हापुड़ और सहारनपुर में एंटी करप्शन की बड़ी कार्रवाई, रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े गए सरकारी कर्मचारी!

उत्तर प्रदेश के हापुड़ और सहारनपुर जिलों में हाल ही में एंटी करप्शन टीम ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। इन कार्रवाइयों ने उन सरकारी कर्मचारियों की नींद उड़ा दी है, जो जनता से रिश्वत लेते हैं। हापुड़ में बीएसए कार्यालय के बाहर दो बाबुओं को ₹70,000 की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया, जबकि सहारनपुर में तहसील रामपुर मनिहारान के संग्रह अनुभाग में तैनात वरिष्ठ लिपिक को ₹5,000 की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया। दोनों घटनाएँ प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रशासन की सख्त कार्रवाई का प्रतीक हैं।हापुड़ में एंटी करप्शन टीम ने एक बड़ा खुलासा किया जब बीएसए कार्यालय के बाहर एक चाय की दुकान से दो बाबुओं को ₹70,000 की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा। यह रिश्वत एक स्कूल की मान्यता के नवीनीकरण के लिए मांगी गई थी। आरोपियों ने पिलखुवा में स्थित भविष्य पब्लिक स्कूल के संचालक सुकुमार पहाड़ी से यह रिश्वत ली थी। उन्होंने शिकायत में बताया कि उन्हें बीसीए विभाग के कनिष्ठ सहायक दीपेंद्र शर्मा और संविदाकर्मी निखिल शर्मा से स्कूल की मान्यता नवीनीकरण के लिए ₹70,000 की मांग की गई थी।
एंटी करप्शन टीम के निरीक्षक दुर्गेश कुमार के अनुसार, शिकायत के बाद एंटी करप्शन टीम ने योजना बनाई और बाबुओं को पकड़ने के लिए जाल बिछाया। मंगलवार की सुबह टीम ने बीएसए कार्यालय के बाहर चाय की दुकान से आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। टीम में निरीक्षक मयंक अरोड़ा, योगेंद्र धामा, कृष्ण अवतार सिंह और अन्य सदस्य शामिल थे। गिरफ्तारी के बाद आरोपियों से पूछताछ की जा रही है।सहारनपुर में भी एंटी करप्शन टीम ने एक वरिष्ठ लिपिक को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा। यह घटना तहसील रामपुर मनिहारान के संग्रह अनुभाग में घटी। आरोपी लिपिक दुर्गा प्रसाद कपिल ने किसान डॉ. अरुण कुमार से ₹5,000 की रिश्वत ली थी। डॉ. अरुण कुमार के पिता रामवीर सिंह ने पंजाब नेशनल बैंक से ₹18.50 लाख का लोन लिया था, जिसे उन्होंने चुका दिया था। इसके बाद उन्हें बैंक से एनओसी मिल गई थी, लेकिन खतौनी और कागजातों में ऋण दर्ज था।
डॉ. अरुण कुमार ने इस मामले को लेकर तहसील में संपर्क किया, जहां तैनात लिपिक ने उनसे ₹5,000 की रिश्वत की मांग की। डॉ. अरुण कुमार ने इसकी शिकायत एंटी करप्शन थाने में की, जिसके बाद टीम ने छापेमारी की और आरोपी को रंगे हाथ पकड़ लिया। इंस्पेक्टर जसपाल सिंह के अनुसार, आरोपी के खिलाफ कोतवाली सदर बाजार में मामला दर्ज किया गया है। इस कार्रवाई से यह साबित होता है कि एंटी करप्शन टीम भ्रष्टाचार को लेकर गंभीर है और किसी भी आरोपी को बख्शा नहीं जाएगा।उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रशासन की सख्त कार्रवाई लगातार जारी है। एंटी करप्शन टीम की इन कार्रवाइयों से यह स्पष्ट हो रहा है कि भ्रष्टाचार पर काबू पाने के लिए राज्य सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। इन कार्रवाइयों से यह भी संदेश जा रहा है कि यदि कोई सरकारी कर्मचारी रिश्वत मांगता है तो उसे बख्शा नहीं जाएगा और उसे कानून का सामना करना पड़ेगा।
एंटी करप्शन टीम की कार्रवाइयों ने न केवल उन अधिकारियों को चेतावनी दी है, जो भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, बल्कि आम जनता को भी यह विश्वास दिलाया है कि प्रशासन उनकी समस्याओं को गंभीरता से ले रहा है। एंटी करप्शन थाने की टीम ने अपने अभियानों के दौरान यह साबित किया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष केवल वादा नहीं, बल्कि एक निरंतर प्रक्रिया है।इन घटनाओं से यह भी जाहिर होता है कि भ्रष्टाचार को रोकने के लिए केवल सरकारी कार्रवाई ही नहीं, बल्कि जनता का जागरूक होना भी जरूरी है। जब तक लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज नहीं उठाएंगे, तब तक इस समस्या को पूरी तरह समाप्त करना मुश्किल होगा। एंटी करप्शन टीम ने अपनी कार्रवाई से यह साबित कर दिया है कि यदि लोग रिश्वत की मांग या भ्रष्टाचार की शिकायत करते हैं, तो प्रशासन उनकी मदद करेगा और दोषियों को दंडित किया जाएगा।
भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए सरकार और प्रशासन ने ठोस कदम उठाए हैं। यह उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले समय में ऐसे और भी मामले सामने आएंगे, जब भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे। इन कार्रवाइयों से यह भी प्रतीत होता है कि उत्तर प्रदेश में सरकारी सेवाओं में पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं।यदि आप भी किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा रिश्वत की मांग किए जाने पर इसकी शिकायत करना चाहते हैं, तो आप एंटी करप्शन टीम से संपर्क कर सकते हैं। एंटी करप्शन टीम द्वारा किए गए इन प्रयासों से प्रदेश में भ्रष्टाचार पर काबू पाया जा सकता है और सरकारी कार्यों में पारदर्शिता बढ़ सकती है।