बिहार चुनाव 2025: ‘आप’ की पूरी तैयारी सभी 243 सीटों पर ठोंकेगी ताल 17 जून से पटना से उठेगी चुनावी हुंकार

अजय कुमार,वरिष्ठ पत्रकार
बिहार की राजनीति में इस बार नया मोड़ आने जा रहा है। दिल्ली में सियासी सफलता के झंडे गाड़ चुकी आम आदमी पार्टी (आप) अब बिहार में पूरी ताकत के साथ मैदान में उतरने को तैयार है। पार्टी ने ऐलान किया है कि वह इस बार की विधानसभा चुनावों में राज्य की सभी 243 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी। यह निर्णय पार्टी नेतृत्व से मिले स्पष्ट संकेतों के बाद लिया गया है। पार्टी ने संगठन को पहले ही मजबूत किया है और अब वह खुद को बिहार की राजनीति में तीसरे विकल्प के तौर पर पेश करने के लिए कमर कस चुकी है।आगामी 17 जून को दिल्ली से राज्यसभा सांसद और पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय सिंह पटना के गर्दनीबाग मैदान से हुंकार भरेंगे। इसी रैली के जरिए आप बिहार चुनाव के लिए अपने अभियान की औपचारिक शुरुआत करेगी। संजय सिंह इस रैली में जनता से सीधा संवाद करेंगे और पार्टी के विजन को सामने रखेंगे। माना जा रहा है कि यह रैली बिहार के राजनीतिक पटल पर आम आदमी पार्टी की उपस्थिति को गंभीरता से दर्ज कराने का प्रयास होगी।

दिल्ली से शुरू हुई आम आदमी पार्टी की यात्रा को अब तक का सबसे बड़ा विस्तार बिहार में माना जा रहा है। 2012 में बनी यह पार्टी 2013 में पहली बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में उतरी और देखते ही देखते राजधानी की सत्ता तक पहुंची। इस दौरान पार्टी ने पूर्वांचल और विशेषकर बिहार से आए मतदाताओं के बीच गहरी पैठ बनाई। दिल्ली के कई विधानसभा क्षेत्रों में बिहार मूल के लोगों की बड़ी संख्या है, जिन्होंने लगातार ‘आप’ को समर्थन दिया है। फरवरी 2025 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में भले ही पार्टी को बहुमत नहीं मिला, लेकिन पूर्वांचल बहुल सीटों पर उसका प्रदर्शन बेहतर रहा।दिल्ली चुनाव के बाद ही आम आदमी पार्टी ने बिहार में संगठनात्मक फेरबदल करते हुए पूर्व विधायक अजेश यादव को बिहार का प्रभारी बनाया। वहीं, राकेश कुमार को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई। राकेश कुमार का कहना है कि पार्टी पिछले एक दशक से बिहार में सक्रिय है और अब हर जिले में संगठन खड़ा हो चुका है। उन्होंने कहा कि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से संकेत मिलते ही सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया गया है। प्रत्याशियों की सूची फिलहाल तैयार की जा रही है, जिसे शीघ्र ही सार्वजनिक किया जाएगा।

राकेश कुमार ने यह भी साफ किया कि बिहार में आम आदमी पार्टी दिल्ली मॉडल को दोहराएगी। उनका कहना है कि जिस तरह दिल्ली में जनता को मुफ्त बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रही हैं, उसी तर्ज पर बिहार के लोगों को भी ये लाभ दिए जाएंगे। उन्होंने दावा किया कि बिहार की जनता अब पारंपरिक दलों की वादाखिलाफी से ऊब चुकी है और बदलाव चाहती है। राकेश कुमार ने यह भी कहा कि दिल्ली में झुग्गी झोपड़ियों पर की जा रही कार्रवाई को लेकर बिहार से आए लोगों में काफी आक्रोश है, जिसे पार्टी चुनावी मुद्दा बनाएगी।आगामी चुनाव में आम आदमी पार्टी खुद को तीसरे विकल्प के रूप में प्रस्तुत कर रही है। राज्य में अभी एनडीए और महागठबंधन के बीच मुकाबला माना जा रहा है, लेकिन ‘आप’ इस समीकरण को तोड़ना चाहती है। पार्टी नेताओं का मानना है कि दिल्ली में बिहारी मतदाताओं ने जिस प्रकार समर्थन दिया है, वही समर्थन उन्हें बिहार में भी मिलेगा। पार्टी का जोर जातीय राजनीति से हटकर विकास की बात करने पर है।

संजय सिंह की रैली के बाद पार्टी के चुनावी अभियान को गति मिलेगी। रैलियों, पदयात्राओं और सभाओं के जरिए ‘आप’ अपने प्रत्याशियों को जनता के बीच लेकर जाएगी। चुनाव के दौरान पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी बिहार आएंगे और प्रचार की कमान खुद संभालेंगे। उनके साथ दिल्ली सरकार के मंत्री और अन्य प्रमुख नेता भी राज्य का दौरा करेंगे।राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो बिहार की राजनीति में आम आदमी पार्टी की एंट्री से चुनावी समीकरणों में बदलाव तय है। हालांकि, राज्य में पार्टी का कोई पूर्व जनाधार नहीं है, लेकिन दिल्ली मॉडल और साफ-सुथरी राजनीति की छवि उसके पक्ष में जा सकती है। पार्टी यदि कुछ सीटों पर जीत दर्ज कर पाती है या प्रभावशाली भूमिका में आती है तो यह उसकी बड़ी राजनीतिक उपलब्धि होगी।

दिल्ली में जिस तरह आम आदमी पार्टी ने पारंपरिक दलों को टक्कर दी और फिर सरकार बनाई, उसी रणनीति को अब वह बिहार में आजमाना चाहती है। पार्टी की योजना है कि युवाओं, महिलाओं और गरीब तबकों को सीधे जोड़कर एक बड़ा जनाधार खड़ा किया जाए। वहीं, प्रत्याशियों के चयन में भी पार्टी ईमानदार और जमीन से जुड़े चेहरों को तरजीह देने की बात कह रही है।बिहार की राजनीति में जहां जातीय समीकरण आज भी हावी हैं, वहां आम आदमी पार्टी को कितनी सफलता मिलेगी, यह तो समय ही बताएगा। लेकिन इतना तय है कि इस बार का विधानसभा चुनाव केवल एनडीए बनाम महागठबंधन नहीं रहेगा, बल्कि आम आदमी पार्टी की मौजूदगी चुनाव को त्रिकोणीय बनाने की ओर बढ़ा रही है।बिहार की जनता की नजर अब ‘आप’ पर भी टिकी है। 17 जून की रैली के बाद स्थिति और स्पष्ट होगी कि क्या आम आदमी पार्टी वास्तव में तीसरे विकल्प के तौर पर उभर पाएगी या नहीं। लेकिन जो संकेत मिल रहे हैं, उससे यह जरूर कहा जा सकता है कि बिहार की चुनावी जमीन पर एक नई सियासी लड़ाई की शुरुआत हो चुकी है।

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