दो जिले और 20 सीटें; NDA को क्यों यहां से बड़ी उम्मीद, 2020 में भी पलटी थी बाजी

NDA को मिथिलांचल के दो जिलों मधुबनी और दरभंगा से काफी उम्मीदें है। इन दो जिलों में ही 20 विधानसभा सीटें आती हैं और परंपरागत रूप से भाजपा एवं उसके साथियों को यहां फायदा मिलता रहा है। 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए को यहां की 20 में से 17 सीटें मिली थीं। महागठबंधन 3 पर ही ठहर गया था।

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए मतदान दो राउंड में हो रहा है और आज पहले चरण की वोटिंग है। राज्य की 243 विधानसभा सीटों में जादुई आंकड़ा 122 है और यदि कोई पार्टी या गठबंधन किन्हीं खास 20 सीटों पर अच्छा प्रदर्शन कर ले तो उसका सत्ता के नजदीक जाना आसान हो जाता है। NDA को यही उम्मीद मिथिलांचल के दो जिलों मधुबनी और दरभंगा से है। इन दो जिलों में ही 20 विधानसभा सीटें आती हैं और परंपरागत रूप से भाजपा एवं उसके साथियों को यहां फायदा मिलता रहा है। 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए को यहां की 20 में से 17 सीटें मिली थीं। महागठबंधन 3 पर ही ठहर गया था।

आरजेडी ने दरभंगा ग्रामीण, मधुबनी सदर और लौकहा से जीत हासिल की थी। इस बार फिर से एनडीए यहां 2020 दोहराने की कोशिश में है। उसे लगता है कि यदि यहां पर 15 से अधिक सीटें पा ली गईं तो अच्छी संभावनाएं बन जाएंगी। दो ही जिलों से एकमुश्त सीटें हासिल करने के बाद संभावनाएं काफी बढ़ जाती हैं। इस क्षेत्र के लिए केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक ने कई ऐलान किए हैं, जिनमें एक मखाना बोर्ड भी शामिल है। पूरे देश को मखाना सप्लाई करने वाले मिथिला क्षेत्र के लिए यह घोषणा भावनात्मक रूप से अहम है। इसके अलावा भाजपा ने यहां के सामाजिक समीकरणों का भी हमेशा ख्याल रखा है।

NDA के मुकाबले क्या है महागठबंधन का प्लान
मखाना बोर्ड से लेकर मिथिला हाट तक कई प्रयास जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा के खाते में भी जाते हैं। इसके अलावा भाजपा तो यहां परंपरागत रूप से मजबूत है। इस तरह जेडीयू और भाजपा की जुगलबंदी मिथिला में एनडीए को बहुत मजबूत बनाती है। भाजपा एक के नेता ने कहा कि पीएम मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीते एक साल में यहां के दौरे किए हैं। यहां मखाना बोर्ड बनाने का ऐलान बजट में भी किया गया था। इसका असर मिथिलांचल में दिख सकता है। हालांकि आरजेडी भी यहां कम मेहनत नहीं कर रही है, लेकिन जैसा समर्थक वर्ग भाजपा का है, उसे देखते हुए भगवा खेमा उत्साहित है।

अलीनगर सीट से मैथिली के सामने उतारा ब्राह्मण उम्मीदवार
आरजेडी ने अलीनगर सीट से मैथिली ठाकुर के मुकाबले एक ब्राह्मण कैंडिडेट बिनोद मिश्रा को ही मौका दिया है। वहीं जाले सीट से कांग्रेस ने ऋषि मिश्रा को उतारा है। पिछली बार यहां से मुस्लिम कैंडिडेट मसकूर उस्मानी को मौका मिला था। दरअसल इस बार आरजेडी और कांग्रेस भी इस कोशिश में हैं कि स्थानीय समीकरणों के हिसाब से ही कैंडिडेट दिए जाएं। यह एकमात्र इलाका है, जहां ब्राह्मणों की अच्छी आबादी है। ऐसे में उन्हें भी दोनों दल मौका दे रहे हैं। इसके अलावा ओबीसी, दलित और मुस्लिम वर्ग को लुभाकर महागठबंधन आगे बढ़ने की कोशिश में है।

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