ड्रोन के जरिए अब युद्ध की दिशा बदलने की होती है कोशिश

डॉ. मनन द्विवेदी

भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान में कई स्थानों पर हवाई रक्षा रडार और प्रणाली को निशाना बनाया। भारत का जवाब उसी क्षेत्र में और उसी तीव्रता के साथ रहा, जैसा पाकिस्तान का था। लाहौर स्थित एक एयर डिफेंस सिस्टम को निष्क्रिय कर दिया गया है। बताया जाता है कि पाकिस्तान ने हमले में ड्रोन का भी इस्तेमाल किया। पाकिस्तान के पास कई तरह के ड्रोन हैं, लेकिन भारत के पास भी अत्याधुनिक ड्रोन हैं। इनमें से एक है इजरायली हार्पी ड्रोन। ये अत्यंत उन्नत, सटीक और घातक माने जाते हैं। विश्व के कई स्थानों पर इनके प्रभावी उपयोग से यह सिद्ध भी हो चुका है। ये ड्रोन लंबी अवधि तक शत्रु की भीषण गोलीबारी के बीच उड़ान भर सकते हैं और लक्ष्य साध सकते हैं। हार्पी ड्रोन पूर्व निर्धारित क्षेत्रों में दुश्मन के सैन्य ठिकानों और भंडारण स्थलों की पहचान कर, बहुकोणीय दृष्टिकोण से सटीक प्रहार कर सकते हैं, इसके लिए अग्रिम खुफिया सूचना की आवश्यकता नहीं होती। ऐसे ड्रोनों की एक और विशेषता यह है कि ये जीएनएसएस जैमिंग के विरुद्ध प्रतिरोधी होते हैं, जिससे ये शत्रु के इलेक्ट्रॉनिक अवरोध के बीच भी काम करने में सक्षम रहते हैं।

अवंतिपोरा, श्रीनगर, जम्मू, कपूरथला, अमृतसर और जालंधर जैसे स्थानों पर हमले के लिए पाकिस्तानी ड्रोन भी भारतीय सीमा में घुसपैठ के लिए आए थे, लेकिन भारतीय वायु रक्षा प्रणाली ने उन्हें समय रहते निष्प्रभावी कर दिया और उन्हें वापसी का कोई स्वचालित मार्ग नहीं मिल सका। इसके पश्चात जवाबी कार्रवाई करते हुए भारत ने पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम को निशाना बनाया। इस हमले का उद्देश्य यह भी रहा कि पाकिस्तानी वायुसेना भारतीय लड़ाकू विमानों को न रोक सके। प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार, कराची सहित कई पाकिस्तानी शहरों को निशाना बनाया गया है। स्थानीय पाकिस्तानी मीडिया ने इन हमलों को आसमानी बिजली करार दिया है। पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों पर हमला केवल सामरिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि प्रतीकात्मक रूप से भी महत्त्वपूर्ण है।

ऑपरेशन सिंदूर का अब विस्तार हो रहा हैै। प्रतीकात्मक हमलों के अलावा, पाकिस्तान की वायु रक्षा प्रणालियों को नुकसान पहुंचाया गया है। जैसा कि हम जानते हैं, ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने सिर्फ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था। इसके बावजूद, पाकिस्तान ने ड्रोन और मिसाइल हमलों के जरिए भारत के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की। इसलिए भारत को भी जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी। कराची जैसे स्थान पर हमला पाकिस्तान को कड़ा संदेश है कि वह अपनी हरकतों से बाज आए और भारतीय सैन्य या नागरिक ठिकानों को निशाना न बनाए। भारत यह भी सुनिश्चित करना चाहता है कि दुश्मन की एयर डिफेंस और रडार प्रणाली निष्क्रिय कर दी जाए, ताकि पूर्ण युद्ध की स्थिति में भारतीय लड़ाकू विमान दुश्मन की सीमा में आसानी से प्रवेश कर जाएं। भारत ने जवाबी हमला करके साफ कर दिया है कि यदि पाकिस्तान, भारतीय नागरिकों और सैनिकों को नुकसान पहुंचाएगा, तो उसे इसी तरह के हमले झेलने पड़ेंगे। पहलगाम में हुए आतंकी हमले में मारे गए लोगों को न्याय दिलाने के लिए पाकिस्तान और पाक अधिकृत क्षेत्र में स्थित आतंकी ठिकानों पर हमले किए गए थे। इसके बावजूद उसने भारतीय सैन्य ठिकानों की निशाना बनाकर भारत को जवाबी कार्रवाई के लिए बाध्य कर दिया। पाकिस्तान ने ड्रोन का भी इस्तेमाल किया।

साफ है कि युद्ध में ड्रोन की भूमिका बहुत बढ़ गई है। रूस द्वारा विकसित ड्रोन स्वार्म यानी झुंड तकनीक का प्रयोग आजकल कई देशों की सेना कर रही है, जिसमें अनेक ड्रोन एक साथ मिशन में भेजे जाते हैं। ये मानव रहित होते हैं, जिससे इनसे हमला करने पर कोई मानव हानि नहीं हेाती। प्रारंभ में ड्रोन का उपयोग मनोवैज्ञानिक युद्ध के एक हथियार के रूप में भी किया जाता है, जो दुश्मन की सीमाओं में जाकर जासूसी और टोह लेने का कार्य करते हैं। शुरुआत में, ड्रोन का उपयोग घरेलू बाजार में वस्तुओं और उत्पादों की डिलीवरी के लिए होता था, जहां ग्राहक ऑनलाइन ऑर्डर करने के बाद घर पर सामान प्राप्त कर सकते थे। लेकिन मानवरहित हवाई वाहनों (यूएवी) की हमलावर और घातक क्षमता को जल्द ही पहचान लिया गया और वे कुशल हथियार बन गए, जिनमें हमला करने वाले पक्ष को मानव क्षति की आशंका नहीं रहती, इसे केवल नियंत्रित करने की आवश्यकता होती है। यह बाजार से युद्ध के मैदान तक का एक सहज और प्रभावी परिवर्तन था।

रूस-यूक्रेन युद्ध और इजरायल-हमास संघर्ष में ड्रोन का जिस तरह से इस्तेमाल हुआ, उससे साफ है कि अब कोई भी देश ड्रोन की उपेक्षा नहीं कर सकता। ड्रोन आधुनिक युद्ध प्रणाली में मानव और मशीन की साझेदारी का अहम हिस्सा बन चुके हैं। अमरीकी प्रिडेटर ड्रोन और तुर्की के आधुनिक ड्रोन का कुशलता और सटीकता से इस्तेमाल हुआ है। जिस तरह से ड्रोनों का इस्तेमाल किया जा रहा है, उससे ऐसा लगता है कि भविष्य में ड्रोन पारंपरिक लड़ाकू विमानों की जगह ले सकते हैं। इसलिए भारत को ड्रोन क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। साथ ही दुश्मन के ड्रोनों को मार गिराने के लिए चौकस रहना होगा। सैन्य ठिकानों और दूसरे महत्त्वपूर्ण स्थानों पर ड्रोनों से सुरक्षा की व्यवस्था आवश्यक हो गई है।

Related Articles

Back to top button