बिहार विधानसभा चुनाव 2025: नवंबर में मतदान, 22 नवंबर से पहले बनेगी नई सरकार

बिहार में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं। निर्वाचन आयोग के सूत्रों के हवाले से खबर है कि नई विधानसभा के लिए मतदान नवंबर के पहले और दूसरे हफ्ते में हो सकता है। आयोग अक्टूबर के पहले या दूसरे हफ्ते में चुनावी कार्यक्रम की घोषणा कर सकता है। इस बार मतदान दो या तीन चरणों में होने की संभावना है, ताकि सुरक्षा और व्यवस्था को सुनिश्चित किया जा सके। मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर को खत्म हो रहा है, इसलिए इससे पहले नई सरकार का गठन हर हाल में पूरा करना होगा।
त्योहारों के बाद मतदान, 20 नवंबर तक नतीजे : चुनाव आयोग दीपावली (21 अक्टूबर) और छठ पूजा (26-27 अक्टूबर) के बाद मतदान की तारीखें तय करेगा। कार्तिक पूर्णिमा (5 नवंबर) जैसे पर्वों का भी ध्यान रखा जाएगा, ताकि मतदाताओं को वोट डालने में कोई परेशानी न हो। सूत्रों के मुताबिक, 5 से 15 नवंबर के बीच मतदान संभव है। मतगणना और नतीजे 20 नवंबर से पहले घोषित कर दिए जाएंगे। 2020 के विधानसभा चुनाव में भी तीन चरणों (28 अक्टूबर, 3 नवंबर और 7 नवंबर) में वोटिंग हुई थी और नतीजे 10 नवंबर को आए थे। इस बार भी आयोग उसी तर्ज पर काम कर रहा है।
90 हजार से ज्यादा बूथ, नए नियम लागू: इस बार बिहार में मतदान केंद्रों की संख्या बढ़कर 90 हजार से अधिक हो जाएगी। पहले 77 हजार बूथ थे, लेकिन अब नए नियम के तहत हर बूथ पर अधिकतम 1200 मतदाता होंगे। इससे करीब 13 हजार नए बूथ बनाए जाएंगे, जिनके लिए जगह, बिजली, सुरक्षा जैसे इंतजाम नए सिरे से करने होंगे। निर्वाचन आयोग का दावा है कि यह बदलाव मतदान को और सुगम बनाएगा, खासकर ग्रामीण इलाकों में जहां मतदाता दूर-दराज से आते हैं।
चुनावी तैयारियों का जायजा लेगी आयोग की टीम : निर्वाचन आयोग की एक उच्चस्तरीय टीम सितंबर में बिहार का दौरा करेगी और चुनावी तैयारियों का जायजा लेगी। इस दौरान राजनीतिक दलों के साथ बैठक में मतदाता सूची का मुद्दा छाया रह सकता है। इस बार मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) हुआ है। कांग्रेस ने इस पर सवाल उठाए हैं, दावा किया है कि सूची में 89 लाख से ज्यादा अनियमितताएं हैं। हालांकि, मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कोई औपचारिक शिकायत तय फॉर्मेट में नहीं मिली। विपक्ष इसे सत्ताधारी एनडीए की साजिश बता रहा है। क्या यह विवाद चुनावी मुद्दा बनेगा? यह देखना बाकी है।
सियासी समीकरण और चुनौतियां : बिहार की 243 विधानसभा सीटों पर सत्ता की जंग रोमांचक होगी। एनडीए के पास फिलहाल बहुमत है- बीजेपी के 80, जेडीयू के 45, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) के 4 और दो निर्दलीय विधायकों समेत कुल 131 सीटें। वहीं, इंडिया गठबंधन के पास आरजेडी के 77, कांग्रेस के 19, सीपीआई(एमएल) के 11 और अन्य वाम दलों की कुल 111 सीटें हैं। नीतीश कुमार नौवीं बार मुख्यमंत्री हैं, लेकिन तेजस्वी यादव की अगुवाई में विपक्ष रोजगार, बेरोजगारी और जातीय जनगणना जैसे मुद्दों पर हमलावर है। बीजेपी विकास और केंद्र की योजनाओं पर जोर दे रही है। प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी मैदान में है, जो युवा वोटरों को आकर्षित कर सकती है।
क्या कहता है बिहार का सियासी मिजाज?: बिहार की राजनीति में जाति, इतिहास और विकास का मिश्रण हमेशा अहम रहा है। एनडीए को नीतीश की साख और मोदी फैक्टर का सहारा है, जबकि इंडिया गठबंधन एमवाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण और युवा वोटरों पर भरोसा कर रहा है। बाढ़ और मौसम जैसी चुनौतियां इस बार भी आयोग के सामने हैं, लेकिन कोविड जैसी स्थिति नहीं है। मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन एसआईआर के बाद होगा, जिसके बाद चुनाव की औपचारिक घोषणा होगी।बिहार के मतदाता इस बार किसे सत्ता सौंपेंगे? क्या नीतीश का जादू फिर चलेगा या तेजस्वी कोई उलटफेर करेंगे? दशहरा (2 अक्टूबर) के बाद घोषणा का इंतजार है। बिहार तैयार है, अब बस सियासी रण का शंखनाद बाकी है!