सोशल डिस्टेंसिंग के पालन और मास्क पहनने से कमजोर हुई बच्चों की इम्युनिटी : रिपोर्ट

वैज्ञानिकों ने इस बात को लेकर चिंता जताई है कि मास्क लगाए रखने के कारण छोटे बच्चों की कुछ सामान्य रोगाणुओं के प्रति इम्युनिटी कमजोर हो गई है। इस वजह से महामारी खत्म होने के बाद उन पर दूसरे वायरसों से संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाएगा।कुछ सामान्य रोगाणुओं से बच्चों का नियमित तौर पर वास्ता पड़ता है। हालांकि, इससे वो हमेशा बीमार नहीं होते, लेकिन इसकी वजह से वो इनके प्रति इम्युन हो जाते हैं। 

ऐहतियात बरतने के कारण कई रोगाणुओं से बचे हुए हैं बच्चे

द गार्डियन में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिकों का कहना है कि महामारी की शुरुआत के बाद से बड़ों के साथ-साथ बच्चे भी ऐहतियात बरत रहे हैं और मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग आदि नियमों का पालन कर रहे हैं।इस वजह से वो मौसमी बुखार का कारण बनने वाले समेत कई रोगाणुओं से बचे हैं। इन रोगाणुओं के संपर्क में न आने के कारण उनके शरीर में इनके प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता नहीं बन पाई है।वायरस

RSV को लेकर खास चिंता जता रहे वैज्ञानिक

इस सबके बीच वैज्ञानिकों ने रेस्पिरेटरी सिंकाइटियाल वायरस (RSV) को लेकर खास चिंता जताई है।यह एक साल से कम उम्र के बच्चों को निशाना बनाने वाला वायरस है, जो उनमें गंभीर बीमारी पैदा करने से लेकर मौत तक का कारण बन सकता है। साथ ही इसकी कोई वैक्सीन भी नहीं है।जानकारों का कहना है कि महामारी से पहले अस्पतालों में आने वाले वाले अधिकतर छोटे बच्चों की बीमारी के पीछे सबसे बड़ा कारण RSV होता था।बयान

कोरोना के साथ मिलकर मुश्किल खड़ी कर सकते हैं ये रोगाणु- जानकार

पब्लिक हेल्थ वेल्स के साथ जुड़ीं डॉ कैथरीन मूरे कहती हैं कि महामारी से पहले 18 महीने की उम्र तक बच्चों का लगभग सभी सीजनल वायरसों के साथ वास्ता पड़ जाता था, लेकिन अब ऐहतियातों के चलते ऐसा नहीं हो रहा है।वैज्ञानिकों का कहना है कि महामारी का खतरा कम होने के बाद जब दुनिया फिर से सामान्य होने की तरफ लौटेगी तो सीजनल वायरल कोरोना के साथ मिलकर बच्चों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं।असामान्य बदलाव

बदल रहा है रोगाणुओं का बर्ताव

कोरोना की शुरुआत से पहले इंग्लैंड में हर साल पांच वर्ष की उम्र से कम के 30,000 बच्चे अस्पतालों में भर्ती होते थे। आमतौर पर सर्दियों में इसके मामले सामने आते थे, लेकिन इस बार पिछले महीने कुछ बच्चों में इसके लक्षण देखे गए।यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन से जुड़े दीनान पिल्लै ने कहा कि मई में इसके मामले सामने आना असामान्य है। हो सकता है कि अब तमाम ऐहतियातों के चलते वायरस का बर्ताव बदल गया है।जानकारी

जानकार बोले- आने वाले समय में खतरनाक हो सकते हैं रोगाणु

जानकारों का कहना है कि सर्दियों में RSV और दूसरे रोगाणुओं के बर्ताव के बारे में अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। पिछले साल मौसमी बुखार नहीं आया था, लेकिन इस बार यह ज्यादा खतरनाक हो सकता है।
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