्मनिर्भरता पर भी बल देंगे। उनके नेतृत्व में कनाडा को एक मजबूत और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनने की दिशा में आगे बढ़ने का अवसर मिला है।

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