बीजिंग से ब्रिक्स तक नदारद शी जिनपिंग, क्या खुद फंस गए अपनी ही चाल में?

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग बीते पंद्रह दिनों से अचानक सार्वजनिक मंचों से गायब हैं। चीन की सरकारी मीडिया में न कोई नई तस्वीर, न कोई आधिकारिक बयान और न ही बीजिंग में विदेशी प्रतिनिधि मंडलों से उनकी मुलाकात। ब्रिक्स सम्मेलन में उनका ना जाना और उनकी जगह विदेश मंत्री द्वारा प्रतिनिधित्व किया जाना, इस बात की आशंका को बल देता है कि चीन की शीर्ष सत्ता के गलियारों में कोई गहरी हलचल चल रही है।क्या शी जिनपिंग स्वयं उसी प्रणाली के भीतर फंस गए हैं, जिसे उन्होंने एक दशक में अपने विरोधियों को हटाने के लिए खड़ा किया था? इस तरह के सवाल चीन पर नजदीकी नजर रखने वाले अंतर्राष्ट्रीय कूटनीतिज्ञ और रक्षा विशेषज्ञ खड़े कर रहे हैं। चीन की आर्थिक नीतियां, ताइवान के प्रति रुख, भारत से तनाव और अमेरिका से संबंध सभी पर इसका असर होगा। लेकिन यदि वे और अधिक शक्तिशाली होकर लौटते हैं तो दुनिया एक और अधिक केंद्रीकृत, कठोर और राष्ट्रवादी चीन को देखेगी जहां विरोध के लिए कोई जगह नहीं होगी।

विरोधियों के जाल में भी फंसे हो सकते हैं जिनपिंग
विशेषज्ञों का मानना है कि जिनपिंग की गुमशुदगी केवल स्वास्थ्य या अवकाश का मामला नहीं हो सकता। कोलंबिया यूनिवर्सिटी के चीन मामलों के विशेषज्ञ डॉ. एंड्रयू नाथन कहते हैं कि शी जिनपिंग का एकछत्र शासन अब उनकी अपनी प्रणाली पर ही बोझ बनता जा रहा है, जिसमें उनके स्वयं के लिए विरोध की कोई जगह नहीं है। जिनपिंग ने न केवल पार्टी पर बल्कि सेना और न्याय प्रणाली पर भी नियंत्रण स्थापित कर लिया है। हो सकता है विरोधी गुट ने उन्हें अपदस्थ करने के लिए उन्हीं की तर्ज पर कोई जाल बुना हो। चीन पर नजर रखने वाले विश्लेषकों ने इसे गंभीर राजनीतिक संकेत माना है।

पहले भी गायब हुए हैं चीन के शीर्ष नेता
शी जिनपिंग द्वारा स्थापित राजनीतिक वफादारी की कसौटी पर खरे न उतरने वाले अधिकारी अक्सर गायब कर दिए जाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार यह एक प्रकार की राजनीतिक सफाई (पॉलिटिकल पर्जिंग) हो सकती है, जो सत्ता पर नियंत्रण बनाए रखने की चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की रणनीति का हिस्सा है। पूर्व ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री और चीन मामलों के विशेषज्ञ केविन रड का कहना है कि पिछले एक साल में ही चीन के विदेश मंत्री किन गांग, रक्षा मंत्री ली शांगफु और रॉकेट फोर्स के दो शीर्ष जनरल ली युचाओ और झांग झेंगझोंग को बिना कारण बताए सार्वजनिक मंचों से अचानक हटा दिया गया। इनमें से अधिकतर के खिलाफ कोई औपचारिक आरोप नहीं बताया गया, पर बाद में भ्रष्टाचार, अनुशासनहीनता या पार्टी विरोधी गतिविधियों की बातें बात कर उनकी विदाई कर दी गई।

शी की चुप्पी: बीमारी, सत्ता संघर्ष या अगली सफाई मुहिम?
खुफिया एजेंसियों के अनुसार जिनपिंग की इस रहस्यमयी अनुपस्थिति को लेकर तीन प्रमुख संभावनाएं सामने आ रही हैं। पहली, वे किसी स्वास्थ्य संबंधी कारण से सार्वजनिक रूप से अनुपस्थित हैं। दूसरी, वे सत्ता के भीतर किसी गंभीर संघर्ष को हल करने में लगे हैं और तीसरी, वे स्वयं किसी नई शुद्धिकरण मुहिम में फंस गए हैं। चीन की सत्ता संरचना में विरोध का स्वर प्रकट नहीं होता, लेकिन जब कोई बदलाव होता है तो वह हमेशा खामोशी से आता है और प्रभाव बहुत बड़ा छोड़ता है। ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री केविन रड कहते हैं, शी जिनपिंग ने जिस प्रणाली को अपने हाथों में समेटा, वही अब उनके लिए बोझ बन सकती है।

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