आतंकियों के खिलाफ मोदी का अभियान, ऑपरेशन सिंदूर जारी रहेगा देश कभी नहीं झुकेगा

भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर के बाद जब सबको लगा कि शायद अब हालात शांत हो जाएंगे, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो शब्द कहे, उन्होंने पूरे देश में एक नई ऊर्जा भर दी”ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है।” यह वाक्य अब केवल एक राजनीतिक बयान नहीं रहा, बल्कि देश की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति का आधार बन चुका है। 12 मई 2025 को राष्ट्र के नाम संबोधन में जब पीएम मोदी ने पहली बार इसका जिक्र किया, तो लगा कि यह केवल एक प्रतिक्रिया है। लेकिन इसके बाद 26, 27 और 29 मई को गुजरात, गांधीनगर और पश्चिम बंगाल की रैलियों में जब उन्होंने इसे बार-बार दोहराया, तो साफ हो गया कि यह एक रणनीतिक योजना है, जो भारत की नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति की नींव है।
मोदी ने यह भी साफ कर दिया कि ऑपरेशन सिंदूर केवल एक बार की कार्रवाई नहीं थी, बल्कि यह भारत की आतंकवाद के खिलाफ स्थायी नीति का नाम है। उन्होंने कहा कि भारत अब आतंकी हमलों का जवाब अपनी शर्तों पर देगा और जहां से हमला होता है, वहीं जाकर दुश्मन को मारेगा। परमाणु ब्लैकमेल की नीति, जिसे पाकिस्तान दशकों से अपनाता आया है, अब भारत के लिए कोई मायने नहीं रखती। मोदी ने यह भी कहा कि आतंकवाद और सरकार के बीच अब कोई अंतर नहीं माना जाएगा। जब पाकिस्तानी सेना के अधिकारी आतंकियों के अंतिम संस्कार में शामिल होते हैं, तो भारत उन्हें अलग नहीं मान सकता।प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में जो बात कही, उसे केवल शब्दों की बाज़ीगरी नहीं समझा जाना चाहिए। 28 मई को सीमावर्ती राज्यों में जो मॉक ड्रिल हुई, उसने पूरे देश को एक बार फिर सतर्क कर दिया। लोगों को लगा कि भारत किसी बड़ी कार्रवाई की तैयारी में है। ये सब संकेत हैं कि सरकार सिर्फ बयान नहीं दे रही, बल्कि जमीन पर काम भी कर रही है।
30 मई को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नौसेना के एक कार्यक्रम में जो बयान दिया, उसने इस नीति को और भी स्पष्ट कर दिया। उन्होंने कहा कि जो अब तक हुआ, वह केवल वार्मअप था। अगर पाकिस्तान ने फिर कोई हरकत की, तो इस बार भारतीय नौसेना भी हरकत में आएगी। यह बयान न केवल पाकिस्तान को चेतावनी देता है, बल्कि यह देश की तीनों सेनाओं थल, जल और वायु की संयुक्त तैयारियों का संकेत भी देता है। रक्षा मंत्री का यह कहना कि “फिर भगवान ही जानता है कि पाकिस्तान का क्या होगा,” एक तरह से उस आत्मविश्वास का प्रतीक है जो भारत की सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व में अब नजर आता है।
पाकिस्तान को तीन बार उसके घर में मारा गया है यह बयान सिर्फ शब्द नहीं हैं। इस बार भारत ने ब्रह्मोस मिसाइलों का उपयोग कर आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया और इसमें खास बात यह रही कि इस हमले की सटीकता ने न केवल पाकिस्तान को हिला दिया, बल्कि पूरी दुनिया को संदेश दे दिया कि भारत अब केवल डिफेंसिव नहीं, बल्कि प्रो-एक्टिव है। इसके बाद भारत ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली में पांच बड़े बदलाव करने जा रहा है। इससे इसकी रेंज और मारक क्षमता बढ़ेगी, और लक्ष्य पर सटीक प्रहार करने की ताकत भी।
अमेरिका और चीन को भी भारत का यह रुख पसंद नहीं आया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बार-बार सीजफायर कराने की बात कही, जिससे भारत को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा। लेकिन पीएम मोदी ने बिना नाम लिए ट्रंप को भी संदेश दिया कि भारत अब किसी के दबाव में नहीं आएगा। चीन की मीडिया ने पाकिस्तान के पक्ष में खुलकर प्रोपेगेंडा चलाया, लेकिन भारत ने हर मंच पर यह स्पष्ट किया कि अब वह आतंकवाद को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं करेगा।मोदी का यह बयान कि “शांति का मार्ग शक्ति से होकर जाता है,” बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर दिया गया था, लेकिन इसमें गहरा कूटनीतिक संदेश छुपा हुआ था। यह भारत की संयमित लेकिन दृढ़ नीति का प्रतीक था, जिसने वैश्विक मीडिया को भी सोचने पर मजबूर कर दिया। अब दुनिया भारत को केवल एक विकासशील देश नहीं, बल्कि एक मजबूत सामरिक शक्ति के रूप में देख रही है।
प्रधानमंत्री मोदी ने बार-बार कहा कि ऑपरेशन सिंदूर भारत की भावनाओं और परंपराओं की अभिव्यक्ति है। उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले में जब हिंदू पुरुषों को निशाना बनाया गया, तब उनकी पत्नियों का सिंदूर छिन गया। यह हमला केवल कुछ लोगों पर नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र की अस्मिता पर था। यही कारण है कि ऑपरेशन का नाम सिंदूर रखा गया—जो भारतीय नारी के सम्मान और देश की संस्कृति का प्रतीक है।मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि ऑपरेशन सिंदूर हमारे संस्कारों और भावनाओं की अभिव्यक्ति है। यह बयान उन लाखों भारतीयों के दिलों को छू गया, जो खुद को आतंकवाद के खिलाफ इस युद्ध का हिस्सा मानते हैं। देशभर में वोकल फॉर लोकल और तिरंगा यात्रा जैसे कार्यक्रमों में भागीदारी बढ़ी है। इससे यह भी साफ हो गया कि यह केवल एक सैन्य अभियान नहीं, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन बन चुका है।
प्रधानमंत्री ने देश को भारत में बनी वस्तुएं अपनाने के लिए प्रेरित किया। उनका यह प्रयास केवल आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकजुटता की ओर भी है। उन्होंने कहा कि जब देश एकजुट होता है, तो आतंकवाद की ताकत अपने आप कमजोर हो जाती है। यह भावनात्मक जुड़ाव ही ऑपरेशन सिंदूर की सबसे बड़ी शक्ति है।
मोदी का यह अभियान केवल बाहरी दुश्मनों के खिलाफ नहीं, बल्कि आंतरिक राजनीति में भी गहरी भूमिका निभा रहा है। आने वाले बिहार विधानसभा चुनावों में बीजेपी इसे अपने प्रमुख चुनावी मुद्दे के रूप में उपयोग कर रही है। पहलगाम हमले का जवाब और सैन्य ताकत का प्रदर्शन पार्टी की हिंदुत्व और राष्ट्रीय सुरक्षा की सोच को और मजबूत करता है। बिहार, जहां बीजेपी अभी तक पूर्ण बहुमत से सरकार नहीं बना पाई है, अब इस अभियान के जरिए वोटरों के दिलों में जगह बनाने की कोशिश कर रही है।सिर्फ बिहार ही नहीं, 2027 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले भी ऑपरेशन सिंदूर की गूंज सुनाई देती रहेगी। यह एक ऐसा मुद्दा बन चुका है, जो हर बार भारत-पाकिस्तान संबंधों की चर्चा में आएगा और जनता को यह यकीन दिलाता रहेगा कि देश की सुरक्षा किसी भी हाल में खतरे में नहीं आने दी जाएगी।
पाकिस्तान ने मोदी के इन बयानों को उत्तेजक कहा है। लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि युद्धविराम केवल पाकिस्तान की प्रतिबद्धता पर निर्भर करेगा। अगर पाकिस्तान ने फिर कोई हरकत की, तो भारत चुप नहीं बैठेगा। मोदी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है, और इसका मतलब यही है कि भारत पाकिस्तान की हर गतिविधि पर नजर रखेगा और जरूरत पड़ने पर फिर हमला करेगा।इस तरह ऑपरेशन सिंदूर अब केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि एक विचारधारा, एक चेतावनी और एक वचन बन चुका है। यह उस भारत की तस्वीर पेश करता है, जो न केवल सहता है, बल्कि जवाब भी देता है। यह उस भारत की पहचान है, जो अब ‘न्यू नॉर्मल’ की राह पर चल पड़ा है जहां शांति की तलाश शक्ति के रास्ते से होकर गुजरती है। और यह भारत अब चुप नहीं बैठेगा, क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है।