सिराथू से PDA तक पल्लवी-पटेल की जोड़ी ने 2027 यूपी चुनाव की रणभूमि में फूंका चुनावी बिगुल

उत्तर प्रदेश की सियासत में 2027 के विधानसभा चुनावों की तैयारियां जोरों पर हैं। सभी दल अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं, और इस बीच कौशांबी के सिराथू में अपना दल (कमेरावादी) ने अपने दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन के जरिए चुनावी शंखनाद कर दिया। यह अधिवेशन, जो सैनी कृषि मैदान में 13 और 14 सितंबर 2025 को आयोजित हुआ, न केवल संगठन की एकता और ताकत का प्रदर्शन था, बल्कि केंद्र और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर तीखे हमलों का मंच भी बना। हजारों कार्यकर्ताओं की मौजूदगी और नेताओं के जोशीले भाषणों ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी।
अधिवेशन का भव्य आगाज
अधिवेशन का पहला दिन मां शीतला गेस्ट हाउस में शुरू हुआ। सुबह से ही कार्यकर्ताओं का हुजूम उमड़ पड़ा। सर्किट हाउस में पार्टी की संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्णा पटेल का भव्य स्वागत हुआ। स्थानीय नेताओं ने महाराजा बिजली पासी और गौतम बुद्ध की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण कर समारोह की शुरुआत की। लेकिन इस दौरान एक विवाद ने भी जन्म लिया। सिराथू ओवरब्रिज पर महाराजा बिजली पासी के बोर्ड पर पल्लवी पटेल के राजनीतिक बैनर लगाए गए थे, जिसका पासी समाज के कुछ लोगों ने विरोध किया। समाजसेवी दिनेश पासी और उनके साथियों ने बैनर उतार दिए और सोशल मीडिया पर इसे महापुरुषों का अपमान बताकर नाराजगी जताई। जितेंद्र पासी जैसे कार्यकर्ताओं ने कहा, पल्लवी पटेल की औकात इतनी नहीं कि वे महापुरुषों के नाम पर सियासत करें। हालांकि, पार्टी ने इसे संगठनात्मक गतिविधि का हिस्सा बताकर विवाद को शांत करने की कोशिश की, लेकिन यह घटना अधिवेशन की पृष्ठभूमि में एक कड़वा स्वाद छोड़ गई।
पल्लवी पटेल का केंद्र और प्रदेश सरकार पर हमला
दूसरे दिन सैनी कृषि मैदान में मुख्य सभा का आयोजन हुआ, जहां सिराथू से समाजवादी पार्टी की विधायक डॉ. पल्लवी पटेल ने मंच संभाला। 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा के दिग्गज नेता और तत्कालीन उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को सिराथू सीट पर हराकर सनसनी फैला दी थी। अब 2027 की तैयारियों में जुटीं पल्लवी ने अपने भाषण में केंद्र और प्रदेश सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, “प्रधानमंत्री लोकतंत्र को कुचल रहे हैं। उनकी चार भुजाएं ईडी, सीबीआई, पुलिस और चुनाव आयोग लोकतांत्रिक अधिकारों का गला घोंट रही हैं। यह सरकार न पढ़ने दे रही है, न शादियां करने दे रही है, न आंदोलन करने दे रही है। पल्लवी का यह बयान कार्यकर्ताओं में जोश भर गया, और मंच नारों से गूंज उठा।पल्लवी ने आगे आरोप लगाया कि केंद्र और प्रदेश सरकारें सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों (SIR) का शोषण कर रही हैं। जातिगत आरक्षण और नौकरियों के नाम पर जनता को ठगा जा रहा है। सरकार का असली चेहरा अब जनता के सामने आ चुका है, और 2027 में जनता इसका जवाब देगी, उन्होंने जोर देकर कहा। पल्लवी ने राष्ट्रीय जनगणना की मांग को भी दोहराया, ताकि हर समाज की वास्तविक आबादी सामने आए और शिक्षा, नौकरी, कमाई, दवाई और पढ़ाई में उनकी हिस्सेदारी सुनिश्चित हो।
कृष्णा पटेल का पुनर्निर्वाचन: एक ऐतिहासिक क्षण
अधिवेशन का सबसे महत्वपूर्ण क्षण रहा कृष्णा पटेल का सर्वसम्मति से पांचवीं बार राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना जाना। यह उनके नेतृत्व और पार्टी में उनकी लोकप्रियता का प्रमाण है। कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने उन्हें पुष्पगुच्छ भेंटकर बधाई दी। अपने संबोधन में कृष्णा पटेल ने कहा, अपना दल (कमेरावादी) हमेशा पिछड़े, दलित, वंचित और शोषित समाज की आवाज बनेगा। हमारी लड़ाई उनके अधिकारों और सम्मान के लिए है। उन्होंने कार्यकर्ताओं से संगठन को और मजबूत करने का आह्वान किया, ताकि 2027 के चुनावों में पार्टी निर्णायक भूमिका निभा सके। पल्लवी पटेल ने इस मौके पर अधिवेशन को ऐतिहासिक बताते हुए कहा, “सिराथू से ही भविष्य की सियासत की दिशा तय होगी। यह अधिवेशन 2026 के जिला पंचायत चुनावों का सेमीफाइनल है और 2027 के विधानसभा चुनावों की रणनीति तैयार करने में अहम भूमिका निभाएगा।” उन्होंने कार्यकर्ताओं से बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत करने और जनता के बीच जाकर उनकी समस्याओं को समझने की अपील की।
संगठन की रणनीति और भविष्य की राह
अधिवेशन में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं गंगाराम यादव, मोबिन अहमद, सी.एल. पटेल, विनोद कसेरा, गगन यादव और राधेश्याम ने अपने विचार रखे। सभी ने एक स्वर में कहा कि कृष्णा पटेल का नेतृत्व पार्टी को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा और जनता की उम्मीदों पर खरा उतरेगा। नेताओं ने केंद्र सरकार पर लोकतांत्रिक अधिकारों को दबाने का आरोप लगाया और कहा कि विरोध की हर आवाज को कुचला जा रहा है। पल्लवी ने कार्यकर्ताओं से जनता को जागरूक करने और लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष करने का आह्वान किया। “जनता अब जाग चुकी है, और 2027 में इसका जवाब देगी, उनका यह बयान अधिवेशन का मुख्य संदेश बन गया।अपना दल (कमेरावादी) की यह सक्रियता पटेल परिवार के भीतर की दरार को भी उजागर करती है। पल्लवी पटेल, जो केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की बहन हैं, ने 2022 में भाजपा से नाता तोड़कर समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया था। इस फैसले ने उत्तर प्रदेश में भाजपा की पिछड़े वर्ग की सियासत को झटका दिया था। हाल ही में लखनऊ में पल्लवी के नेतृत्व में हुए एक विरोध प्रदर्शन के दौरान उन्हें हिरासत में लिया गया था, जो उनकी आक्रामक सियासत का प्रमाण है।
2027 का रोडमैप और PDA गठबंधन
सियासी विशेषज्ञों का मानना है कि 2027 के चुनावों में अपना दल (कमेरावादी) PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) गठबंधन को मजबूत करने की कोशिश करेगा, खासकर पूर्वांचल और बुंदेलखंड में। अधिवेशन के बाद कार्यकर्ता बूथ स्तर पर जनसंपर्क अभियान शुरू करेंगे, जो पार्टी की ग्रामीण पहुंच को बढ़ाएगा। पल्लवी ने अपने भाषण में कहा, “हमारा लक्ष्य हर उस व्यक्ति तक पहुंचना है, जो शोषण और अन्याय का शिकार है। हमारी लड़ाई सड़क से लेकर सदन तक जारी रहेगी।यह अधिवेशन न केवल अपना दल (कमेरावादी) के लिए एक नया अध्याय खोलता है, बल्कि उत्तर प्रदेश की सियासत में पिछड़े समाज की आवाज को और बुलंद करने का संकेत भी देता है। 2026 के स्थानीय चुनावों को सेमीफाइनल मानते हुए पार्टी 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए पूरी ताकत झोंक रही है। पल्लवी पटेल और कृष्णा पटेल जैसे नेताओं की अगुवाई में यह संघर्ष निश्चित रूप से यूपी की सियासत में नया रंग भरेगा।