सरकार ने मानी विपक्ष की मांग, चुनाव सुधार पर होगी चर्चा SIR फुटव्वल रुकी

संसद का शीतकालीन सत्र अगले सप्ताह दो अहम बहसों से गरमाएगा: देशभक्ति गीत ‘वंदे मातरम्’ पर विशेष चर्चा, जिसमें पीएम मोदी खुद हिस्सा लेंगे, और चुनाव सुधारों पर चर्चा, जिसमें ईवीएम पारदर्शिता और उम्मीदवार योग्यता शामिल हैं। ये बहसें राजनीतिक ध्यान का केंद्र बनेंगी और राष्ट्रवाद, चुनावी जवाबदेही व संसदीय गतिशीलता पर दिशा तय करेंगी।

नई दिल्ली, संसद के शीतकालीन सत्र में अगले सप्ताह दो अहम बहसें राजनीतिक माहौल का तापमान बढ़ाने वाली हैं. सोमवार को लोकसभा में देशभक्ति गीत वंदे मातरम पर विशेष चर्चा रखी गई है. इस बहस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद हिस्सा लेंगे, जिससे साफ है कि सदन में इस मुद्दे पर सत्ता और विपक्ष अपनी-अपनी वैचारिक स्थिति मजबूती से रखने वाले हैं. उधर, मंगलवार को राज्यसभा में कार्यवाही शुरू होते ही संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि बीएसी की मीटिंग होनी है. सरकार चुनाव सुधार के मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है. इस पर बीएसी की मीटिंग में चर्चा होगी. लेकिन इससे पहले वंदे मातरम् पर चर्चा होगी. हम सभी दलों से चर्चा कर इसके समय पर फैसला करेंगे. सामान्य कामकाज होने देना चाहिए. इस पर टीएमसी के फ्लोर लीडर डेरेक ओ`ब्रायन ने कहा कि 14 दलों ने लिखकर दिया है कि हम इस पर चर्चा चाहते हैं. लोग जान गंवा रहे हैं. सोमवार के बाद मंगलवार का पूरा एजेंडा चुनाव सुधारों पर केंद्रित है. इसके लिए 10 घंटे का समय तय किया गया है. चर्चा के दौरान चुनाव आयोग की भूमिका, चुनावी खर्च की ट्रांसपेरेंसी, क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले उम्मीदवारों को रोकने जैसे मुद्दों के अलावा EVM की विश्वसनीयता और SIR प्रक्रिया पर भी दल अपनी बातें रख सकते हैं. सरकार का दावा है कि वह चुनाव प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में गंभीर है.जबकि विपक्ष चुनावी निष्पक्षता और एक देश एक चुनाव जैसे प्रस्तावों पर अपनी आपत्तियां और सुझाव पेश करने की तैयारी में है.

शीतकालीन सत्र में भले कई विधेयक सूची में हों, लेकिन वंदे मातरम और चुनाव सुधार – ये दोनों बहसें ही राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनने वाली हैं. सभी की निगाहें अब सोमवार और मंगलवार की चर्चाओं पर टिकी हैं, जो आगे चुनावी राजनीति की दिशा भी तय कर सकती हैं. समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने संसदीय गतिरोध खत्म होने पर सरकार पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि “जब सरकार अब चर्चा के लिए तैयार हो गई है, तो सदन का गतिरोध खत्म हो गया. लेकिन पिछले मानसून सत्र में यह कदम क्यों नहीं उठाया गया? तब भी सरकार ऐसा कर सकती थी.” धर्मेंद्र यादव ने इलेक्शन कमीशन और बीजेपी से जुड़े मुद्दों पर भी तंज कसा. उन्होंने कहा कि जब विपक्ष चुनाव आयोग पर सवाल उठाता है तो बीजेपी आक्रामक हो जाती है, और जब बीजेपी पर सवाल उठते हैं तो चुनाव आयोग सामने आ जाता है.उन्होंने पूछा  “आख़िर यह रिश्ता क्या कहलाता है?” सांसद ने बताया कि वंदे मातरम् पर होने वाली चर्चा में समाजवादी पार्टी भी हिस्सा लेगी. उन्होंने कहा कि राष्ट्रवाद के नाम पर हो रही राजनीति और “खुद को राष्ट्रवादी कहलाने वालों” पर भी सदन में खुलकर बात की जाएगी.

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