अखिलेश यादव का सत्ता पर प्रहार भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और जनविरोधी नीतियों से तबाह हुआ उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर जोरदार हमला बोला है। अपने बयानों में उन्होंने केंद्र और प्रदेश दोनों सरकारों पर भ्रष्टाचार, महंगाई, बेरोजगारी, प्रशासनिक विफलता और सामाजिक विभाजन जैसे मुद्दों को लेकर गंभीर आरोप लगाए। साथ ही उन्होंने भाजपा की नीतियों को जनविरोधी और लोकतंत्र के लिए ख़तरनाक बताया। उनके इन बयानों को आगामी 2027 विधानसभा चुनावों की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें वह भाजपा को हर मोर्चे पर घेरने की तैयारी में हैं।अखिलेश यादव ने सबसे पहले यूपी में भ्रष्टाचार को लेकर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश में भ्रष्टाचार की खुली प्रतियोगिता चल रही है, जिसमें पुलिस से लेकर तहसील और निर्माण विभाग तक सभी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सड़कें ऊपर से चमचमाती हैं लेकिन अंदर से खोखली हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि निर्माण कार्यों में गुणवत्ता के बजाय कमीशन को प्राथमिकता दी जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि अधिकारियों की तैनाती योग्यता नहीं बल्कि ‘आज्ञाकारिता’ के आधार पर हो रही है। यानी जो अधिकारी सरकार के आदेशों का अंध पालन करते हैं, उन्हें प्रमुख पदों पर बिठाया जा रहा है।

महंगाई और बेरोजगारी को लेकर भी अखिलेश ने योगी सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि पिछले नौ वर्षों में यूपी का कर्ज ₹9 लाख करोड़ तक पहुंच गया है, जो भाजपा के शासन में बढ़ी वित्तीय असंतुलन को दर्शाता है। उन्होंने दावा किया कि प्रदेश में युवा रोजगार के लिए दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन सरकार उनके लिए ठोस योजना लाने में असफल रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार केवल आंकड़ों की बाजीगरी कर रही है जबकि जमीनी सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है।कानून व्यवस्था की स्थिति पर टिप्पणी करते हुए अखिलेश ने कहा कि प्रदेश में पुलिस प्रशासन पूरी तरह से विफल हो चुका है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि शाहजहाँपुर में पुलिसकर्मियों पर हमला हुआ, बरेली में डीएसपी का घर जलाया गया और उन्नाव में एक युवक की हत्या कर दी गई। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह पुलिस का दुरुपयोग कर रही है और विपक्ष के नेताओं को झूठे मुकदमों में फंसा रही है। उन्होंने कहा कि इस सरकार में आम जनता खुद को असुरक्षित महसूस कर रही है।

अखिलेश यादव ने भाजपा पर सामाजिक द्वेष फैलाने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा समाज में दूरी और नफरत फैलाने का काम करती है जबकि समाजवादी पार्टी रोजगार, शिक्षा और भाईचारे को बढ़ावा देती है। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा किसान विरोधी है और उसकी नीतियां ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचा रही हैं। उन्होंने हाल में कौशांबी में एक किसान की आत्महत्या की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार के दो उपमुख्यमंत्री जातीय भेदभाव को लेकर आपस में ही टकरा रहे हैं।जातीय जनगणना की मांग पर अखिलेश यादव ने एक बार फिर जोर दिया। उन्होंने कहा कि देश को सही दिशा में ले जाने के लिए जातीय आंकड़ों का पारदर्शी होना जरूरी है। उन्होंने मांग की कि नई तकनीक का उपयोग करके जल्द से जल्द जातीय जनगणना कराई जाए। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि भाजपा सरकार जनगणना के आंकड़ों से छेड़छाड़ कर सकती है, इसलिए जनता को सतर्क रहना होगा। उन्होंने यह जनगणना सामाजिक न्याय और संसाधनों के सही बंटवारे की दिशा में एक निर्णायक कदम बताया।

शिक्षा के मुद्दे पर भी अखिलेश ने भाजपा को घेरा। उन्होंने कहा कि सरकार उच्च शिक्षा का निजीकरण कर रही है, जिससे पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक समुदाय (PDA) के युवाओं के लिए उच्च शिक्षा और रोजगार के रास्ते बंद होते जा रहे हैं। उन्होंने इसे साजिश करार देते हुए कहा कि भाजपा सत्ता में रहते हुए इन समुदायों को हाशिये पर धकेलना चाहती है।सपा अध्यक्ष ने भाजपा की विदेशी नीति और स्वदेशी के झूठे दावों को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि आरएसएस और भाजपा नेता भले ही स्वदेशी की बात करते हों लेकिन भारतीय बाजार चीनी सामानों से भरा पड़ा है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब भाजपा सरकार इतनी देशभक्त है तो वह चीन से आयात पर रोक क्यों नहीं लगाती। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा केवल दिखावे की देशभक्ति करती है जबकि असल में वह विदेशी पूंजी और साम्राज्यवाद को बढ़ावा देती है।

सत्ता के केंद्र में बैठे भाजपा नेताओं को आड़े हाथों लेते हुए अखिलेश ने कहा कि भाजपा का लोकतंत्र में विश्वास नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी के शीर्ष नेता तानाशाही रवैये से काम कर रहे हैं और प्रदेश में चुनावों के दौरान अराजकता फैलाने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने जनता से अपील की कि वे भाजपा की साजिशों को पहचानें और लोकतंत्र की रक्षा के लिए एकजुट होकर लड़ें।अपनी समरसता की राजनीति को आगे बढ़ाते हुए अखिलेश यादव ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भगवान जगन्नाथ मंदिर के निर्माण के लिए बधाई दी। उन्होंने इसे धर्म और संस्कृति को जोड़ने वाला कार्य बताया और कहा कि देश को ऐसे कामों की जरूरत है जो समाज को जोड़ें, न कि तोड़ें।अखिलेश यादव ने अपने समापन वक्तव्य में कहा कि भाजपा की राजनीति समाज को बांटने, गरीबों को सताने और पूंजीपतियों को लाभ पहुँचाने की है। उन्होंने समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं से कहा कि वे गांव-गांव, गली-गली जाकर भाजपा की सच्चाई जनता के सामने रखें और एक नए विकल्प को मज़बूत करें। उन्होंने स्पष्ट किया कि 2027 विधानसभा चुनाव में सपा पूरी ताकत के साथ उतरेगी और जनता के मुद्दों को लेकर निर्णायक लड़ाई लड़ेगी।

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