वांगचुक की गिरफ्तारी से लद्दाख में हड़कंप
लेह में 24 सितंबर की हिंसा के बाद पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को NSA के तहत गिरफ्तार किया गया। सरकार ने उनके बयानों को हिंसा भड़काने का आरोप लगाया, जबकि समर्थक इसे खारिज कर रहे हैं। गिरफ्तारी ने लद्दाख में राजनीतिक तनाव और सामाजिक बहस को बढ़ा दिया।


लेह, लद्दाख पुलिस ने 26 सितंबर को प्रसिद्ध पर्यावरण कार्यकर्ता और समाजसेवी सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी 24 सितंबर को लेह में हुई हिंसा के तुरंत बाद की गई, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और 80 से अधिक लोग घायल हुए। केंद्र सरकार ने आरोप लगाया कि वांगचुक के उकसावे वाले बयानों ने शांतिपूर्ण आंदोलन को हिंसक बना दिया, जबकि वांगचुक और उनके समर्थक इसे पूरी तरह खारिज कर रहे हैं।2019 में जम्मू-कश्मीर राज्य के विभाजन और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद से स्थानीय लोगों में असंतोष बढ़ता रहा है। लद्दाखी समुदाय का मानना है कि उन्हें राजनीतिक और सांस्कृतिक अधिकारों से वंचित किया गया है। लद्दाख की जनसंख्या लगभग तीन लाख है, जबकि क्षेत्र का भूभाग विशाल है। राज्य का दर्जा देने या छठी अनुसूची लागू करने के सवाल में केंद्र सरकार सतर्क रही।
सोनम वांगचुक ने पिछले कुछ वर्षों में छठी अनुसूची और राज्य का दर्जा देने की मांग जोर-शोर से उठाई। उनका कहना है कि बिना राज्य का दर्जा और विशेष संरक्षण के, लद्दाखी युवाओं के रोजगार और सांस्कृतिक पहचान को खतरा है। वांगचुक को पहले ‘3 इडियट्स’ के रैंचो के रूप में जाना जाता था और शिक्षा तथा पर्यावरण के क्षेत्र में उनकी ख्याति है। उन्होंने 1988 में SECMOL (Students’ Educational and Cultural Movement of Ladakh) की स्थापना की, जो ग्रामीण शिक्षा सुधार और पर्यावरण संरक्षण पर काम करती है। SECMOL सौर ऊर्जा और जीवाश्म ईंधन मुक्त शिक्षा पर जोर देती है।वांगचुक को उनके योगदान के लिए 2018 में रेमन मैगसेसे अवॉर्ड से सम्मानित किया गया, जिसे एशिया का नोबेल पुरस्कार माना जाता है। 10 सितंबर 2025 से उन्होंने भूख हड़ताल शुरू की और लद्दाख के लिए छठी अनुसूची और राज्य का दर्जा देने की मांग की। उनका आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण था और उनके समर्थक दिल्ली तक पैदल यात्रा कर चुके थे।
हालांकि, 24 सितंबर को युवा प्रदर्शनकारियों की अगुवाई में हिंसा भड़क उठी। BJP कार्यालयों में आग लगाई गई, CRPF वाहन जलाए गए और पुलिस को गोली चलानी पड़ी। इस हिंसा में चार लोग मारे गए और दर्जनों घायल हुए। इसके बाद लेह में कर्फ्यू लगाया गया और 50 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया। वांगचुक ने हिंसा की निंदा की और कहा कि उन्होंने हिंदी और लद्दाखी में शांति की अपील की। केंद्र सरकार का मानना है कि उनके बयान और भाषण युवाओं में उग्रता फैलाने वाले थे।सरकार ने आरोप लगाया कि वांगचुक ने अपने भाषणों में ‘अरब स्प्रिंग’ और ‘नेपाल के जेन Z विद्रोह’ का उदाहरण देते हुए युवाओं को हिंसा के लिए उकसाया। गृह मंत्रालय ने 25 सितंबर को SECMOL का FCRA लाइसेंस रद्द कर दिया, यह आरोप लगाते हुए कि विदेशी धन का दुरुपयोग किया गया। 26 सितंबर को उन्हें NSA के तहत गिरफ्तार कर लिया गया और सुरक्षा कारणों से तुरंत जोधपुर केंद्रीय कारागार भेजा गया।
वांगचुक पर विदेशी संपर्क और फंडिंग का आरोप भी लगाया गया। FY 2020-21 में SECMOL के स्थानीय फंड का FCRA खाते में जमा होना और FY 2021-22 में राशि बढ़कर 3.35 लाख होना सरकार के संदेह का कारण बना। स्वीडिश संगठन Framtidsjorden और Himalayan Institute of Alternatives (HIAL) को बड़े पैमाने पर दान देने का मामला भी विवादित रहा। फरवरी 2025 में उनकी पाकिस्तान यात्रा और जलवायु सम्मेलन में भागीदारी पर भी सवाल उठाए गए। BJP नेता अमित मालवीय ने आरोप लगाया कि वांगचुक और कांग्रेस विदेशी एजेंसियों से प्रेरित हैं और सीमा पर अशांति फैला रहे हैं। वांगचुक ने इसे खारिज करते हुए कहा कि उनका उद्देश्य केवल पर्यावरण और शिक्षा के मुद्दों पर चर्चा करना था।सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी ने देशभर में सोशल मीडिया पर बहस को जन्म दिया। X पर #ReleaseSonamWangchuk और #SonamWangchukTraitor ट्रेंड कर रहे हैं। समर्थक उनके शांतिपूर्ण आंदोलन और शिक्षा, पर्यावरण, रोजगार जैसे मुद्दों की सराहना कर रहे हैं, जबकि आलोचक उन्हें देश की सुरक्षा के लिए खतरा मानते हैं।
लद्दाख क्षेत्र सीमावर्ती है और चीन व पाकिस्तान जैसे देशों से जुड़ा हुआ है। राजनीतिक स्थिरता और सुरक्षा सर्वोपरि हैं। वांगचुक की मांगें राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची स्थानीय लोगों के लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन केंद्र सरकार इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़कर देखती है।लद्दाख की खनिज संपदा, ग्लेशियर, नदियाँ और पर्यटन क्षेत्र की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए किसी भी निवेश और विकास की योजना पर सावधानी बरतना आवश्यक है। स्थानीय युवाओं की सुरक्षा और रोजगार की मांग को अनदेखा नहीं किया जा सकता। वांगचुक का आंदोलन इन दोनों पहलुओं को संतुलित करने का प्रयास कर रहा था, लेकिन राजनीतिक और सुरक्षा कारणों से विवाद पैदा हुआ।
सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी ने यह स्पष्ट कर दिया कि लद्दाख में पहचान, अधिकार और विकास के मुद्दों पर संतुलित नीति की आवश्यकता है। सरकार और स्थानीय समुदाय को मिलकर समाधान खोजने की जरूरत है ताकि क्षेत्र की सांस्कृतिक और राजनीतिक पहचान सुरक्षित रहे और युवा रोजगार और शिक्षा में पीछे न रहें।यह घटना केवल वांगचुक की गिरफ्तारी तक सीमित नहीं है। यह लद्दाख की भविष्य की राजनीति, सामाजिक स्थिरता और राष्ट्रीय सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगी। चाहे वांगचुक दोषी हों या न हों, उनका आंदोलन और इसके परिणाम लंबे समय तक चर्चा का विषय बने रहेंगे।सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी ने यह भी सिद्ध कर दिया कि लोकतंत्र में हर आवाज़ महत्वपूर्ण है। चाहे वह सरकार के पक्ष में हो या विपक्ष में, उसे सुना जाना चाहिए। लोकतंत्र में विरोध और असहमति का सम्मान किया जाना चाहिए, तभी यह मजबूत और सशक्त बन सकता है।



