दिवाली की मिठास में घुला जहर, मंदिरों तक पहुंची मिलावट साधु-संतों ने छेड़ा धर्मयुद्ध
दिवाली की रौशनी में इस बार मिठास नहीं, मिलावट का जहर घुल गया है। नकली घी, खोया और पनीर मंदिरों के प्रसाद तक पहुंच गया। आस्था पर हमले से आक्रोशित साधु-संतों ने इसे धर्मयुद्ध करार दिया है। सवाल है क्या त्योहार की थाली से जहर मिटेगा या ये परंपरा बन जाएगी?


दिवाली का पावन त्योहार रोशनी, खुशी और मिठास लेकर आता है, लेकिन इस साल 2025 में यह उत्सव मिलावटखोरों के जहर से घिरा हुआ नजर आ रहा है। घर-घर में दिए जलाए जाते हैं, मिठाइयां बांटी जाती हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बाजार में बिकने वाला घी, खोया और पनीर असली है या जहर? हर साल की तरह इस बार भी त्योहारों के मौसम में मिलावट का काला कारोबार जोरों पर है। दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद और गुरुग्राम जैसे शहरों में हाल ही में छापेमारी से हजारों किलो नकली सामान पकड़ा गया है। गुरुग्राम में तो 2000 किलो नकली पनीर और खोया बरामद हुआ, जो डेयरी से लेकर दुकानों तक फैला हुआ था। नोएडा-गाजियाबाद से 1000 किलो पनीर और 300 लीटर घी जब्त किया गया, जबकि दिल्ली से 1600 किलो मिलावटी घी पकड़ा गया। ये सब दिवाली के लिए तैयार किया जा रहा था, जिसमें वनस्पति तेल, पशु वसा और केमिकल्स की मिलावट थी। अगर ये बाजार में पहुंच जाते, तो लाखों परिवारों की थाली में जहर पहुंच जाता।
यह समस्या नई नहीं है, लेकिन 2025 में यह और गंभीर हो गई है। उत्तर प्रदेश के अयोध्या में तो हनुमानगढ़ी मंदिर के प्रसाद में मिलावट पाई गई। फूड सेफ्टी विभाग की जांच में बेसन के लड्डू में आर्टिफिशियल रंग, घटिया सामग्री और घी में बासीपन के साथ वनस्पति तेल की मिलावट निकली। रामनगरी जैसे पवित्र स्थान में यह अधर्म कैसे? इसी तरह, ग्वालियर में 1040 किलो मिलावटी मावा जब्त हुआ, जो भिंड की एक डेयरी से लाया जा रहा था। पटना में पनीर, सरसों तेल और खोये के सैंपल फेल हो गए। राजस्थान के जोधपुर में 500 किलो मिल्क केक, ग्रेटर नोएडा में 125 किलो नकली रसगुल्ले और 200 किलो पनीर पकड़ा गया। बुलंदशहर में सोन पापड़ी फैक्ट्री से डेढ़ लाख रुपये की मिलावटी मिठाई बरामद हुई, जहां काजू-पिस्ता की जगह रंगीन पोहा मिलाया जा रहा था। एक अनुमान के मुताबिक, दिवाली पर 1.5 लाख टन घी का उत्पादन होता है, जिसमें 25 हजार टन मिलावटी। खोये के 50-70 हजार टन में 10 हजार टन जहर। पनीर के 25 हजार टन में 7 हजार टन नकली। एफएसएसएआई की रिपोर्ट्स बताती हैं कि टेस्टेड सैंपलों का 30 प्रतिशत सबस्टैंडर्ड या मिलावटी पाया जाता है। हर 10 में से 7 लोग मिलावटी मिठाई खाते हैं, जो सेहत के लिए घातक है।
इस मिलावट के खिलाफ अब सनातन धर्म के रखवाले साधु-संत मैदान में उतर आए हैं। मध्य प्रदेश में साधु-संतों ने इसे ‘धर्मयुद्ध’ घोषित किया है। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर कहा कि सनातन त्योहारों को दूषित करने की साजिश हो रही है। उनके सर्वे में पूजा सामग्री तक में जहर मिलाया जा रहा है। साधु-संतों की मांग है कि मिठाइयों, डेयरी उत्पादों की सख्त जांच हो और मिलावटखोरों पर कार्रवाई हो। उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मिलावटखोरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और लाइसेंस रद्द करने के आदेश दिए, जहां 100 किलो मिलावटी सामग्री जब्त हुई। दिल्ली में बीजेपी विधायक रवि कांत त्रिलोकपुरी से और रवींद्र नेगी पटपड़गंज से सक्रिय हैं। उन्होंने खाद्य मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा और सीएम को अपील की कि मिलावटखोरों पर शिकंजा कसा जाए। दिल्ली-एनसीआर में एफएसएसएआई ने विशेष अभियान चलाया, जहां पनीर सबसे ज्यादा मिलावटी पाया गया। स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को मिलावट रोकने के निर्देश दिए हैं। ये कदम सराहनीय हैं, लेकिन सवाल है कि क्या ये काफी हैं? मिलावटखोर हर साल सक्रिय होते हैं, और सरकार की सख्ती सिर्फ त्योहारों तक सीमित क्यों?
मिलावटी खाने से सेहत पर क्या असर पड़ता है, यह समझना जरूरी है। मिलावटी मिठाइयों में स्टार्च, अनसैचुरेटेड फैट और खतरनाक केमिकल्स मिलाए जाते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल बढ़ाते हैं। इससे दिल के रोग, स्ट्रोक, किडनी फेलियर, एलर्जी, पेट दर्द और सांस की बीमारियां होती हैं। लंबे समय में हार्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा और कैंसर का खतरा बढ़ता है। अजमेर के डॉक्टर लोकेश कुमार मीणा कहते हैं कि मिलावटी मिठाई से ब्रेन कैंसर, माउथ कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, ल्यूकेमिया और श्वास संबंधी बीमारियां हो सकती हैं। पंजाब में पनीर और देसी घी में सबसे ज्यादा मिलावट पाई गई, जहां 531 सैंपलों में 196 घटिया और 59 असुरक्षित निकले। हाल ही में जहरीले दूध से दो बच्चों की मौत हो गई, और एफएसएसएआई ने 5000 लीटर मिलावटी दूध बहाया। मिलावट से पोषक तत्वों की कमी होती है, जैसे घी की जगह वनस्पति वसा का इस्तेमाल। पाचन संबंधी समस्याएं, उल्टी, दस्त और गैस जैसी दिक्कतें आम हैं। मिलावट की पहचान मुश्किल है, लेकिन घर पर जांच संभव है। घी में आयोडीन डालें, नीला रंग आए तो स्टार्च। खोये को पानी में घोलें, चिपचिपा हो तो मिलावट। पनीर पर आयोडीन डालें, नीला हो तो नकली। मिठाई हाथ में लें, रंग लगे तो मिलावटी। खोया दानेदार न हो तो शक करें। विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस 2025 पर एफएसएसएआई ने दूध, घी और मसालों में मिलावट पहचानने के तरीके बताए।
लेकिन यहां एफएसएसएआई की भूमिका पर सवाल उठते हैं। 2006 का खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम होने के बावजूद मिलावट क्यों नहीं रुक रही? एफएसएसएआई की आलोचना हो रही है कि नियम तो हैं, लेकिन अमल कमजोर। भ्रष्टाचार, कम स्टाफ और प्रयोगशालाओं की कमी से कार्रवाई धीमी है। 2023-24 में 1.5 लाख सैंपलों में 33 हजार गैर-अनुरूप पाए गए। पिछले 8 साल में मिलावट के मामले दोगुने हो गए। 2018-19 में 28 प्रतिशत फूड सैंपल मिलावटी या सबस्टैंडर्ड निकले। एफएसएसएआई ने 111 मसाला कंपनियों के लाइसेंस रद्द किए, लेकिन मसालों में जहरीले केमिकल्स अभी भी मिल रहे हैं। राजस्थान में 3141 केस कोर्ट गए, लेकिन सिर्फ 30 में आरोपी छूटे, जो सजा की कमजोरी दिखाता है। त्योहारों पर अभियान चलाते हैं, लेकिन सालभर निगरानी क्यों नहीं? महाकुंभ 2025 में फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स तैनात किए, लेकिन दिवाली में देरी क्यों? 24 प्रतिशत खाद्य तेल मिलावटी, फिर भी रोकथाम नहीं। ऑनलाइन फूड डिलीवरी में नए नियम आने वाले हैं, लेकिन कब? उपभोक्ता शिकायत ऐप है, लेकिन कार्रवाई में महीनों लगते हैं। एफएसएसएआई खुद को विश्व नेता बता रही है, 14 वैश्विक मानक विकसित किए, लेकिन जमीनी हकीकत अलग है। स्कूली बच्चों के लिए ‘फूड सेफ्टी मैजिक बॉक्स’ लॉन्च किया, लेकिन मिलावट रोकने में कितना असर?
विदेशों से तुलना करें तो भारत काफी पीछे है। अमेरिका में एफडीए (फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) बहुत सख्त है। वहां अनअनाउंस्ड इंस्पेक्शन होते हैं, जहां बिना बताए फैक्ट्रियों पर छापे पड़ते हैं। मिलावट पकड़ी जाए तो भारी जुर्माना और जेल। एफडीए खाद्य उत्पादों की सुरक्षा, प्रभावकारिता और गुणवत्ता सुनिश्चित करती है, आयात से लेकर उत्पादन तक। यूरोपीय संघ में ईएफएसए (यूरोपियन फूड सेफ्टी अथॉरिटी) वैज्ञानिक सलाह देती है और जोखिमों पर कम्युनिकेट करती है। ईयू में फूड चेन की पूरी निगरानी होती है, पशु स्वास्थ्य से बाजार तक। वहां जीआरएएस नियम हैं, जहां कंपनियां बिना जांच उत्पाद सुरक्षित नहीं कह सकतीं। अमेरिका और ईयू में मिलावट की घटनाएं कम हैं, क्योंकि उपभोक्ता संरक्षण मजबूत है। भारत में एफएसएसएआई वैश्विक मानकों को अपनाती है, लेकिन अमल में कमी। अमेरिका में FDA आयातकों से सत्यापन मांगती है कि विदेशी सप्लायर स्वास्थ्य मानक मान रहे हैं। यूरोप में उपभोक्ताओं की जागरूकता ज्यादा है, जो खाद्य स्वास्थ्य पर असर डालती है। भारत ने तुर्की, बांग्लादेश और चीन जैसे देशों के उत्पाद रोके, लेकिन खुद की मिलावट पर ढिलाई क्यों? हमें ऐसी व्यवस्था चाहिए जहां हर जिले में लैब हों, पुलिस के साथ समन्वय बढ़े और सजा तुरंत हो।
इस दिवाली, मिलावट मुक्त त्योहार मनाएं। साधु-संतों और नेताओं की पहल अच्छी है, लेकिन आम आदमी को जागरूक होना पड़ेगा। मिठाई खरीदते वक्त ताजगी देखें, गंध सूंघें, चांदी वर्क वाली से सावधान रहें वो एलुमिनियम हो सकती है। घर पर बनाएं या भरोसेमंद दुकानों से लें। सरकार मिलावटखोरों की संपत्ति जब्त करे, जेल भेजे। त्योहार खुशी का है, जहर का नहीं। शुद्धता की ज्योति जला कर मिलावट के अंधेरे को भगाएं।



