हनुमान और अंतरिक्ष पर अनुराग ठाकुर के बयान पर कनिमोझी का तीखा वार, तमिल संस्कृति और वैज्ञानिक सोच का किया बचाव

तमिलनाडु की डीएमके की सांसद कनिमोझी ने बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर पर निशाना साधा है. दरअसल, अनुराग ठाकुर ने एक वीडियो पिछले महीने शेयर किया था, जिसमें उन्होंने स्कूल के छात्रों के सामने अंतरिक्ष की यात्रा करने वाला पहला शख्स कौन था? इस पर सवाल पूछा था, खुद सांसद ने इस सवाल के जवाब में कहा, मुझे तो लगता है हनुमान जी थे. उनके इस बयान की डीएमके सांसद कनिमोझी ने आलोचना की है.डीएमके सांसद कनिमोझी ने कहा, अगर आप बच्चों से पूछें कि चांद पर सबसे पहले कौन गया था, तो वो नील आर्मस्ट्रांग का नाम लेंगे. हालांकि, कुछ उत्तरी नेता यह दावा कर सकते हैं कि हमारी लोक कथाओं वाली दादी या हनुमान ने ही सबसे पहले वहां कदम रखा था. शुक्र है कि ऐसे लोग तमिलनाडु में नेतृत्व के पदों पर नहीं हैं.

DMK सांसद ने साधा निशाना
सांसद कनिमोझी ने कहा, प्राचीन काल में भी, जब तमिलों ने युद्ध जीते, तो उन्होंने उस जमीन के लोगों या उनकी संस्कृति को कभी नष्ट नहीं किया. हालांकि, यह दूसरी बार है कि जब डीएमके सांसद ने अनुराग ठाकुर की आलोचना की है. इससे पहले भी वो उनकी इस टिप्पणी पर उन्हें घेर चुकी हैं. उन्होंने अगस्त के महीने में एक्स पोस्ट में कहा था, एक सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री का स्कूली बच्चों से यह पूछना कि चांद पर सबसे पहले किसने कदम रखा था, फिर इस बात पर जोर देना कि वो नील आर्मस्ट्रांग नहीं, बल्कि हनुमान थे, बेहद परेशान करने वाला है. विज्ञान कोई मिथक नहीं है. क्लास में युवाओं को गुमराह करना ज्ञान, तर्क और हमारे संविधान में निहित वैज्ञानिक सोच की भावना का अपमान है.

अनुराग ठाकुर ने क्या कहा था?
बीजेपी के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने अपने एक्स हैंडल पर अगस्त के महीने में एक वीडियो शेयर किया था, जिसमें वो स्कूल के स्टूडेंट्स के सामने स्पीच दे रहे थे. राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के मौके पर बच्चों से बातचीत के दौरान उन्होंने विज्ञान और पौराणिक कथाओं को मिलाते हुए कहा था कि हमें ब्रिटिशों की ओर से दिए गए पाठ्यपुस्तकों से आगे जाकर सोचना चाहिए.उन्होंने कहा था, मुझे लगता है कि हनुमान जी पहले व्यक्ति थे जिन्होंने अंतरिक्ष की यात्रा की थी. हमारे वेद, हमारी किताबें और हमारा ज्ञान.

तमिल भाषा को लेकर क्या कहा?
डीएमके सांसद कनिमोझी ने तमिल भाषा को लेकर भी बात की. उन्होंने कहा, तमिल भाषा एक प्राचीन भाषा है जिसका इस्तेमाल लोग अनादिकाल से आज तक करते आ रहे हैं. हालांकि, संस्कृत अब आम बोलचाल की भाषा नहीं रही. फिर भी, केंद्र सरकार संस्कृत के लिए भारी मात्रा में धनराशि आवंटित करती रही है. महाराष्ट्र में, लोगों के हिंदी जैसी भाषाओं को स्वीकार करने की वजह से राज्य की भाषा मराठी का महत्व कम हुआ है. तमिलनाडु में ऐसे हालात नहीं है. जब हिंदी थोपने की कोशिश की गई, तो यहां बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए. इसी वजह से न सिर्फ तमिल भाषा, बल्कि उसकी संस्कृति और परंपराएं भी संरक्षित और प्रचलित हैं.

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