एआईएमआईएम का नया सियासी हथियार कांग्रेस को निशाना बनाकर मुस्लिम वोटरों को साधने की कोशिश

उत्तर प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में इन दिनों ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के राष्ट्रीय प्रवक्ता सैयद असीम वकार का एक बयान तूल पकड़ रहा है। ईद मिलादुन्नबी के मौके पर शराब की दुकानों को बंद करने की उनकी मांग ने न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि देश भर की सियासत में हलचल मचा दी है। इस बयान ने जहां एक ओर धार्मिक और सामाजिक संवेदनाओं को छुआ, वहीं दूसरी ओर इसे बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। सैयद असीम वकार ने पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस शासित राज्यों में 5 सितंबर को शराब की दुकानें बंद करने की मांग की थी, जिसमें उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी इस दिशा में कदम उठाने की अपील की थी। लेकिन बाद में उनके बयान में बदलाव देखने को मिला। अब उनका निशाना कांग्रेस और खासकर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर है। उन्होंने कहा कि बीजेपी से उन्हें कोई उम्मीद नहीं, लेकिन कांग्रेस शासित राज्यों जैसे कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश में राहुल गांधी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ईद मिलादुन्नबी पर शराब की बिक्री बंद हो। इस बयान ने सियासी माहौल को और गरमा दिया है।

सैयद असीम वकार का यह बयान केवल धार्मिक मांग तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरी राजनीतिक रणनीति छिपी हुई है। बिहार में 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव इस बयान के केंद्र में हैं। बिहार में 2015 से नीतीश कुमार की सरकार ने शराबबंदी लागू की हुई है, जिसे सख्ती से लागू किया जा रहा है। ऐसे में एआईएमआईएम की यह मांग बिहार के मुस्लिम मतदाताओं के बीच एक खास संदेश पहुंचाने की कोशिश के तौर पर देखी जा रही है। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने पांच सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन बाद में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), जो कांग्रेस की सहयोगी पार्टी है, ने इन विधायकों को अपने पाले में कर लिया। अब असीम वकार के बयान को इस तरह देखा जा रहा है कि एआईएमआईएम कांग्रेस पर दबाव बनाकर यह साबित करना चाहती है कि कांग्रेस केवल अल्पसंख्यक वोटों का इस्तेमाल करती है, लेकिन उनके हितों के लिए ठोस कदम नहीं उठाती। यह रणनीति बिहार के सियासी समीकरण को और जटिल बना सकती है।

सैयद असीम वकार ने अपने बयान को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो के जरिए और जोर-शोर से उठाया। इस वीडियो में उन्होंने कहा, “मैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से अनुरोध करता हूं कि 5 सितंबर 2025 को सभी शराब की दुकानें बंद की जाएं, क्योंकि हमारे प्रिय पैगंबर मुहम्मद (स.) का जन्मदिन आ रहा है। जिस तरह महावीर जयंती, बुद्ध जयंती और महात्मा गांधी जयंती पर मांस की दुकानें बंद रहती हैं, उसी तरह ईद मिलादुन्नबी पर शराब की बिक्री रोक दी जानी चाहिए।” यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ। जहां कुछ लोगों ने उनकी मांग का समर्थन किया, वहीं कई यूजर्स ने इस पर सवाल भी उठाए। धार्मिक आयोजनों के दौरान शराब की बिक्री पर रोक का मुद्दा अब चर्चा का केंद्र बन गया है।

उत्तर प्रदेश में पहले से ही कुछ धार्मिक पर्वों, खासकर हिंदू त्योहारों जैसे होली, दीवाली और रामनवमी पर शराब की दुकानें बंद रखने की परंपरा रही है। जिला प्रशासन इस तरह के निर्देशों को लागू करता है। लेकिन ईद मिलादुन्नबी के लिए ऐसी मांग पहली बार इतने जोर-शोर से उठी है। अभी तक न तो उत्तर प्रदेश सरकार और न ही कांग्रेस शासित राज्यों की सरकारों की ओर से इस मांग पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया आई है। हालांकि, सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर यूजर्स के बीच तीखी बहस छिड़ी हुई है। कुछ लोग इसे धार्मिक समानता की मांग के तौर पर देख रहे हैं, तो कुछ इसे सियासी नौटंकी करार दे रहे हैं।

बिहार के सियासी माहौल में इस बयान का असर और गहरा हो सकता है। बिहार में मुस्लिम वोटर एक अहम भूमिका निभाते हैं, और एआईएमआईएम इस समुदाय के बीच अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश में है। 2020 के चुनाव में पार्टी ने सीमांचल क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन किया था, और अब 2025 के चुनाव में वह और मजबूत स्थिति में आना चाहती है। सैयद असीम वकार का कांग्रेस पर हमला और राहुल गांधी को निशाना बनाना इस रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। वे यह संदेश देना चाहते हैं कि कांग्रेस मुस्लिम समुदाय के हितों को नजरअंदाज करती है, और एआईएमआईएम ही उनकी सच्ची आवाज है। इस बयान से आरजेडी और कांग्रेस के बीच गठबंधन पर भी असर पड़ सकता है, क्योंकि दोनों पार्टियां मुस्लिम वोटों पर निर्भर हैं।

एआईएमआईएम की यह रणनीति बिहार में सियासी समीकरण को और उलझा सकती है। एक तरफ जहां नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और बीजेपी का गठबंधन सत्ता में है, वहीं विपक्षी महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस और वामपंथी दल शामिल हैं। एआईएमआईएम ने पहले भी महागठबंधन के साथ गठजोड़ की संभावनाएं तलाशी थीं, लेकिन सीमांचल की सीटों पर सहमति न बन पाने के कारण बात आगे नहीं बढ़ी। अब सैयद असीम वकार का यह बयान कांग्रेस को कमजोर करने और मुस्लिम वोटरों को अपने पाले में करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।

इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर एआईएमआईएम की सियासी रणनीति पर सवाल उठाए हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि एआईएमआईएम की यह मांग धार्मिक आधार पर समाज को बांटने की कोशिश है, जबकि पार्टी के समर्थक इसे अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों की लड़ाई बताते हैं। पार्टी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने भी हाल के दिनों में विवादास्पद बयान दिए हैं, जिससे पार्टी की छवि और मजबूत हुई है।

कुल मिलाकर, सैयद असीम वकार का यह बयान न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि बिहार की सियासत में भी लंबे समय तक चर्चा का विषय बना रहेगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कांग्रेस और बीजेपी इस मांग पर कोई कदम उठाती हैं, या फिर यह मुद्दा केवल सियासी बयानबाजी तक सीमित रह जाएगा। बिहार चुनाव 2025 के नजदीक आते ही इस तरह के बयान और रणनीतियां सियासी माहौल को और गर्म करने वाली हैं।

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