धरती के स्वर्ग में बिछी उम्मीदों की पटरी, चिनाब ब्रिज बना मोदी के नए कश्मीर का प्रतीक

अजय कुमार,वरिष्ठ पत्रकार
कश्मीर की हरी-भरी घाटियां, बर्फ से ढके पहाड़ और खूबसूरत झीलें हर किसी को जन्नत का एहसास कराती हैं। इसे इसलिए ‘धरती का स्वर्ग’ भी कहा जाता है। अब यह स्वर्ग विकास के नए आयाम छूने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 जून 2025 को जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे पुल ‘चिनाब ब्रिज’ का उद्घाटन किया, जो कश्मीर के लिए एक ऐतिहासिक और विकासशील तोहफा साबित होगा। यह पुल घाटी की तकदीर को बदलने वाला है और देश के लिए सुरक्षा के लिहाज से भी अहम माना जा रहा है। मोदी का यह दौरा पहलगाम हमले के बाद पहली बार कश्मीर आने का मौका है, जो आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई और विकास के बीच का संतुलन दिखाता है।
चिनाब ब्रिज की बात करें तो यह दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च ब्रिज है जिसकी ऊंचाई 359 मीटर है, जो एफिल टॉवर से भी 35 मीटर ज्यादा है। इसकी लंबाई 1,315 मीटर है और इसे भूकंप क्षेत्र 5 में बनाया गया है। तेज हवाओं, भूकंप और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर इसे इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह 260 किलोमीटर प्रति घंटे की हवा भी झेल सके। इसका निर्माण कार्य 2002 में शुरू हुआ और इसे पूरा होने में 20 साल लग गए। पुल के निर्माण में कई तकनीकी और प्राकृतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा क्योंकि यह दो नाज़ुक हिमालयी पहाड़ियों के बीच बना है। तेज हवाओं के कारण विंड टनल फिनोमेना की समस्या भी आई, जिसे इंजीनियरिंग के जरिए सफलतापूर्वक संभाला गया।
चिनाब पुल सिर्फ एक रेलवे पुल नहीं है, बल्कि यह जम्मू-कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाला सबसे बड़ा विकास का माध्यम भी है। इस पुल के साथ उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना में कुल 36 सुरंगें और 943 छोटे-बड़े पुल बनाए गए हैं। इस परियोजना से कश्मीर की आवाजाही में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। अब कटरा से श्रीनगर की दूरी वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन से मात्र 3 घंटे की रह जाएगी, जबकि पहले इस सफर में 5 से 6 घंटे लगते थे। इस नई रेल कनेक्टिविटी से घाटी के पर्यटन, व्यापार और रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे। पहले बर्फबारी के कारण कई बार कश्मीर देश से कट जाता था और आवाजाही बहुत मुश्किल हो जाती थी। अब यह समस्या दूर हो जाएगी और हर मौसम में कश्मीर का देश से संपर्क बना रहेगा।
पहलगाम, गुलमर्ग और श्रीनगर जैसे पर्यटन स्थल पहले आतंकवाद और कोरोना जैसी मुश्किलों के कारण पिछड़ गए थे, लेकिन इस नई रेल परियोजना के साथ यहां पर्यटन को नई जान मिलेगी। इससे स्थानीय कारीगरों और व्यापारियों को भी फायदा होगा और घाटी की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। वंदे भारत ट्रेनें भी इस क्षेत्र में नई आधुनिकता और तेज गति लेकर आएंगी। प्रधानमंत्री मोदी ने उद्घाटन के दौरान दो नई वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई, जो कटरा से श्रीनगर तक चलेंगी। यह ट्रेनें तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए बेहद सुविधाजनक साबित होंगी।
राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से भी चिनाब पुल का बहुत बड़ा महत्व है। जम्मू-कश्मीर में सर्दियों के दौरान बर्फबारी के कारण सेना और सुरक्षा बलों को पहुंचने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। अब इस पुल के बनने से हर मौसम में सेना को तेजी से घाटी में तैनात किया जा सकेगा, जिससे आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और भी प्रभावी होगी। यह पुल लद्दाख जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में भी सेना की त्वरित पहुंच सुनिश्चित करेगा। चीन और पाकिस्तान की नजरें इस पुल पर हमेशा बनी थीं। चीन ने यहां जासूसी करने की कोशिश की थी और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई भी इस पर नजर रखती रही है, लेकिन भारत ने अपनी इंजीनियरिंग क्षमता और सुरक्षा रणनीति का प्रदर्शन करते हुए पुल को दो दशक की मेहनत के बाद पूरा कर दिखाया है।
प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे का एक बड़ा राजनीतिक और राष्ट्रीय महत्व भी है। वे इस अवसर पर कश्मीर के लोगों को रैली के जरिए संबोधित करेंगे और आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ संदेश देंगे। उन्होंने पहले भी कई बार कहा है कि आतंकवाद को सहन नहीं किया जाएगा और इसके लिए देश पूरी तरह से तैयार है। ऑपरेशन सिंदूर और अन्य सैन्य अभियानों के जरिये आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई चल रही है। इस पुल और रेल परियोजना का उद्घाटन इस लड़ाई में भारत की ताकत और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है।
यह परियोजना जम्मू-कश्मीर की समृद्धि, शांति और देश की एकता का प्रतीक बनेगी। घाटी के लोग अब देश के बाकी हिस्सों से बेहतर जुड़ेंगे और इसका सकारात्मक प्रभाव उनकी रोजमर्रा की जिंदगी पर दिखेगा। इससे क्षेत्र में विकास और शांति को बढ़ावा मिलेगा। सरकार ने 46,000 करोड़ रुपये से अधिक की इस परियोजना के जरिये कश्मीर को एक नया भविष्य दिया है। यह पुल विकास, सुरक्षा और सामाजिक समरसता का एक नया अध्याय शुरू करेगा।यह पुल केवल कश्मीर की तकदीर ही नहीं बदलेगा, बल्कि भारत को एक मजबूत, सुरक्षित और विकसित राष्ट्र के रूप में आगे ले जाएगा। इसके साथ ही भारत की इंजीनियरिंग क्षमता और तकनीकी कौशल की दुनिया भर में प्रशंसा होगी। भारत ने दिखा दिया है कि चाहे कितनी भी कठिनाइयां क्यों न हों, वह विकास और सुरक्षा के रास्ते से पीछे नहीं हटेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर कहा कि यह परियोजना केवल रेलवे पुल नहीं है, बल्कि यह देश की ताकत, लोगों के सपनों और भारत की एकता की मिसाल है। अब कश्मीर में विकास और शांति के साथ नई उम्मीदें जगी हैं। इस पुल के जरिए आने वाले समय में घाटी की तस्वीर पूरी तरह बदल जाएगी।इस रेल लाइन के बनने से न सिर्फ कश्मीर के लोग बल्कि पूरे भारत का नक्शा भी बदल जाएगा। यह पुल कश्मीर को कन्याकुमारी से जोड़ने वाले सपने को साकार करता है। यह पुल विकास की गति को बढ़ाने के साथ-साथ भारत की सैन्य ताकत को भी और मजबूत करेगा।
इस पुल की भव्यता, तकनीक और सुरक्षा के लिहाज से इसे विश्व के इंजीनियरिंग चमत्कारों में गिना जाता है। इसे पूरी दुनिया देख रही है और भारत को गौरवान्वित महसूस हो रहा है। अब कश्मीर के लोग देश के बाकी हिस्सों से बेहतर जुड़े हुए महसूस करेंगे और घाटी में शांति, समृद्धि का नया अध्याय शुरू होगा।यह पुल देश की अखंडता और सुरक्षा की मजबूत नींव साबित होगा। प्रधानमंत्री मोदी के इस ऐतिहासिक उद्घाटन ने न केवल विकास की गाथा गाई है, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ सशक्त संदेश भी दिया है। कश्मीर के लिए यह पुल किसी वरदान से कम नहीं। इस पुल ने साबित कर दिया कि भारत विकास और सुरक्षा के क्षेत्र में किसी भी चुनौती को पार कर सकता है।