कानपुर से वाराणसी तक ‘आई लव मोहम्मद’ बनाम ‘आई लव महादेव’ विवाद सियासत गरमाया
कानपुर से शुरू हुआ ‘आई लव मोहम्मद’ विवाद उत्तर भारत के कई शहरों में फैल गया। मुस्लिम समुदाय इसे पैगंबर मोहम्मद के प्रति प्रेम मानता है, जबकि हिंदू संगठन इसे सांस्कृतिक घुसपैठ कहते हैं। पुलिस ने कार्रवाई की, सोशल मीडिया पर बहस तेज हुई। विरोध में ‘आई लव महादेव’ अभियान शुरू हुआ। मामला धार्मिक और सियासी तनाव का रूप ले चुका है।

अजय कुमार, वरिष्ठ पत्रकार
कानपुर की तंग गलियों से शुरू हुआ एक छोटा-सा नारा आज देश भर में चर्चा का विषय बन चुका है। बारावफात के पावन मौके पर मुस्लिम समुदाय के कुछ युवाओं ने सड़कों पर बैनर लगाए, जिन पर लिखा था ‘आई लव मोहम्मद’। यह नारा पहले तो पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के प्रति प्रेम और श्रद्धा का प्रतीक लगा। लेकिन जल्द ही हिंदू संगठनों के विरोध ने इसे धार्मिक तनाव का रूप दे दिया। कानपुर के रावतपुर सैयदनगर में बवाल मच गया, जब स्थानीय लोगों ने इसे नई परंपरा और उकसावे की साजिश करार दिया। पुलिस को भारी बल के साथ उतरना पड़ा, और 25 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई। यह विवाद यहीं नहीं रुका। देखते-देखते यह आग लखनऊ, बरेली, वाराणसी, भदोही, शाहजहांपुर, ऊधम सिंह नगर, ठाणे और लातूर जैसे शहरों तक फैल गई। उन्नाव में जुलूस के दौरान पथराव और लाठीचार्ज की नौबत आ गई, जब कुछ युवा ‘आई लव मोहम्मद’ के बैनर लेकर सड़क पर उतरे। शुक्लागंज की सीताराम कॉलोनी में यह हंगामा इतना बढ़ा कि कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। समाजवादी पार्टी के विधायक रूमी हसन और अमिताभ बाजपेयी ने कानपुर पुलिस कमिश्नर से मुलाकात कर एफआईआर रद्द करने की मांग की। उनका कहना था कि यह नारा धार्मिक भावनाओं का प्रतीक है, और इसे रोकना समुदाय के सम्मान को ठेस पहुँचाना है।
इस विवाद की जड़ें गहरी हैं। कानपुर की घटना के बाद सोशल मीडिया पर ‘आई लव मोहम्मद’ का ट्रेंड तेजी से फैला। हजारों लोग इस नारे को लिखने लगे, मानो यह उनकी आस्था का हिस्सा हो। एक यूजर ने लिखा, हमारे नबी मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम सबसे महान हैं। उनसे प्यार करना हमारा हक है। एक हिंदू लड़की का वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वह कह रही थी, मैं सनातनी हूँ, लेकिन ‘आई लव मोहम्मद’ बोलने में कोई बुराई नहीं। जो चाहे, कार्रवाई कर ले। इस वीडियो को लाखों लोगों ने देखा, और कई ने इसे भाईचारे का प्रतीक बताया। लेकिन हिंदू संगठनों ने इसे सांस्कृतिक घुसपैठ और साजिश करार दिया। उनके मुताबिक, इस्लाम में अंग्रेजी शब्द ‘लव’ और पश्चिमी तौर-तरीके स्वीकार्य नहीं हैं। शुभम मिश्रा नाम के एक स्थानीय नेता ने कहा, धर्म की आड़ में माहौल खराब करने की कोशिश हो रही है। कानपुर से शुरू होकर अन्य शहरों में रैलियाँ निकाली जा रही हैं। लेकिन योगी सरकार की पुलिस सख्ती से निपट रही है, जो जरूरी है। उन्नाव में पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में लिया और जुलूसों पर रोक लगा दी। ऊधम सिंह नगर में जुलूस के दौरान कुछ लोगों ने नारे लगाए, हमें नेपाल जैसा मजबूर न करो, जिससे तनाव बढ़ गया। महाराष्ट्र के ठाणे और लातूर में भी ऐसे जुलूस निकले, लेकिन पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की।
इस विवाद का सबसे जोरदार जवाब वाराणसी से आया। काशी के प्राचीन घाटों और मंदिरों की नगरी में हिंदू संतों ने ‘आई लव महादेव’ का अभियान शुरू किया। शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती के नेतृत्व में सैकड़ों संत सड़कों पर उतरे। काशी विश्वनाथ मंदिर से दशाश्वमेध घाट तक मार्च निकाला गया, जिसमें लोग ‘आई लव महादेव’ की तख्तियाँ लिए नजर आए। ‘हर हर महादेव’ के जयकारों और शंखनाद से काशी गूंज उठी। युवा, महिलाएँ और बच्चे भी इस मार्च में शामिल हुए। शहर के बाजारों, पार्कों और घरों पर ‘आई लव महादेव’ के पोस्टर चस्पा किए गए, जिन पर लिखा था, महादेव ही सर्वोपरि हैं। सनातन धर्म सबसे प्राचीन है। शंकराचार्य ने अपने संबोधन में कहा, ‘आई लव मोहम्मद’ के नाम पर शक्ति प्रदर्शन की कोशिश हो रही है। यह चुनी हुई सरकार के खिलाफ साजिश है। हम 70 प्रतिशत बहुसंख्यक समाज को सड़क पर उतार सकते हैं। अगर शांति की भाषा नहीं समझी गई, तो महादेव की फौज जवाब देगी। उन्होंने ‘महादेव सेना’ का जिक्र किया, जिसमें पाँच करोड़ सैनिक और 10 लाख नागा साधु शामिल बताए गए। एक संत ने कहा, “यह अभियान शांति का संदेश देता है, लेकिन जरूरत पड़ी तो हमारी सेना तैयार है। इस प्रदर्शन में कोई हिंसा नहीं हुई, लेकिन पुलिस ने सतर्कता बरतते हुए भारी सुरक्षा तैनात की। सोशल मीडिया पर यह कैंपेन तेजी से वायरल हुआ। लोग लिख रहे हैं, हिंदुओं, अपनी ताकत दिखाओ। ‘आई लव महादेव’ लिखो। एक पोस्ट में लिखा, “राम मंदिर के बाद काशी और मथुरा की बारी है। तब तक ‘आई लव महादेव’ जारी रखो।
यह विवाद अब सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सियासी रंग ले चुका है। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने कहा, इस मामले की जड़ तलाशनी चाहिए। ‘आई लव मोहम्मद’ और ‘आई लव महादेव’ का ट्रेंड धार्मिक तनाव बढ़ाने की कोशिश है। सुशील पांडेय जैसे नेताओं ने इसे गलत बताया। उन्होंने कहा, सनातन धर्म और महादेव ही सर्वोच्च हैं। इस तरह का ट्रेंड नहीं चलना चाहिए। पतंजलि पांडेय ने योगी सरकार की तारीफ की, “दंगाई जेल में हैं। वे जेल से ही जुलूस निकालकर माहौल खराब करना चाहते हैं। अगर वे सड़क पर उतरेंगे, तो सनातनी भी अपनी ताकत दिखाएँगे। शुभम सोनकर ने कहा, ‘आई लव मोहम्मद’ बोलने वालों को ‘आई लव इंडिया’ और ‘आई हेट पाकिस्तान’ भी बोलना चाहिए। अगर वे ऐसा नहीं करते, तो उनकी मंशा साफ हो जाती है। वाराणसी के लोग इसे दंगे की साजिश बता रहे हैं। एक स्थानीय निवासी ने कहा, ‘आई लव महादेव’ में कोई विवाद नहीं। सनातन धर्म सबसे पुराना है, और यह शांति का प्रतीक है।
यह मसला भारत की बहुलतावादी संस्कृति का आईना है। एक तरफ प्यार का नारा, दूसरी तरफ भक्ति का उद्घोष। कानपुर की सड़कों से काशी के घाटों तक, यह विवाद हमें सोचने पर मजबूर करता है। क्या हमारा समाज इतना संवेदनशील हो गया है कि एक नारा तनाव पैदा कर दे? मुस्लिम समुदाय इसे पैगंबर के प्रति प्रेम का प्रतीक मानता है, जबकि हिंदू संगठन इसे सांस्कृतिक घुसपैठ कहते हैं। बीच में फंसा है आम आदमी, जो सिर्फ अमन चाहता है। उन्नाव में हिंसा हुई, लेकिन वाराणसी में संतों ने शांतिपूर्ण जवाब दिया। योगी सरकार की पुलिस सख्ती बरत रही है। एफआईआर और कार्रवाइयाँ जारी हैं। अखिलेश जैसे नेता इसे सियासी रंग दे रहे हैं, जबकि भाजपा इसे कानून-व्यवस्था का मसला बता रही है। सोशल मीडिया पर लाखों पोस्ट्स हो चुके हैं। एक तरफ ‘आई लव मोहम्मद’ के समर्थन में वीडियो, दूसरी तरफ ‘आई लव महादेव’ के पोस्टर। युवा इन नारों के जरिए अपनी पहचान तलाश रहे हैं।
सवाल वही है कि यह विवाद कब थमेगा? क्या यह भाईचारे का रास्ता बनाएगा या दीवार खड़ी करेगा? काशी के संतों ने कहा, शांति का संदेश दो, लेकिन तैयार रहो। कानपुर की घटना ने सिखाया कि धार्मिक उत्सवों में सावधानी बरतनी होगी। पुलिस की सख्ती से जुलूस रुके, लेकिन सोशल मीडिया पर बहस थमने का नाम नहीं ले रही। एक यूजर ने लिखा, ‘आई लव मोहम्मद’ मोहब्बत का पैगाम है, लेकिन अगर इससे दंगा होता है, तो चुप रहना बेहतर। हिंदू पक्ष कहता है, सनातन में सब समाहित है। ‘आई लव महादेव’ सबको बोलना चाहिए। यह विवाद हमें याद दिलाता है कि भारत की मिट्टी में हिंदू-मुस्लिम एकता की जड़ें गहरी हैं। छोटी-सी चिंगारी बड़ी आग भड़का सकती है। उम्मीद है कि बुद्धिजीवी और नेता मिलकर इसे सुलझाएँगे। नारे प्यार के हों, नफरत के नहीं। अगर सब ‘आई लव इंडिया’ बोलें, तो शायद यह मसला अपने आप सुलझ जाए। महादेव और मोहम्मद दोनों शांति के दूत हैं। उनका संदेश यही है प्रेम फैलाओ, नफरत नहीं।
				
					


