भारत की पाकिस्तान पर आर्थिक स्ट्राइक सभी सामानों के आयात पर रोक

भारत ने पाकिस्तान से सभी प्रकार के सामानों के आयात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है। यह निर्णय 2 मई 2025 को वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के माध्यम से लिया गया, जो कि विदेश व्यापार नीति (FTP) 2023 में संशोधन के तहत लागू हुआ है। इस कदम से यह स्पष्ट हो गया है कि भारत अब अपने राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक नीति के संदर्भ में कड़े कदम उठा रहा है।

विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने इस निर्णय को राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक नीति के हित में लिया गया कदम बताया है। अधिसूचना में यह भी उल्लेख किया गया है कि पाकिस्तान से उत्पन्न या वहां से निर्यात किए गए सभी प्रकार के माल, चाहे वे स्वतंत्र रूप से आयात करने योग्य हों या अन्य नियमों के तहत अनुमत, उनका प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आयात या ट्रांजिट तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित किया जाएगा, जब तक कोई अगला आदेश जारी न हो।

यह कदम 22 अप्रैल 2025 को जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद उठाया गया है, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। इन मारे गए लोगों में अधिकांश पर्यटक थे, और यह हमला पाकिस्तान से प्रायोजित आतंकियों द्वारा किया गया था, जिसे भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा संदेश भेजने के रूप में देखा। इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया और साथ ही अन्य कूटनीतिक और व्यापारिक कदम उठाने का निर्णय लिया।

भारत के इस फैसले ने पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी परेशान किया है। पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि, असीम इफ्तिखार अहमद ने भारत के फैसलों को “वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए खतरा” बताया। पाकिस्तान ने भारत की नीतियों पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए संयुक्त राष्ट्र में यह मुद्दा उठाया। हालांकि, भारत का रुख अभी भी मजबूत और स्पष्ट है कि वह पाकिस्तान से आतंकवाद का समर्थन नहीं सहन करेगा।

भारत ने कूटनीतिक और आर्थिक मोर्चे पर पाकिस्तान को घेरने की रणनीति को बढ़ावा दिया है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने यूरोपीय संघ की विदेश मंत्री काजा कल्लस से बातचीत के दौरान पाकिस्तान की भूमिका को उजागर किया और पश्चिमी देशों से स्पष्ट समर्थन की उम्मीद जताई। इस बातचीत में भारत ने बताया कि किस तरह पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवाद ने भारतीय नागरिकों की जान ली और पाकिस्तान की जिम्मेदारी को बताया।

भारत का यह निर्णय केवल पाकिस्तान को कूटनीतिक दबाव में लाने का एक कदम नहीं है, बल्कि यह भारत की बहुआयामी रणनीति का हिस्सा है। भारत ने पहले सिंधु जल संधि पर पुनर्विचार की घोषणा की थी और अब पाकिस्तान से सभी प्रकार के आयात पर प्रतिबंध लगाकर आर्थिक दबाव बनाने की कोशिश की है। यह कदम यह दर्शाता है कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ केवल सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि आर्थिक और कूटनीतिक मोर्चे पर भी सक्रिय है।

पाकिस्तान को इस निर्णय के बाद बड़ा आर्थिक झटका लग सकता है, क्योंकि भारत से आयात पर निर्भर पाकिस्तान के कई उद्योगों को इसकी कमी महसूस होगी। पाकिस्तान ने हालांकि इस कदम को व्यापारिक युद्ध की तरह देखा है, और वह इस पर विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी बात रखने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान ने पश्चिमी देशों का समर्थन जुटाने के प्रयास किए हैं, लेकिन भारत ने इस मुद्दे पर पश्चिमी देशों से भी समर्थन प्राप्त किया है।

भारत ने इस कदम से यह संदेश दिया है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह भी देखा जा रहा है कि भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में यह नया मोड़ दोनों देशों के बीच और तनाव बढ़ा सकता है। पाकिस्तान के लिए यह चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्योंकि वह पहले से ही आर्थिक संकट का सामना कर रहा है।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस पर चिंता व्यक्त की है, और संयुक्त राष्ट्र ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है। यूरोपीय संघ और अमेरिका ने भी दोनों देशों से तनाव कम करने की अपील की है, लेकिन भारत का रुख स्पष्ट है कि जब तक पाकिस्तान अपने आतंकवाद-समर्थन से नहीं पीछे हटता, तब तक वह इस तरह के कड़े कदम उठाता रहेगा।

Related Articles

Back to top button