लॉकर से चोरी हो गई अस्थियां… अब विसर्जन कैसे होगा? गोरखपुर का परिवार परेशान

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां एक मृतक की अस्थियां ही चोरी हो गई. मृतक के परिवार वालों ने गोरखपुर के राप्ती नदी के किनारे राजघाट पर स्थित श्मशान घाट मुक्तिधाम में अस्थि रखी थी. मृतक के परिजनों ने इस मामले में पुलिस को तहरीर दी है, जिसके बाद पुलिस इस मामले की जांच में जुट गई है.

दरअसल, तुर्कमानपुर मोहल्ले के रहने वाले राहुल कुशवाहा की 5 अप्रैल को डोमिनगढ़ में मालगाड़ी की चपेट में आने से मौत हो गई थी. पोस्टमार्टम के बाद उसका शव 6 अप्रैल को मिला था, जिसके बाद परिजनों ने उसका उसी दिन दाह संस्कार किया था. दूसरे दिन उसके परिवार को लोग घाट पर गए और अस्थि ठंडी कर कलश में रख कर नगर निगम की ओर से बनवाए गए लॉकर में अस्थि कलश रख दिया, जब परिवार के लोग अस्थि विसर्जित करने के लिए 12 अप्रैल को गए तो उनका कलश गायब मिला. जबकि लॉकर की चाबी उनके पास ही थी.

लॉकर में नहीं मिला अस्थि कलश
15 अप्रैल को राहुल का दसवां था. उससे पहले परिवार के लोग उसकी अस्थियां विसर्जन करना चाहते थे, लेकिन जब 12 अप्रैल को अस्थि कलश नहीं मिला तो मृतक के परिजनों ने इसकी सूचना ट्रांसपोर्ट नगर पुलिस को दी. इसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस जांच में जुट गई. फिलहाल परिजनों ने इस मामले में राजघाट थाने में तहरीर दी है. राजघाट पर नगर निगम की ओर से अस्थि कलश रखने के लिए 9 लॉकर बनाए गए हैं. रजिस्ट्रेशन काउंटर के बगल में ही स्थित कमरे में सभी लॉकर हैं. वहां देख रेख के लिए एक गार्ड भी लगाया गया है.

पुलिस मामले की जांच में जुटी
पूछताछ में गार्ड ने बताया कि जब अस्थि कलश चोरी हुआ तो उसे पता नहीं चला. वहीं इस मामले में पुलिस का कहना है मृतक के परिवार वालों के अनुसार उन्होंने एक नंबर लॉकर में अस्थि कलश रखा था, जबकि आठ और नौ नंबर लॉकर में अभी भी अस्थि कलश रखा हुआ है. पुलिस अंदाजा लगा रही है कि भूल से अस्थि कलश बदल गया होगा. इस मामले में पुलिस जांच कर रही है.

बनारस में करनी थी विसर्जित
वहीं मृतक राहुल के बड़े पिता सतीश चंद्र का कहना है कि हम लोगों ने शव का दाह संस्कार करने के बाद उसे अस्थि कलश को एक नंबर लॉकर में रखा था, जिसकी चाबी मेरे पास हैं. जब विसर्जन करने के लिए हम लोग अस्थि कलश लेने गए तो वहां लॉकर खुला था और अस्थि कलश गायब थीं. हम लोग अस्थि को बनारस विसर्जन करना चाहते थे. लेकिन अब वह नहीं मिल रही हैं. उन्होंने कहा कि हमारे यहां ये परंपरा है कि दसवां से पहले अस्थि विसर्जन कर दिया जाता है.

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