उमेश पाल हत्याकांड में सुनवाई के बाद अतीक के बहनोई और वकील की जमानत पर फैसला सुरक्षित

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उमेश पाल हत्याकांड मामले में सुनवाई के बाद माफिया अतीक अहमद के बहनोई, वकील विजय मिश्र, नौकर और ड्राइवर की जमानत अर्जी पर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। अतीक के बहनोई डॉ. अखलाक ने कहा कि उसे रिश्तेदार होने के कारण फंसाया जा रहा है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उमेश पाल हत्याकांड मामले में सुनवाई के बाद माफिया अतीक अहमद के बहनोई, वकील विजय मिश्र, नौकर और ड्राइवर की जमानत अर्जी पर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। अतीक के बहनोई डॉ. अखलाक ने कहा कि उसे रिश्तेदार होने के कारण फंसाया जा रहा है, जबकि अन्य ने भी खुद को निर्दोष बताया। अदालत ने फैसला सुरक्षित कर लिया है।

बहुचर्चित उमेश पाल हत्याकांड में आरोपी माफिया अतीक अहमद के बहनोई डॉ अखलाख अहमद, वकील विजय मिश्रा, ड्राइवर कैश व नौकर नियाज की जमानत पर हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई पूरी हो गई। सभी आरोपियों की ओर से दाखिल आपराधिक अपील पर न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव की एकल पीठ सुनवाई कर रही है। मेरठ निवासी अतीक के बहनोई डॉ अखलाक अहमद पर हत्याकांड के आरोपी बमबाज गुड्डू मुस्लिम को शरण देने का आरोप है जबकि, बाकी मुल्जिमों पर हत्या की साजिश रचने का आरोप है।

हत्याकांड के बाद से फरार बमबाज गुड्डू मुस्लिम पांच लाख का इनामी है। पुलिस का दावा है कि घटना को अंजाम देने के बाद उसने डॉ अखलाख के मेरठ स्थित घर में शरण ली थी।अखलाख ने जमानत पर रिहाई के लिए सितम्बर 2023 में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। डॉ अखलाक के अधिवक्ता ने दलील दी कि वह एफआईआर में नामजद नहीं है। वह पेशे से डॉक्टर है अपराध की दुनिया से उसका कोई वास्ता नहीं है। उसे केवल अतीक के रिश्तेदार होने के कारण फंसाया गया है।

सरकार की ओर से जमानत का विरोध किया गया। वकील विजय मिश्र पर उमेश पाल हत्याकांड में मुखबिरी करने का आरोप है। विजय की गिरफ्तारी लखनऊ से हुई थी। जमानत पर रिहाई की मांग करते हुए उनकी अधिवक्ता मंजू सिंह ने दलील कि उन्हें अतीक का वकील होने के कारण फंसाया जा रहा हैं।

इसी तरह कैश व नियाज की ओर से भी बेगुनाह होने की दलील दी गई। उनके अधिवक्ता ने दलील दी कि कैश ड्राइवर था, जबकि काफी समय पहले से नौकरी छोड़ चुका था। उसका कोई अपराधिक इतिहास नहीं है। इसी तरह नियाज के वकील ने भी उसे बेकसूर बताया। कहा कि उसका घटना से कोई सरोकार नहीं है। उसके पास से की बरामदगी नहीं है, न ही वह एफआईआर में नामजद है।उमेश पाल की पत्नी जया पाल के अधिवक्ता प्रवीण पांडेय, सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने जमानत पर रिहाई का विरोध किया।कहा कि सभी आरोपी हत्याकांड में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं। अब तक ट्रायल कोर्ट में आरोप निर्मित होने की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। शाइस्ता परवीन, जैनब व बमबाज गुड्डू मुस्लिम समेत कुल सात अन्य आरोपी फरार हैं। ऐसे में उनकी रिहाई से लंबित ट्रायल प्रभावित होगा।

Related Articles

Back to top button