द्रौपदी चीरहरण का सिर्फ इस एक कौरव ने किया था विरोध, जानें कौन?

लॉकडाउन के बीच बीआर चोपड़ा की ‘महाभारत’ को दूरदर्शन पर पुन: प्रसारित किया जा रहा है। हाल ही में प्रसारित हुए एपिसोड में द्रौपदी चीरहरण को दिखाया गया है। जिसमें आपने देखा होगा कि जिस सभा में द्रौपदी का अपमान हुआ उसमें धृतराष्ट्र, भीष्म, द्रोणाचार्य, कुलगुरु कृपाचार्य जैसे महारथी थे। लेकिन इस दुष्कृत्य का किसी ने विरोध नहीं किया और सभी ने चुप्पी साधे रखी। वहीं इस दुष्कृत्य के दौरान एक ही ऐसा शख्स था जिसने इस घटना का विरोध किया था और दुर्योधन व दुशासन की आलोचना की थी। जाने कौन था वो महाभारत का शख्स..
बता दें, यह कोई और नहीं बल्कि धृतराष्ट्र और गांधारी के 100 पुत्रों में से एक विकर्ण था। विकर्ण ने कौरव होने बावजूद भी आजीवन धर्म का साथ दिया। द्रौपदी चीरहरण के समय भी विकर्ण ने दुर्योधन और दुशासन के कृत्य की निंदा की थी और इस पूरी घटना का विरोध किया था। इतना ही नहीं जब युधिष्ठिर जुए में द्रौपदी को हार गए तो विकर्ण ने उन्हें सभा में लाए जाने का विरोध किया था। हालांकि वहां पर उनकी एक भी नहीं सुनी गई थी।
दुर्योधन का विरोधी होने के बावजूद विकर्ण ने भाई का धर्म निभाते हुए कौरव सेना का साथ दिया था। कुरुक्षेत्र की रणभूमि में जब भीम का सामना विकर्ण से हुआ तो भीम ने कहा कि वह उनसे लड़ना नहीं चाहते। विकर्ण ने कहा कि वह जानते हैं कि कौरवों की हार होनी है और वह अपना कर्त्तव्य निभाने के लिए मजबूर हैं।विकर्ण ने कहा कि द्रौपदी के अपमान के समय सभा में जो उन्हें करना चाहिए था वो उन्होंने किया और यहां रणभूमि में जो उन्हें करना चाहिए, वह कर रहे हैं। भीम और विकर्ण में युद्ध हुआ जिसमें भीम विजयी रहे और उन्हें विकर्ण का वध करना पड़ा।
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