10 साल बाद जेल से बाहर आ रहा है गद्दाफी का बेटा, लीबिया में होगा बड़ा उलटफेर?
हैन्निबल गद्दाफी, लीबिया के तानाशाह मुअम्मर गद्दाफी का बेटा है. हैन्निबल 2015 से लेबनान जेल में बंद है. उस पर 1978 में इमाम मूसा सद्र के लापता होने की जानकारी छिपाने का आरोप है. हाल ही में गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के बाद, पत्रकार अब्बास बद्रद्दीन के परिवार ने उसकी रिहाई का समर्थन किया है. वकील मानवीय आधार पर रिहाई की मांग कर रहे हैं.

हैन्निबल गद्दाफी, पूर्व लीबियाई नेता मुअम्मर गद्दाफी का बेटा है. मुअम्मर गद्दाफी ने 27 साल की उम्र में लीबिया में तख्तापलट किया था. 42 सालों तक देश में राज किया. अब तानाशाह का बेटा जेल से बाहर आ सकता है. हैन्निबल गद्दाफी दिसंबर 2015 से लेबनान में हिरासत में है. उस पर 1978 में इमाम मूसा सद्र, शेख, हसन याकूब और पत्रकार अब्बास बद्रद्दीन के अपहरण और लापता होने में जानकारी छिपाने का आरोप है. हालांकि, हैन्निबल दावा करता रहा है कि उसे अपहरण के बारे में कोई जानकारी नहीं है.हैन्निबल गद्दाफी के फ्रांसीसी वकील लौरेंट बायोन के अनुसार, पत्रकार अब्बास बद्रद्दीन के बेटे जहीर बद्रद्दीन के परिवार ने हैन्निबल की रिहाई का समर्थन किया है और 1 अक्टूबर को इस संबंध में नोटिस पर हस्ताक्षर किए. यह अनुरोध लेबनानी महाप्रॉक्यूटर जनरल को भेजा गया है, जिन्हें 24 घंटे के अंदर अपनी राय देनी होगी.
10 साल से जेल में बंद
हैन्निबल पिछले 10 साल से बेरूत में जेल में बंद है और अब तक उसे सिर्फ एक बार मिलने की अनुमति मिली है. उसके वकील ने हिरासत की अमानवीय स्थिति की आलोचना की है और बताया कि उन्हें सीरिया से अपहरण कर लेबनान लाया गया था.हाल ही में अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई और उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें गंभीर निमोनिया और लीवर में सूजन है. यह पहली बार है कि 10 साल में उन्होंने जेल से बाहर रात बिताई.
जून में भी किया था रिहाई का अनुरोध
इस साल जून में उनके वकील ने रिहाई के लिए नया अनुरोध दायर किया था. हालांकि, इमाम सद्र और शेख याकूब के परिवार ने उनकी रिहाई का विरोध किया, बद्रद्दीन परिवार का समर्थन इस लंबे समय से रुके मामले में एक बड़ी सफलता माना जा रहा है. वकील बायोन के अनुसार, मामले में पर्याप्त सबूत नहीं हैं और 2017 के बाद से किसी भी जज ने हैन्निबल से मुलाकात नहीं की. फिलहाल, वो शारीरिक और मानसिक समस्याओं से जूझ रहे हैं, लेकिन लेबनानी कोर्ट और नई सरकार से न्याय की उम्मीद बनाए हुए हैं.
कौन हैं हैन्निबल गद्दाफी?
मुअम्मर गद्दाफी के पांचवें और सबसे छोटे बेटे हैन्निबल गद्दाफी हैं. उनका जन्म 1975 में हुआ था. साल 2015 से बेरूत के आंतरिक सुरक्षा बलों के मुख्यालय में बंद रखा गया है. उनका संबंध लेबनानी शिया इमाम मूसा अल-सद्र के 1978 में त्रिपोली, लीबिया में लापता होने के मामले से बताया गया है. उस समय हैन्निबल सिर्फ तीन साल के थे.
पिता की हत्या के बाद सीरिया भागे
इमाम मूसा अल-सद्र अमाल मूवमेंट नामक शिया राजनीतिक पार्टी के संस्थापकों में से एक थे और उनके लापता होने के लिए लेबनान ने मुअम्मर गद्दाफी को दोषी ठहराया. 2011 में मुअम्मर गद्दाफी की सत्ता के पतन और हत्या के बाद, हैन्निबल अपनी पत्नी और कुछ भाई-बहनों के साथ अल्जीरिया भाग गए और बाद में सीरिया में राजनीतिक शरणार्थी के रूप में बसे.
अपहरण के लगे आरोप
2015 में, उनके वकीलों के अनुसार, हैन्निबल को एक अखबार के इंटरव्यू का बहाना देकर सीरिया-लेबनान सीमा पर बुलाया गया और एक समूह ने उन्हें अपहरण कर लेबनान ले गया. उनके वकील दावा करते हैं कि इस अपहरण के पीछे हसन याकूब, जो तब हिज्बुल्लाह के सांसद थे, वो थे. याकूब के पिता और पत्रकार अब्बास बदर एल-दीन भी अल-सद्र के साथ लीबिया गए थे और लापता हो गए थे.अपहरण के दौरान, हैन्निबल का एक वीडियो 11 दिसंबर 2015 को लेबनान के अल Jadeed टीवी चैनल पर दिखाया गया, जिसमें उनके चेहरे पर चोट के निशान थे. उन्होंने कहा कि उनकी सेहत ठीक है और जो लोग अल-सद्र के लापता होने के बारे में जानकारी रखते हैं, वे सामने आएं.
रिपोर्ट के अनुसार, उन्हें अमाल मूवमेंट से जुड़े लोगों ने पकड़ लिया, लेकिन अगले दिन उन्हें बालेबेक से रिहा करके लेबनानी अधिकारियों ने बेरूत ले गए. 17 दिसंबर को हसन याकूब को अपहरण में संलिप्त होने के शक में हिरासत में लिया गया.हैन्निबल लगातार दावा करते रहे हैं कि वो निर्दोष है. साल 2022 में, उन्होंने सऊदी टीवी अल हदाथ के जरिए से कहा कि एक दो साल का बच्चा कैसे जान सकता है कि इमाम कहां है. उनके वकील ने कहा कि हैन्निबल एक निर्दोष व्यक्ति हैं और उनका एकमात्र अपराध यह है कि वो गद्दाफी का बेटा हैं, इसके अलावा उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया.
मूसा अल-सद्र की कहानी
1978 में लेबनान का शिया मौलवी मूसा अल-सद्र अचानक गायब हो गया. मूसा का लेबनान में बहुत ही प्रभाव है. 1975 में उसने ईसाइयों के खिलाफ मुस्लिमों को एकजुट किया था. लीबिया हमेशा कहता रहा है कि 1978 में वो अपने साथियों के साथ लीबिया के त्रिपोली से रोम के लिए निकल गए थे. मगर उसके कई समर्थकों का मानना है कि गद्दाफी ने पैसों के लिए उसे मरवा दिया था.
				
					


