प्रयागराज में भगवा झंडा विवाद गाजी मियां की दरगाह पर तनाव, पुलिस की भूमिका पर उठे सवाल

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के सिकंदरा क्षेत्र में गाजी मियां की दरगाह पर राम नवमी के अवसर पर भगवा झंडा फहराने की घटना के बाद शहर में तनाव का माहौल बन गया है। हिंदू संगठन के युवकों ने इस दरगाह पर झंडा फहराया, जिससे विवाद गहरा गया है। युवकों का कहना था कि प्रयागराज हिंदुओं का पवित्र तीर्थ स्थल है और यहां गाजी मियां की दरगाह नहीं होनी चाहिए।

पुलिस की कार्यशैली पर सवाल
इस घटना के बाद पुलिस की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि अब तक झंडा फहराने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। डीसीपी कुलदीप सिंह गुनावत ने कहा कि दरगाह के पास पहले हिंदुओं की 5 समाधियां थीं, लेकिन उन्होंने गाजी मियां का नाम तक नहीं लिया। यह बयान पुलिस के रुख को लेकर सवाल खड़े करता है।

डीसीपी के बयान का अर्थ क्या है?
डीसीपी कुलदीप सिंह के बयान को लेकर कई अटकलें लगाई जा रही हैं। क्या पुलिस खुद इस जगह को गाजी मियां की दरगाह नहीं मानती? क्योंकि बयान में इस बात का स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया।

घटना का विवरण
यह दरगाह प्रयागराज के जिला मुख्यालय से लगभग 40 किमी दूर सिकंदरा में स्थित है। राम नवमी पर मनेंद्र प्रताप सिंह और उसके 20 साथियों ने दरगाह पर जाकर भगवा झंडा फहराया और नारेबाजी की। कुछ युवक दीवारों के सहारे गुंबद पर चढ़े और झंडा लहराया।

मनेंद्र प्रताप सिंह का बयान
मनेंद्र ने सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट कर कहा, “सालार मसूद गाजी एक आक्रांता था। प्रयागराज एक तीर्थ स्थल है, यहां गाजी की दरगाह नहीं होनी चाहिए। इसे ध्वस्त कर हिंदुओं को दे दिया जाना चाहिए।”

क्या पुलिस पर ही कार्रवाई होगी?
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि राम नवमी पर तैनात पुलिसकर्मियों की लापरवाही पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी। लेकिन सवाल यह उठता है कि झंडा फहराने वालों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है? क्या पुलिस इन युवकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करेगी या नहीं?

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